मनीषा शर्मा, अजमेर। अजमेर दरगाह के बाहर 17 जून को भड़काऊ नारे और बयानबाज़ी के मामले में फैसला 12 जुलाई को सुनाया जाएगा। इस मामले में अजमेर के निजाम गेट पर भड़काऊ बयान और नारेबाज़ी के आरोप में दरज किया गया था। सरकार की ओर से परवी कर रहे एडवोकेट गुलाम नजमी फारूकी ने बताया कि अपर जिला और सत्र न्यायाधीश की अदालत में फाइन सुनवाई हुई और इसमें 22 गवाह और 32 दस्तावेज़ पेश किए गए। फैसला अब 12 जुलाई को सुनाया जाएगा। गौहर चिश्ती को हैदराबाद में शरण देने वाला अहसानुल्लाह फरार चल रहा है और ऐसे में उनकी अलग से ट्रायल चलेगी।
यह था मामला:
कॉन्स्टेबल जयनारायण जाट ने दी रिपोर्ट में बताया कि 17 जून को दोपहर 3 बजे उसकी ड्यूटी निजाम गेट पर थी। इसी दौरान कुछ खादिमों द्वारा गेट पर पूर्व से निर्धारित मौन जुलूस की शर्तों का उल्लंघन करते हुए वहां भाषण दिया गया। इसके लिए रिक्शे पर लाउड स्पीकर लगाया गया था।
कॉन्स्टेबल ने रिपोर्ट में बताया कि इस दौरान 2500-3000 व्यक्तियों की भीड़ दरगाह के सामने थी, जबकि गौहर चिश्ती को पूर्व में समझाइश दी गई थी। इसी दौरान भड़काऊ बयान और नारेबाज़ी के साथ नारेबाज़ी की गई। इसके बाद उस पर धार्मिक स्थल से हिंसा के लिए भीड़ को उकसाने और हत्या की अपील करने पर मामला दर्ज किया गया था।
पुलिस ने वीडियो के आधार पर पहले अजमेर के रहने वाले चार आरोपियों ताजिम सिद्धिकी (31) पुत्र नईम खान, फखर जमाली (42) पुत्र सैयद मोहम्मद जुबेर जमाली, रियाज हसन दल (47) पुत्र हसन और मोईन खान (48) पुत्र स्व. शमशूदीन खान को गिरफ्तार किया। इसके बाद फरार आरोपी गौहर चिश्ती व अहसानुल्लाह को पुलिस ने हैदराबाद से गिरफ्तार किया था।