मनीषा शर्मा। राजस्थान के खींवसर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रेवंत राम डांगा ने बड़ी जीत दर्ज की। उन्होंने आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को 13,901 वोटों के बड़े अंतर से हराया। इस जीत ने हनुमान बेनीवाल के गढ़ के रूप में माने जाने वाले खींवसर में उनकी राजनीतिक ताकत को गहरी चुनौती दी है। रेवंत राम डांगा ने शपथ लेने के बाद बेनीवाल पर निशाना साधते हुए कहा, “किले, गढ़, महल या साम्राज्य किसी के नहीं होते। जब जनता तय करती है, तो सबकुछ ढह जाता है।” डांगा की इस बयानबाजी ने न केवल उनकी राजनीतिक समझ को उजागर किया, बल्कि क्षेत्र की जनता में नई ऊर्जा भी भरी।
किसान पुत्र की जीत: जनता का संदेश
रेवंत राम डांगा ने अपनी जीत को जनता की शक्ति का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “यह जीत एक किसान पुत्र की है, जिसे जनता ने सदन में भेजा है।” उनका कहना है कि जनता ने आरएलपी और हनुमान बेनीवाल के प्रभाव को नकारते हुए एक आम आदमी को चुना। डांगा का फोकस अब जनता के कार्यों पर रहेगा। डांगा ने यह भी कहा कि हार के बाद हनुमान बेनीवाल कुछ भी बयान दे सकते हैं, लेकिन यह जीत जनता के फैसले का प्रमाण है। उन्होंने अपने बयान में बेनीवाल के गढ़ को चुनौती देते हुए कहा कि “राजनीति में कोई भी सीट स्थायी नहीं होती।”
खींवसर सीट का इतिहास और राजनीतिक पृष्ठभूमि
खींवसर विधानसभा सीट हनुमान बेनीवाल का गढ़ मानी जाती है। बेनीवाल इस सीट से चार बार विधायक रह चुके हैं। लेकिन उनके नागौर से लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हुई। उपचुनाव में उन्होंने अपनी पत्नी कनिका बेनीवाल को प्रत्याशी बनाया, लेकिन कांग्रेस ने यह सीट जीतकर बड़ा उलटफेर किया। रेवंत राम डांगा की इस जीत ने कांग्रेस को इस क्षेत्र में मजबूत किया है और आरएलपी के प्रभाव को चुनौती दी है।
विधानसभा का समीकरण और अन्य नवनिर्वाचित विधायक
रेवंत राम डांगा के अलावा राजस्थान उपचुनाव में अन्य विजेता विधायक भी अपने-अपने क्षेत्र से विधानसभा में पहुंचे।
- डीसी बैरवा (दौसा) ने किरोड़ी लाल मीणा के भाई डॉ. जगमोहन मीणा को हराया।
- शांता देवी मीणा (सलूम्बर),
- राजेन्द्र गुर्जर (देवली-उनियारा),
- राजेन्द्र भांबू (झुंझुनूं),
- सुखवंत सिंह (रामगढ़),
- अनिल कटारा (चौरासी) ने भी अपनी-अपनी सीटों पर जीत दर्ज की।
राजस्थान उपचुनाव के राजनीतिक मायने
राजस्थान में हुए इस उपचुनाव में कुल 7 सीटों पर मतदान हुआ था। इनमें से 5 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस ने दौसा और खींवसर में जीत दर्ज की। इन नतीजों ने विधानसभा के समीकरण को थोड़ा बदल दिया है।
कांग्रेस के लिए यह जीत क्यों अहम है?
खींवसर सीट पर जीत ने कांग्रेस को क्षेत्रीय स्तर पर मजबूती दी है। यह जीत हनुमान बेनीवाल जैसे कद्दावर नेता के गढ़ में मिली है, जिससे कांग्रेस की रणनीति को सराहना मिल रही है। रेवंत राम डांगा का चुनावी एजेंडा और किसान परिवार से उनका जुड़ाव भी कांग्रेस के पक्ष में गया। इस हार से आरएलपी को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा। यह साफ है कि केवल गढ़ या पारिवारिक प्रभाव के आधार पर चुनाव जीतना अब आसान नहीं है।
रेवंत राम डांगा: उम्मीदों का चेहरा
रेवंत राम डांगा अब खींवसर के लोगों के लिए नई उम्मीद बनकर उभरे हैं। उनका कहना है कि वह क्षेत्र की जनता के कार्यों को प्राथमिकता देंगे। उन्होंने अपने पहले बयान में ही किसानों और आम जनता के मुद्दों पर ध्यान देने की बात कही है।