शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति में शिक्षा व्यवस्था और शिक्षकों की भर्ती को लेकर एक नया मुद्दा खड़ा हो गया है। हाल ही में राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस नेता गोविंद सिंह डोटासरा ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर पर कड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने स्कूल में लेडी टीचर के साथ घिनौनी हरकत करने वाले उस शिक्षक की सिफारिश को कॉर्डिनेटर पद पर नियुक्त करने की कोशिश की है। डोटासरा ने इस घटना को “शर्मनाक” करार दिया और आरोप लगाया कि ऐसे घृणित कृत्य के आरोपी शिक्षक का नाम सदन में लेना भी अनुचित है।
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में एक स्कूल में लेडी टीचर के साथ घिनौनी हरकत की घटना के बाद, सरकार ने आरोपी शिक्षक को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। लेकिन डोटासरा का कहना है कि इसके बावजूद, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने उस शिक्षक की सिफारिश को कॉर्डिनेटर के रूप में करने का प्रयास किया। उन्होंने जोर देकर कहा, “यह बहुत शर्मनाक बात है,” और आरोप लगाया कि ऐसे शिक्षक को कभी भी किसी जिम्मेदारी के पद पर नहीं देखा जाना चाहिए।
डोटासरा का सदन में जोरदार भाषण
3 फरवरी को राजस्थान विधानसभा में अपने संबोधन के दौरान, गोविंद सिंह डोटासरा ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के खिलाफ कड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि जिस शिक्षक के खिलाफ स्कूल में लेडी टीचर के साथ घिनौनी हरकत का मामला दर्ज हुआ है, उस शिक्षक को कॉर्डिनेटर बनाने की सिफारिश करना एक गंभीर चूक है। डोटासरा ने सदन में शिक्षा मंत्री के इस कदम पर कड़ी आलोचना करते हुए पूछा, “अखिर शिक्षा मंत्री का उस शिक्षक से क्या रिश्ता है?” उनका यह सवाल दर्शाता है कि वह इस विषय पर सख्त रुख अपनाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे शिक्षक का नाम सदन में लेना या किसी पद पर नियुक्त करना न केवल शिक्षण व्यवस्था की गरिमा को चोट पहुंचाता है, बल्कि इससे विद्यार्थियों और अभिभावकों का विश्वास भी कमजोर होता है। डोटासरा ने शिक्षा मंत्री के खिलाफ अपने तंज भरे बयान में यह भी कहा कि अगर ऐसे मामलों में कोई सुधार नहीं किया जाता, तो शिक्षा व्यवस्था की स्थिति और बिगड़ सकती है।
डोटासरा ने मंत्री पर किया निशाना
डोटासरा ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के बयान पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि जब भी शिक्षा से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं, तो मंत्री अक्सर मुख्यमंत्री पर टाल देते हैं या कहते हैं कि “समय आने पर जवाब दूंगा।” डोटासरा ने मंत्री को याद दिलाते हुए कहा कि उन्होंने ऐसे बयान देकर जनता के बीच असमंजस पैदा किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे उटपटांग और असंयमित बयान देश की शिक्षा व्यवस्था के लिए घातक हैं। डोटासरा ने आगे यह भी कहा कि अगर मंत्री को अपनी बातों में इतनी सटीकता और स्पष्टता होती, तो उन्हें प्रमोशन करके डिप्टी सीएम भी बना दिया जाता। इस तरह के तंजों के जरिए डोटासरा ने मंत्री के खिलाफ न केवल शिक्षा व्यवस्था की आलोचना की, बल्कि सरकारी नीतियों और भर्ती प्रक्रिया पर भी प्रश्न उठाए।
शिक्षा व्यवस्था में भर्ती और अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की स्थिति
राजस्थान में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति पर डोटासरा ने गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोलकर एक अलग कैडर बनाया था, जिसके तहत 3737 स्कूलों में 7 लाख से अधिक बच्चे पढ़ रहे थे। डोटासरा का कहना है कि इन स्कूलों की स्थापना और शिक्षक नियुक्ति में काफी मेहनत और योजना थी। वहीं, पिछले एक साल में भाजपा सरकार ने एक भी नया शिक्षक नियुक्त नहीं किया। शिक्षक पदों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा और इंटरव्यू लेने में पूरा एक साल लगा दिया गया, जिससे शिक्षा व्यवस्था में और अधिक खामियाँ सामने आई हैं। डोटासरा ने सरकार पर यह आरोप लगाया कि स्कूल बंद करने की बात करने के बजाय, यदि कोई कमी हो तो उसे सुधारने की बजाय उसे छुपाने की कोशिश की जा रही है।
शिक्षकों के पदों की स्थिति और आंकड़ों में असंगतता
राज्य में शिक्षकों के पदों की स्थिति पर भी डोटासरा ने कड़ा वार किया। उन्होंने बताया कि प्रदेश में सवा लाख शिक्षकों के पद खाली हैं। डोटासरा ने विभिन्न क्षेत्रों के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्वाचन क्षेत्र में 14 प्रतिशत, डिप्टी सीएम कुमारी के क्षेत्र में 18 प्रतिशत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के क्षेत्र में 30 प्रतिशत और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के निर्वाचन क्षेत्र में 21 प्रतिशत पद खाली हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि इतने सारे खाली पद होने के बावजूद सरकार नई भर्ती करने में इतना विलंब क्यों कर रही है। डोटासरा का कहना था कि अलग-अलग सरकारी विज्ञापनों, मुख्यमंत्री के ट्वीट और राज्यपाल के अभिभाषण में एकरूपता नहीं है। यह असंगतता शिक्षा व्यवस्था में भ्रष्टाचार और गैरजिम्मेदाराना रवैये का प्रमाण है।
क्यों हो रही है ये व्यवस्था?
डोटासरा के अनुसार, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के बयान और उनके उन नीतिगत कदमों से यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार की सख्त जरूरत है। उनका आरोप है कि मंत्री ऐसे शिक्षक की सिफारिश करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसने पहले ही घिनौनी हरकत की थी, जिससे यह सवाल उठता है कि मंत्री का उनके प्रति क्या रिश्ता है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में सरकार की नीति न केवल शिक्षा के क्षेत्र में असंतुलन पैदा कर रही है, बल्कि इससे विद्यार्थियों के भविष्य पर भी गहरा असर पड़ रहा है। डोटासरा का मानना है कि सरकारी अधिकारियों को शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखनी चाहिए, ताकि किसी भी तरह के अनुचित कदमों को रोका जा सके।