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दौसा उपचुनाव: मुरारीलाल मीणा का शक्ति प्रदर्शन

दौसा उपचुनाव: मुरारीलाल मीणा का शक्ति प्रदर्शन

शोभना शर्मा।  राजस्थान के दौसा जिले में उपचुनावों के लिए सरगर्मियां तेज हो गई हैं। दौसा सांसद मुरारीलाल मीणा ने इस माहौल में अपने दर्द का इज़हार करते हुए कार्यकर्ताओं पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं ने उन्हें इस काबिल भी नहीं छोड़ा कि पार्टी टिकट वितरण या किसी अन्य निर्णय में उनकी सलाह ले। यह बयान उन्होंने 19 अक्टूबर को अपने आवास पर कार्यकर्ताओं से मुलाकात के दौरान दिया। मीणा ने बताया कि उनके कार्यकर्ताओं की लापरवाही के कारण उनकी स्थिति पार्टी में कमजोर हो गई है, जिससे उनकी भूमिका सीमित हो गई है।

राजेश पायलट के समय से तुलना

मीणा ने अपने भाषण में पूर्व कांग्रेस नेता राजेश पायलट का उदाहरण देते हुए कहा कि पायलट के समय पार्टी के कार्यकर्ताओं में एकजुटता थी और उनके निर्णयों को लेकर किसी भी प्रकार की विवाद की स्थिति नहीं बनती थी। उन्होंने कहा, “राजेश पायलट के समय लोग टिकट मांगते नहीं थे, बल्कि टिकट फाइनल करने का निर्णय सांसद करता था और उसे सभी लोग स्वीकार करते थे। आज की स्थिति में ऐसी एकजुटता नहीं दिखती।”

मीणा ने कार्यकर्ताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि आज के समय में कई लोग अलग-अलग दिशाओं में काम कर रहे हैं, जिससे पार्टी की एकजुटता कमजोर हो रही है। उन्होंने कहा, “जब तक आप लोग एकजुट नहीं होंगे, तब तक पार्टी में मेरी सलाह का कोई महत्व नहीं रहेगा।”

एसटी कैंडिडेट्स की स्थिति पर विचार

दौसा सांसद मुरारीलाल मीणा ने कहा कि जनरल सीट पर एसटी कैंडिडेट्स को टिकट तभी दिया जाता है, जब वे पहले से कुछ चुनाव जीत चुके हों। उन्होंने उदाहरण दिया कि कांतिलाल मीना जैसे नेताओं को तभी टिकट मिला, जब उन्होंने पहले अन्य चुनाव जीतकर खुद को साबित किया। उन्होंने कहा, “एसटी कैंडिडेट्स के साथ पार्टी तभी जुड़ती है, जब वे जनरल सीट पर जीत हासिल कर चुके होते हैं। इस बार भी, दौसा सीट से हमारे एसटी कैंडिडेट्स टिकट मांग रहे हैं।”

मीणा ने इस बात पर भी जोर दिया कि आज की परिस्थिति में कांग्रेस के कार्यकर्ता कई मुद्दों पर बिखरे हुए हैं, जबकि यदि पार्टी में एकता होती, तो पर्यवेक्षकों के दौरे की आवश्यकता नहीं पड़ती। उन्होंने कहा, “यदि एक लाइन का प्रस्ताव पास हो जाए और सभी कार्यकर्ता एकजुट होकर निर्णय लें, तो किसी पर्यवेक्षक की जरूरत नहीं होती। यह प्रस्ताव पास होने से पार्टी का काम और टिकट वितरण प्रक्रिया सुगम हो जाती।”

पर्यवेक्षकों की नियुक्ति और टिकट वितरण

दौसा में होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर, कांग्रेस पार्टी ने पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है, जो संभावित उम्मीदवारों की सूची पर चर्चा कर रहे हैं। मीणा ने इस प्रक्रिया पर भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि पहले के समय में सांसदों की सलाह से ही टिकट फाइनल होता था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। उन्होंने बताया कि पार्टी का ध्यान अब सर्वे और पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट पर अधिक होता है, जिससे उनके जैसे नेताओं की सलाह को दरकिनार किया जा रहा है।

उन्होंने यह भी बताया कि पांच संभावित दावेदारों का पैनल तैयार किया जाएगा, जिसमें प्रमुख दावेदारों के नाम होंगे। इस पैनल से पार्टी टिकट देने के लिए अंतिम निर्णय लेगी।

परिवार के चुनाव लड़ने की अफवाहों पर स्पष्टीकरण

मुरारीलाल मीणा ने अपने परिवार के चुनाव लड़ने की अफवाहों पर भी स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने साफ कहा कि उनकी पत्नी और बेटी चुनाव नहीं लड़ेंगी। उन्होंने कहा कि यह अफवाह फैलाई जा रही है कि वह अपने परिवार को चुनाव लड़वाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन यह बात पूरी तरह से झूठ है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे इस प्रकार की अफवाहों पर ध्यान न दें और पार्टी के साथ एकजुट होकर काम करें।

20 साल की उपलब्धियों पर टिप्पणी

मीणा ने अपने 20 साल के राजनीतिक करियर का जिक्र करते हुए कार्यकर्ताओं से कहा कि अगर वे एकजुट नहीं हुए, तो पिछले 20 साल में जो उपलब्धियां उन्होंने हासिल की हैं, वे सभी मिट्टी में मिल जाएंगी। उन्होंने कहा, “आप लोगों ने मुझे इतना कमजोर कर दिया है कि पार्टी मेरी सलाह नहीं लेती। यदि आप लोग इसी तरह बिखरे रहे, तो अगले चुनाव में हमें हार का सामना करना पड़ सकता है।”

हरियाणा चुनाव का संदर्भ

मीणा ने हरियाणा चुनाव का संदर्भ देते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी अब पहले से ज्यादा सतर्क हो गई है और टिकट वितरण में सावधानी बरत रही है। उन्होंने बताया कि पार्टी अब सभी उम्मीदवारों का सर्वे करा रही है और पूरी पारदर्शिता के साथ टिकट वितरण कर रही है। हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर कार्यकर्ता एकजुट होते, तो यह प्रक्रिया और भी आसान हो सकती थी।

नसीहत और भविष्य की रणनीति

अंत में, मुरारीलाल मीणा ने कार्यकर्ताओं को नसीहत देते हुए कहा कि वे आपस में एकजुट होकर काम करें और पार्टी की रणनीति में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि अगर कार्यकर्ता इसी तरह बिखरे रहे, तो अगले 20 साल की उपलब्धियां खोकर उन्हें घर बैठना पड़ सकता है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे शांत रहें और पार्टी के टिकट वितरण के फैसले का सम्मान करें।

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