मनीषा शर्मा। कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर मामले के विरोध में राजस्थान के विभिन्न जिलों में रेजिडेंट डॉक्टर पिछले 4-5 दिनों से हड़ताल पर हैं। शनिवार को सरकारी अस्पतालों के साथ प्राइवेट हॉस्पिटल्स के रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी कार्य बहिष्कार का ऐलान किया, जिससे ओपीडी, ओटी, और जांच सेवाएं बंद हो गईं। इस हड़ताल के चलते जोधपुर में 200 ऑपरेशन टाल दिए गए, जबकि अजमेर में मिलिट्री और रेलवे अस्पताल से डॉक्टरों की मदद मांगी गई है।
जयपुर में रेजिडेंट डॉक्टरों ने एसएमएस मेडिकल कॉलेज ग्राउंड से अमर जवान ज्योति तक पैदल मार्च किया। जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (जार्ड) के अध्यक्ष डॉ. मनोहर सियोल ने बताया कि उन्होंने एसीएस शुभ्रा सिंह से मुलाकात की और मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा। उन्होंने मांग की है कि डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए प्रदेश में एक सख्त कानून बने।
अलवर, जोधपुर, अजमेर और कोटा समेत अन्य जिलों में सरकारी और निजी अस्पतालों की सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं। जोधपुर के एमडीएम, एम्स, महात्मा गांधी और उम्मेद अस्पतालों में करीब 200 ऑपरेशन को स्थगित कर दिया गया। वहीं, अजमेर में जेएलएन अस्पताल की ओपीडी बंद रही। कोटा में भी ओपीडी सेवाएं 24 घंटे के लिए बंद हैं। सरकार ने इस हड़ताल को देखते हुए एक डेडिकेटेड स्टेट कंट्रोल रूम भी बनाया है, जिसमें राउंड द क्लॉक ड्यूटी लगाई गई है।
लैब टेक्नीशियन भी इस आंदोलन में शामिल हो गए हैं और वे काली पट्टी बांधकर विरोध जता रहे हैं। अलवर जिला अस्पताल की इमरजेंसी में एक ही डॉक्टर की उपस्थिति के कारण मरीजों को इलाज में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।