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अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए समान आरक्षण प्रक्रिया की मांग

अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए समान आरक्षण प्रक्रिया की मांग

मनीषा शर्मा।   राजस्थान में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के लोगों ने अपनी आवाज उठानी शुरू कर दी है। बुधवार को पूर्व पार्षद राजेश कुमार वर्मा ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए विधायक डॉ. शिखा मील बराला से मुलाकात की और राजस्थान सरकार के स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा के नाम ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में वर्मा ने जोर देकर कहा कि वर्ष 2010 के बाद से निकाय चुनावों में आरक्षण प्रक्रिया में बदलाव ने अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के प्रतिनिधित्व को सीमित कर दिया है। वर्तमान व्यवस्था के तहत इन वर्गों के लिए केवल उन्हीं वार्डों को आरक्षित किया जाता है जहां उनकी जनसंख्या अधिक है। इससे इन वर्गों को अन्य वार्डों में चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलता और वे समान अवसर से वंचित हो जाते हैं।

2010 से पहले की प्रक्रिया में समानता थी

वर्मा ने ज्ञापन में बताया कि 2010 से पहले सभी वर्गों के लिए आरक्षण प्रक्रिया में समानता थी। उस समय अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और सामान्य वर्ग सभी को समान रूप से लॉटरी प्रक्रिया में शामिल किया जाता था। इस प्रक्रिया के जरिए हर वर्ग को बराबरी का मौका मिलता था। लेकिन वर्ष 2010 के बाद से आरक्षण प्रक्रिया में बदलाव करते हुए अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग को केवल उनकी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण दिया जाने लगा। इसके परिणामस्वरूप इन वर्गों को केवल कुछ निश्चित वार्डों में ही प्रतिनिधित्व का मौका मिलता है, जबकि अन्य वर्गों के लिए लॉटरी प्रणाली के तहत अवसर उपलब्ध कराए जाते हैं।

असंतुलित व्यवस्था और अन्याय का आरोप

वर्मा ने कहा कि यह नई व्यवस्था न केवल असंतुलित है बल्कि अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के साथ अन्याय भी है। यह वर्ग पहले से ही सामाजिक और आर्थिक असमानता का सामना कर रहा है, और इस नई प्रक्रिया ने उनके लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व के दरवाजे और संकुचित कर दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह स्थिति संविधान में दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन है, क्योंकि यह सभी वर्गों को समान अवसर प्रदान करने के सिद्धांत के विपरीत है। वर्मा ने विधायक शिखा मील बराला से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की, ताकि आगामी निकाय चुनावों में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग को अन्य वर्गों के समान आरक्षण लॉटरी प्रक्रिया में शामिल किया जा सके।

विधायक शिखा मील बराला को ज्ञापन सौंपा गया

इस अवसर पर वर्मा ने विधायक बराला के माध्यम से राजस्थान सरकार के स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में यह मांग की गई कि सरकार जल्द से जल्द इस मामले को गंभीरता से ले और अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के लिए आरक्षण प्रक्रिया में समानता सुनिश्चित करे। विधायक शिखा मील बराला ने वर्मा की बातों को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि वे इस मुद्दे को उच्च स्तर पर उठाएंगी। उन्होंने कहा कि सभी वर्गों को समान अवसर प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी है और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी वर्ग भेदभाव का शिकार न हो।

अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग की लॉटरी प्रक्रिया का उल्लेख

ज्ञापन में वर्मा ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और सामान्य वर्ग की लॉटरी प्रक्रिया का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इन वर्गों के लिए आरक्षण की प्रक्रिया में लॉटरी निकाली जाती है, जिससे ये वर्ग किसी भी वार्ड से चुनाव लड़ सकते हैं। यह प्रक्रिया उन्हें अधिक अवसर और विकल्प प्रदान करती है। इसके विपरीत, अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग को केवल उनकी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण दिया जाता है, जो उनके लिए चुनावी विकल्पों को सीमित कर देता है।

समानता और संतुलन की आवश्यकता

वर्मा ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों में सभी वर्गों के लिए समान आरक्षण प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए। इससे न केवल चुनावों में पारदर्शिता आएगी, बल्कि समाज के सभी वर्गों को समान प्रतिनिधित्व का अवसर भी मिलेगा। उन्होंने सुझाव दिया कि 2010 से पहले की लॉटरी प्रक्रिया को दोबारा लागू किया जाए, ताकि अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग को भी समान अधिकार मिल सके।

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