शोभना शर्मा, अजमेर। पटना में आयोजित 51वें इंडियन डेयरी एसोसिएशन (आईडीए) राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान अजमेर सरस डेयरी अध्यक्ष और आईडीए के कार्यकारी सदस्य रामचंद्र चौधरी ने डेयरी उद्योग के विकास और पशुपालकों की समस्याओं पर जोर दिया। उन्होंने डेयरी व्यवसाय को कृषि क्षेत्र में शामिल करने की मांग की, जिससे किसानों और पशुपालकों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके। चौधरी ने बताया कि आज देश में अधिकांश किसानों की आय का मुख्य स्रोत पशुपालन और दुग्ध उत्पादन बन चुका है। प्राकृतिक आपदाओं और अन्य कारणों से कई बार किसानों को अपने पशुधन का नुकसान उठाना पड़ता है। साथ ही, चारे-पानी की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है। ऐसे में अगर डेयरी उद्योग को कृषि में शामिल कर दिया जाए, तो पशुपालकों को आपदा प्रबंधन योजना का लाभ मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
जीएसटी और इनकम टैक्स से मिले राहत
उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि अगर दूध व्यवसाय को कृषि क्षेत्र में शामिल किया जाता है, तो दूध और उससे बने उत्पादों पर जीएसटी और इनकम टैक्स नहीं लगना चाहिए। इससे किसानों को आर्थिक रूप से लाभ मिलेगा और वे अपने व्यवसाय को और अधिक विकसित कर सकेंगे।
दूध के लिए समर्थन मूल्य की आवश्यकता
उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह सरकार विभिन्न अनाजों को समर्थन मूल्य पर खरीदती है, उसी तरह दूध को भी समर्थन मूल्य मिलना चाहिए। इससे किसानों की आर्थिक स्थिरता बनी रहेगी और वे बेहतर उत्पादन कर सकेंगे।
लम्पी डिजीज से हुए नुकसान की भरपाई नहीं
हाल ही में देशभर में फैली लम्पी डिजीज से हजारों पशुओं की मृत्यु हो गई, लेकिन सरकार ने पशुपालकों को कोई आर्थिक सहायता प्रदान नहीं की। यह किसानों के लिए बहुत बड़ी समस्या रही है। चौधरी ने सरकार से अनुरोध किया कि भविष्य में ऐसी बीमारियों से निपटने के लिए “काउ पॉक्स” वैक्सीन तैयार की जाए, जिससे पशुधन को सुरक्षित रखा जा सके।
चारागाह भूमि पर अतिक्रमण से बढ़ रही समस्या
देशभर में चारागाह भूमि पर अतिक्रमण के कारण पशुओं के लिए चारे की उपलब्धता कम होती जा रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि T-3 रिजके के बीज को प्रमाणित करके किसानों को उपलब्ध कराया जाए, जिससे वे अपने पशुओं के लिए चारा उगा सकें। इसी तरह, इंदिरा गांधी नहर क्षेत्र में सेवण घास की खेती को बढ़ावा दिया जाए, ताकि पशुओं को पोषक चारा मिल सके।
दूध संबलन योजना का विस्तार हो
राजस्थान में पशुपालकों को प्रति लीटर दूध पर ₹5 की मुख्यमंत्री दुग्ध संबलन योजना के तहत सहायता राशि दी जा रही है। यह योजना केवल राजस्थान और कर्नाटक में लागू है। चौधरी ने सरकार से अपील की कि इस योजना को पूरे देश में लागू किया जाए, ताकि सभी पशुपालकों को इसका लाभ मिले।
मिड डे मील में दूध की उपलब्धता
राजस्थान में मिड डे मील योजना के तहत कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों को दूध उपलब्ध कराया जाता है। उन्होंने मांग की कि इस योजना को देशभर में लागू किया जाए, जिससे बच्चों को पौष्टिक आहार मिल सके और दुग्ध उत्पादकों को भी लाभ हो।
डेयरी उद्योग के लिए विशेष नीति की जरूरत
चौधरी ने कहा कि 1970 में भारत सरकार ने “नेशनल मिल्क बिल्ड” का गठन किया था, जिसमें दूध और दुग्ध उत्पादों को भी शामिल किया जाना चाहिए। इससे डेयरी उद्योग को संगठित रूप से आगे बढ़ाया जा सकेगा। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वर्तमान में किसानों और पशुपालकों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। राज्य सरकारों को भी इस दिशा में ध्यान देना चाहिए और किसानों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए।