शोभना शर्मा, अजमेर। गोवा में आयोजित राष्ट्रीय सिंधी भाषा संवर्धन परिषद की अखिल भारतीय बैठक को संबोधित करते हुए राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सिंधी भाषा को भारतीय सांस्कृतिक विरासत की सशक्त पहचान बताते हुए इसके संवर्धन और विकास के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि सिंधी भाषा न केवल सिंधी समुदाय की पहचान है, बल्कि भारत की भाषाई विविधता का एक महत्वपूर्ण स्तंभ भी है।
देवनानी ने कहा कि सिंधी भाषा में समृद्ध साहित्य, परंपराएं और सांस्कृतिक मूल्यों की गहराई छिपी है, जिसे अगली पीढ़ियों तक पहुंचाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यदि हम युवा पीढ़ी को सिंधी भाषा से जोड़ने में सफल होते हैं, तो न केवल भाषा बचेगी बल्कि संस्कृति और परंपराएं भी जीवित रहेंगी।
बैठक में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के उच्चतर शिक्षा विभाग के तहत आने वाली राष्ट्रीय सिंधी भाषा संवर्धन परिषद के सभी सदस्य और अधिकारी उपस्थित थे। देवनानी ने अपने संबोधन में परिषद के कार्यों की सराहना करते हुए कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि स्कूलों और कॉलेजों में सिंधी भाषा को वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल किया जाना चाहिए ताकि छात्र प्रारंभिक अवस्था से ही इस भाषा से जुड़ सकें।
इसके साथ ही देवनानी ने मीडिया में सिंधी भाषा को स्थान देने, सिंधी लेखकों और प्रकाशनों को बढ़ावा देने, तथा ऑनलाइन मंचों पर सिंधी भाषा के पाठ्यक्रम और सामग्री विकसित करने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि सिंधी भाषा को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने के लिए डिजिटल मीडिया का भरपूर उपयोग किया जाना चाहिए।
देवनानी ने कहा कि सिंधी समुदाय के हर व्यक्ति को अपनी भाषा और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में सक्रिय भागीदारी निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक समुदाय स्वयं अपनी भाषा को नहीं अपनाता, तब तक बाहरी प्रयास प्रभावी नहीं हो सकते।
बैठक में यह भी उल्लेख किया गया कि परिषद का उद्देश्य केवल भाषा के संरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय नीति और विचारों को सिंधी भाषा में अनुवादित कर आमजन तक पहुंचाना भी इसका एक महत्वपूर्ण दायित्व है। परिषद समय-समय पर देशभर में बैठकों, कार्यशालाओं और सांस्कृतिक आयोजनों के माध्यम से इस लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास कर रही है।
देवनानी के नेतृत्व में हुई इस बैठक ने एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत की भाषाई विविधता को जीवंत रखने के लिए ऐसे प्रयास बेहद ज़रूरी हैं। सिंधी भाषा का भविष्य तभी उज्ज्वल होगा जब युवा इसमें गर्व महसूस करेंगे और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएंगे।