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भीलवाड़ा SP को बर्खास्त करने की सोशल मीडिया पर उठी मांग

भीलवाड़ा SP को बर्खास्त करने की सोशल मीडिया पर उठी मांग

शोभना शर्मा।  राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में पुलिस पर दलित युवकों के साथ बर्बरता करने के आरोप लगे हैं, जिसके चलते सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। लोग भीलवाड़ा एसपी को बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं। मामला बिजोलिया थाना क्षेत्र का है, जहां 12 फरवरी को तीन दलित युवकों को हिरासत में लिया गया और उनके साथ थाने में अमानवीय व्यवहार किया गया।

पुलिस हिरासत में मारपीट और अमानवीय व्यवहार के आरोप

पीड़ित युवक गोपाल भील का कहना है कि वह अपने दो साथियों, जगदीश भील और सुरेश भील के साथ मजदूरी के लिए जा रहा था, जब पुलिस की गाड़ी अचानक उनके पास आकर रुकी और बिना किसी कारण उन्हें पकड़कर थाने ले गई। आरोप है कि बिजोलिया थाना पुलिस ने तीनों युवकों के कपड़े उतरवाकर उनके साथ बेरहमी से मारपीट की और उन्हें जातिगत गालियां दीं। पीड़ितों का यह भी कहना है कि पुलिस ने उनके प्राइवेट पार्ट के आसपास के बाल उखाड़ दिए, जिससे वे मानसिक और शारीरिक रूप से बुरी तरह टूट चुके हैं।

घटना के बाद पीड़ितों और उनके परिवार वालों को उम्मीद थी कि पुलिस और प्रशासन इस मामले की निष्पक्ष जांच कराएंगे और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई होगी। लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।

पुलिस ने आरोपों को बताया बेबुनियाद

वहीं, पुलिस की ओर से इन आरोपों का खंडन किया गया है। बिजोलिया थाना प्रभारी लोकपाल सिंह का कहना है कि तीनों युवकों को शांति भंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उनका मेडिकल परीक्षण भी कराया गया था। उनके पास सभी कानूनी दस्तावेज मौजूद हैं, जो यह साबित करते हैं कि युवकों के साथ कोई भी अमानवीय व्यवहार नहीं किया गया। लेकिन पीड़ितों का कहना है कि उन्हें बिना किसी कारण मारा-पीटा गया और पुलिस उन्हें झूठे आरोप में फंसाने की कोशिश कर रही है।

दलित संगठनों का प्रदर्शन और चुप्पी

इस घटना के बाद कई दलित संगठन पीड़ित युवकों के समर्थन में आगे आए और 18 फरवरी को बिजोलिया में एसडीएम कार्यालय पर प्रदर्शन कर निष्पक्ष जांच की मांग की। संगठनों के प्रतिनिधियों ने उपखंड अधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की गई थी। हालांकि, अब इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है। पीड़ितों का कहना है कि दलित संगठनों ने अचानक इस मामले में चुप्पी साध ली है और अब वे इस पर खुलकर बात नहीं कर रहे हैं। गोपाल भील ने बताया कि अब तक न तो उनके बयान दर्ज किए गए हैं और न ही किसी तरह की सार-संभाल की गई है। वे डर के माहौल में जी रहे हैं और उन्हें अपनी सुरक्षा की चिंता सता रही है।

सोशल मीडिया पर बवाल, भीलवाड़ा SP को बर्खास्त करने की मांग

जैसे ही यह मामला सोशल मीडिया पर आया, लोगों में भारी आक्रोश देखने को मिला। ट्विटर (X), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर #JusticeForGopalBheel और #DismissBhilwaraSP जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। लोग प्रशासन पर सवाल उठा रहे हैं कि आखिर अब तक इस मामले की निष्पक्ष जांच क्यों नहीं हुई और दोषी पुलिसकर्मियों को सजा क्यों नहीं मिली। आरोपियों की गिरफ्तारी और पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग करते हुए लोग राजस्थान सरकार से भीलवाड़ा एसपी को बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए सरकार से कड़ी कार्रवाई की अपील की है।

क्या होगा आगे?

इस मामले ने राजस्थान पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस घटना के खिलाफ क्या कदम उठाता है। क्या दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई होगी? क्या पीड़ितों को न्याय मिलेगा? या फिर यह मामला भी अन्य घटनाओं की तरह समय के साथ ठंडे बस्ते में चला जाएगा? फिलहाल, सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर लगातार बहस चल रही है और लोग न्याय की मांग कर रहे हैं। अब यह सरकार और प्रशासन पर निर्भर करता है कि वे इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं।

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