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दौसा उपचुनाव: दीनदयाल बैरवा का भाजपा पर कटाक्ष

दौसा उपचुनाव: दीनदयाल बैरवा का भाजपा पर कटाक्ष

शोभना शर्मा। राजस्थान के दौसा में हाल ही में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की। भाजपा के तमाम दावों को खारिज करते हुए कांग्रेस के दीनदयाल बैरवा ने भारी बहुमत से चुनाव जीता। मंगलवार को संविधान दिवस के अवसर पर बैरवा मीडिया के सामने आए और अपनी जीत, भाजपा की रणनीति और कई अन्य मुद्दों पर खुलकर बातचीत की।

भाजपा के प्रदेश प्रभारी पर कटाक्ष

दीनदयाल बैरवा ने भाजपा के प्रदेश प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल पर तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि उनका चुनाव के दौरान दौसा नहीं आना कांग्रेस के लिए फायदेमंद रहा। उन्होंने कहा:

“अगर वे दौसा आते, तो जनता तैयार बैठी थी, कपड़े फाड़ देती उनके।”

यह बयान भाजपा की चुनावी रणनीति पर गहरा प्रहार था। बैरवा ने भाजपा नेताओं की भाषा और बयानबाजी की भी आलोचना की, विशेष रूप से सचिन पायलट को लेकर दिए गए बयानों का।

सचिन पायलट का समर्थन

दीनदयाल बैरवा ने सचिन पायलट का खुलकर समर्थन करते हुए कहा कि उनके जैसे स्टार प्रचारक और सर्व समाज के नेता के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करना बिल्कुल अनुचित है।
उन्होंने कहा:

“अगर राधामोहन अग्रवाल जैसे नेता कांग्रेस में होते, तो पार्टी उन्हें बाहर कर देती। भाजपा ऐसे नेताओं पर कार्रवाई क्यों नहीं करती?”

बैरवा ने भाजपा की इस चुप्पी को उसकी कमजोरी बताया और इसे कांग्रेस की राजनीति से अलग बताया।

किरोड़ी लाल मीणा की हार पर टिप्पणी

दौसा में भाजपा के प्रमुख उम्मीदवार किरोड़ी लाल मीणा को हराने पर चर्चा करते हुए बैरवा ने कहा कि जनता ने भाजपा की विभाजनकारी राजनीति को खारिज कर दिया है।
उन्होंने दावा किया कि:

“जनता का करंट मेरे साथ था, और मेरा करंट उधर था। यही कारण है कि भाजपा के सारे दावे ध्वस्त हो गए।”

दौसा उपचुनाव के परिणाम का संदेश

दौसा उपचुनाव के परिणाम ने भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए महत्वपूर्ण संदेश दिया है:

  1. जनता की बदलती प्राथमिकताएं:
    मतदाताओं ने कांग्रेस को अपना समर्थन देकर भाजपा की नीतियों और बयानों पर असहमति जताई।
  2. स्थानीय मुद्दों पर ध्यान:
    बैरवा ने चुनाव में स्थानीय समस्याओं और विकास पर जोर दिया, जबकि भाजपा ने व्यापक रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित किया।

भाजपा की हार के प्रमुख कारण

  1. प्रदेश प्रभारी की गैरमौजूदगी:
    बैरवा ने इसे भाजपा के लिए नुकसानदायक बताया।
  2. सचिन पायलट पर बयानबाजी:
    भाजपा नेताओं के विवादित बयानों ने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया।
  3. स्थानीय स्तर पर असंतोष:
    किरोड़ी लाल मीणा जैसे बड़े चेहरे को भी जनता ने नकार दिया।

बैरवा का जनता के प्रति आभार

बैरवा ने इस जीत का श्रेय दौसा की जनता को दिया। उन्होंने कहा:

“यह जीत मेरी नहीं, जनता की है। उन्होंने भाजपा की विभाजनकारी नीतियों को हराया और कांग्रेस की विकासपरक सोच को चुना।”

आगामी चुनावों के लिए संदेश

दौसा उपचुनाव ने राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एक स्पष्ट संकेत दिया है। यह परिणाम न केवल कांग्रेस के लिए उत्साहजनक है, बल्कि भाजपा के लिए आत्मविश्लेषण का समय भी है।

  • कांग्रेस को इस जीत से प्रेरणा लेकर अपनी रणनीतियों को मजबूत करना होगा।
  • भाजपा को अपने नेताओं की बयानबाजी और चुनावी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा।
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