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भारत में मंकीपॉक्स का खतरनाक स्ट्रेन ‘क्लेड 1बी’ पहुंचा

भारत में मंकीपॉक्स का खतरनाक स्ट्रेन ‘क्लेड 1बी’ पहुंचा

शोभना शर्मा। मंकीपॉक्स, जो कुछ वर्ष पहले तक मुख्य रूप से अफ्रीकी देशों में ही देखने को मिलता था, अब पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है। यह वायरस कई देशों में स्वास्थ्य आपातकाल का कारण बना है। अमेरिका और यूरोपीय देशों के बाद, अब एशियाई देशों में भी मंकीपॉक्स के केस देखने को मिल रहे हैं। मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों ने इसे स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए गंभीर खतरा बना दिया है।

डब्ल्यूएचओ ने इसे दो बार ‘वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल’ घोषित किया है, खासकर जब इसके नए और खतरनाक स्ट्रेन, ‘क्लेड 1बी’ की पहचान हुई। हाल ही में केरल के मलप्पुरम जिले में भारत का पहला ‘क्लेड 1बी’ स्ट्रेन का मामला सामने आया है।

भारत में मंकीपॉक्स का ‘क्लेड 1बी’ स्ट्रेन

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, केरल के मलप्पुरम जिले में एक 38 वर्षीय व्यक्ति में मंकीपॉक्स का नया स्ट्रेन ‘क्लेड 1बी’ पाया गया है। यह व्यक्ति हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात से भारत आया था। इसके साथ ही यह दक्षिण एशिया में इस नए स्ट्रेन का पहला मामला है। भारत में पहले मंकीपॉक्स के जो मामले सामने आए थे, वे ‘क्लेड 2’ स्ट्रेन से जुड़े थे, जो तुलनात्मक रूप से कम खतरनाक माना जाता है।

मंकीपॉक्स के स्ट्रेन्स: क्लेड 1 और क्लेड 2

मंकीपॉक्स वायरस के दो प्रमुख स्ट्रेन की पहचान की गई है – क्लेड 1 और क्लेड 2। ‘क्लेड 2’ मुख्य रूप से पश्चिमी अफ्रीका में रिपोर्ट किया जाने वाला स्ट्रेन है, जो अपेक्षाकृत कम घातक और कम संक्रामक होता है। इसके लक्षणों में त्वचा पर हल्के दाने और लिम्फ नोड्स की समस्याएं शामिल होती हैं। हालांकि यह संक्रामक तो है, लेकिन इसके कारण मौत का खतरा कम होता है।

इसके विपरीत, ‘क्लेड 1’ और इसके सब-वेरिएंट्स, जैसे ‘क्लेड 1बी’, अधिक खतरनाक और घातक होते हैं। क्लेड 1बी के संक्रमण से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे एन्सेफलाइटिस, निमोनिया, श्वसन संबंधी समस्याएं, और त्वचा पर गंभीर घाव-छाले। इसकी संक्रामकता अधिक होने के कारण यह तेजी से फैल सकता है, जिससे इसका प्रकोप अधिक घातक साबित हो सकता है।

क्लेड 1बी का बढ़ता खतरा

क्लेड 1बी की पहचान सबसे पहले डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में हुई थी और इसके बाद यह धीरे-धीरे पड़ोसी देशों में फैल गया। अगस्त 2023 में, इस खतरनाक स्ट्रेन का संक्रमण अफ्रीका के बाहर पहली बार स्वीडन और थाईलैंड में रिपोर्ट किया गया। अब यह भारत में भी आ चुका है, जिससे स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है।

डब्ल्यूएचओ की चेतावनी

डब्ल्यूएचओ ने मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरों को देखते हुए इसे ‘वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल’ घोषित किया है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के कई देशों में ‘क्लेड 1बी’ के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जिसमें कांगो, नाइजीरिया और अन्य अफ्रीकी देशों के साथ-साथ अब भारत भी शामिल हो गया है। इस स्ट्रेन के कारण दुनिया के कई हिस्सों में तेजी से फैलने की संभावना है, जिससे गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं।

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि मंकीपॉक्स प्रकोपों की जांच और नियंत्रण के प्रयासों को बढ़ाना आवश्यक है। इसके साथ ही, लोगों को इसके लक्षणों और बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करना भी बेहद महत्वपूर्ण है।

मंकीपॉक्स के लक्षण

मंकीपॉक्स के लक्षणों में प्रमुख रूप से बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, और त्वचा पर दाने और घाव शामिल होते हैं। संक्रमण के गंभीर मामलों में श्वसन संबंधी समस्याएं, निमोनिया, और एन्सेफलाइटिस जैसी जटिलताएं हो सकती हैं। यह वायरस मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है।

भारत में मंकीपॉक्स के लिए क्या करें?

  • सावधानी और जागरूकता: अगर किसी व्यक्ति में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और आवश्यक सावधानियों का पालन करें।
  • संक्रमण से बचाव: व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें और संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाएं।
  • स्वास्थ्य निर्देशों का पालन: स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें और खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रखें।
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