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जूनियर साइंटिफिक ऑफिसर भर्ती में गड़बड़ पर कोर्ट का कड़ा रुख

जूनियर साइंटिफिक ऑफिसर भर्ती में गड़बड़ पर कोर्ट का कड़ा रुख

शोभना शर्मा।  राजस्थान स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (आरएसपीसीबी) द्वारा जूनियर साइंटिफिक ऑफिसर (जेएसओ), जूनियर एनवायरमेंट इंजीनियर (जेईई), और लीगल ऑफिसर के पदों के लिए आयोजित भर्ती प्रक्रिया पर राजस्थान हाईकोर्ट ने कड़े सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने इस प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी को देखते हुए बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह दोबारा परिणाम जारी करे और प्रक्रिया को पूरी तरह नियमों के अनुसार संपन्न करे।

हाईकोर्ट का निर्देश: पूरी भर्ती प्रक्रिया को दोबारा करें पारदर्शी

हाईकोर्ट ने आरएसपीसीबी और परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था, इंस्टिट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सलेक्शन (आईबीपीएस), को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे अगले दो महीनों में पूरी प्रक्रिया को पारदर्शिता के साथ पूरा करें। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो कोर्ट ने इस भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने की चेतावनी भी दी है।

यह फैसला जस्टिस समीर जैन की बेंच ने नरपत सुरेला और अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनाया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता का पालन नहीं किया गया।

भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ियां: क्या हैं आरोप?

आरएसपीसीबी ने 5 अक्टूबर 2023 को 114 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसके तहत 9 जनवरी 2024 को ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की गई। फरवरी 2024 में चयनित उम्मीदवारों की प्रोविजनल लिस्ट दस्तावेज़ सत्यापन के लिए जारी की गई।

हालांकि, अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि:

  1. आंसर की जारी नहीं की गई:
    परीक्षा के बाद सामान्य प्रक्रिया के तहत आंसर की जारी नहीं की गई और न ही आपत्तियां मांगी गईं।
  2. पारदर्शिता का अभाव:
    चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी थी।
  3. गुप्त समझौते:
    भर्ती एजेंसी के चयन में आरपीएससी और आरएसएसबी जैसी मान्य संस्थाओं को दरकिनार किया गया। आईबीपीएस के साथ एमओयू गुप्त रूप से किया गया।
  4. स्टाम्प एक्ट का उल्लंघन:
    एमओयू के तहत राजस्थान स्टाम्प एक्ट का उल्लंघन किया गया।

कोर्ट का आदेश: पारदर्शिता सुनिश्चित करें

हाईकोर्ट ने आरएसपीसीबी को आदेश दिया कि वह पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए। इसके लिए निम्नलिखित निर्देश दिए गए:

  1. आंसर की जारी करें:
    पहले चरण में आंसर की जारी की जाए और अभ्यर्थियों से आपत्तियां मांगी जाएं।
  2. एक्सपर्ट कमेटी से जांच:
    प्राप्त आपत्तियों का निस्तारण एक विशेषज्ञ समिति द्वारा किया जाए।
  3. फाइनल आंसर की और परिणाम जारी करें:
    अंतिम उत्तर कुंजी जारी करने के बाद ही चयन सूची तैयार की जाए।
  4. पूर्व चयनित अभ्यर्थियों पर निर्णय:
    यदि दोबारा प्रक्रिया के बाद पूर्व चयनित अभ्यर्थी चयन से बाहर होते हैं, तो उनसे किसी प्रकार की रिकवरी नहीं की जाएगी। हालांकि, प्रक्रिया पूरी होने तक उन्हें नियमित नियुक्ति नहीं दी जाएगी।

भर्ती प्रक्रिया में गुप्त समझौते: बोर्ड पर उठे सवाल

कोर्ट ने आरएसपीसीबी की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए। कोर्ट ने कहा कि:

  • आरएसपीसीबी ने आरपीएससी और आरएसएसबी जैसी अनुभवी भर्ती एजेंसियों को नजरअंदाज किया।
  • आईबीपीएस के साथ गुप्त एमओयू किया गया।
  • भर्ती एजेंसी के चयन में सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया, जिससे अन्य योग्य एजेंसियां भाग नहीं ले सकीं।

भर्ती प्रक्रिया में देरी के कारण छात्रों में आक्रोश

भर्ती प्रक्रिया में देरी और गड़बड़ियों से छात्रों में असंतोष है। कई अभ्यर्थियों ने इसे सरकारी एजेंसियों की लापरवाही और पारदर्शिता की कमी बताया। यह देरी न केवल छात्रों के समय को बर्बाद कर रही है, बल्कि उनके करियर पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।

आरएसपीसीबी के चेयरमैन पर सवाल

जब यह भर्ती प्रक्रिया आयोजित की गई थी, तब आरएसपीसीबी के चेयरमैन शिखर अग्रवाल थे। वर्तमान में वे मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद पर तैनात हैं। कोर्ट ने उनकी कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किए।

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