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धीरेंद्र शास्त्री का संदेश: अंधविश्वास छोड़ें, हिंदुत्व को अपनाएं

धीरेंद्र शास्त्री का संदेश: अंधविश्वास छोड़ें, हिंदुत्व को अपनाएं

शोभना शर्मा। जयपुर में चल रही रामकथा के दौरान रामानंद संप्रदाय के प्रमुख संत रामभद्राचार्य और बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने जनसमुदाय को हिंदुत्व पर एकजुट होने और सामाजिक एकता के लिए प्रेरित किया। विद्याधर नगर स्टेडियम में सालासर बालाजी धाम गौशाला और स्टेडियम आयोजन समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कथा का यह आठवां दिन था। यहां उन्होंने धर्म, समाज और राजनीति के विभिन्न पहलुओं पर अपनी बात रखी और हिंदू समाज के प्रति अपनी चिंता व्यक्त की।

रामभद्राचार्य का मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से संवाद

रामभद्राचार्य ने जयपुर के इस कार्यक्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से विशेष वार्ता की। उन्होंने मुख्यमंत्री को पुरानी स्मृतियों में ले जाते हुए कहा, “मैं आपके शपथ ग्रहण समारोह में भी आया था। मैंने उस समय कहा था कि इस बार सत्ता ब्राह्मण को सौंपी जाए।” उन्होंने ‘गलता गद्दी’ के विवाद पर भी बात करते हुए इसे रामानंद संप्रदाय को सौंपने का अनुरोध किया। इस पर मुख्यमंत्री ने गुरु के आदेश का पालन करने का आश्वासन दिया और मंदिरों के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का अंधविश्वास और कट्टर हिंदुत्व पर दृष्टिकोण

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कथा में अंधविश्वास को त्यागने और कट्टर हिंदू बनने का संदेश दिया। उन्होंने अपने अनुयायियों को अपने शब्दों पर नहीं, बल्कि हिंदुत्व पर भरोसा करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि केवल कथा सुनने से समाज में बदलाव नहीं आएगा, बल्कि अब समाज के हर व्यक्ति को इस दिशा में योगदान देना होगा।

समाज में पिछड़ों को मुख्यधारा में लाने का संकल्प

धीरेंद्र शास्त्री ने समाज के पिछड़े वर्गों को गले लगाने और उन्हें हिंदुत्व के प्रति जागरूक करने का संकल्प लिया। उन्होंने मंच पर घोषणा की कि वे अब गांव-गांव जाकर ऐसे लोगों के साथ संवाद करेंगे जो समाज में हाशिए पर हैं। शास्त्री ने बताया कि गुरुदेव रामभद्राचार्य के आशीर्वाद से वे 50,000 हिंदुओं के साथ 160 किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे। उन्होंने बताया कि मंच पर केवल उच्च वर्ग के लोग ही नहीं बल्कि सभी को जोड़ा जाएगा।

हिंदू समाज की एकता पर जोर

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने हिंदू समाज के एकजुट होने की आवश्यकता पर बल दिया और ‘छेड़ोगे तो छोड़ा नहीं जाएगा’ का नारा दिया। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को जात-पात छोड़कर संगठित होना होगा ताकि देश में अन्य धार्मिक समुदायों के साथ सामाजिक समरसता बनी रहे। उन्होंने हिंदू समाज को जागरूक करने और खुद को कट्टर हिंदू के रूप में प्रस्तुत करने की बात कही।

विवादित मुद्दों पर कटाक्ष

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद पर टिप्पणी करते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि कुछ लोग अनुच्छेद 370 को पुनः लागू करने की बात कर रहे हैं, जो राष्ट्र की अखंडता के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “भारत को भारत ही रहने दिया जाए।”

शास्त्री ने बताया कि राजस्थान जैसे राज्यों में भी धार्मिक उन्माद की घटनाएं बढ़ रही हैं और इसे रोकने के लिए हिंदू समाज को एक होना होगा। उन्होंने भारतीय समाज को जात-पात से ऊपर उठकर हिंदू एकता की दिशा में बढ़ने का आह्वान किया।

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