शोभना शर्मा । अमित शाह द्वारा बाबा साहब भीमराव अंबेडकर पर की गई टिप्पणी को लेकर देशभर में कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन किया। इसी कड़ी में राजधानी जयपुर के शहीद स्मारक पर आयोजित धरना-प्रदर्शन में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखे हमले किए। इस प्रदर्शन में राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट, पीसीसी प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली जैसे दिग्गज नेताओं ने भाग लिया। इस मौके पर नेताओं ने एकजुट होकर केंद्र सरकार और बीजेपी पर अंबेडकर के खिलाफ षड्यंत्र रचने और संविधान बदलने की साजिश करने का आरोप लगाया।
डोटासरा का तीखा हमला: “मोदी का मूल मंत्र लूटों, छीनों और खाओ”
धरने के दौरान पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने अपने चिर-परिचित अंदाज में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि मोदी सरकार का मूल मंत्र अब “लूटों, छीनों और खाओ” बन गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि देश के संसाधनों को अडाणी जैसे उद्योगपतियों को बेचा जा रहा है। उन्होंने कहा, “देश का खजाना अडाणी के हवाले किया जा रहा है, लेकिन बीजेपी और मोदी सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है।” डोटासरा ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा संसद में बाबा साहब अंबेडकर पर की गई टिप्पणी को “असहनीय” बताते हुए कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि बीजेपी बाबा साहब अंबेडकर और उनके बनाए संविधान को कमजोर करना चाहती है। डोटासरा ने अमित शाह से तुरंत माफी मांगने की मांग की और कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया, तो कांग्रेस का विरोध और तेज होगा।
“अंबेडकर-अंबेडकर क्या फैशन लगा रखा है?” पर डोटासरा का पलटवार
डोटासरा ने संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए बयान “अंबेडकर-अंबेडकर क्या फैशन लगा रखा है?” पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने पलटवार करते हुए कहा, “अगर अंबेडकर का नाम लेना फैशन है, तो बीजेपी ने भी ‘गोडसे-गोडसे’ का नारा लगा रखा है।” डोटासरा ने सवाल उठाया कि क्या बीजेपी और मोदी सरकार देश को गोडसे की विचारधारा पर चलाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अंबेडकर और महात्मा गांधी जैसे महान नेताओं के प्रति बीजेपी का विरोध उनकी संविधान बदलने की मंशा को दर्शाता है।
गहलोत ने साधा केंद्र सरकार पर निशाना
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदर्शन के दौरान कहा कि देश के मौजूदा हालात बेहद चिंताजनक हैं। उन्होंने कहा कि संविधान को कमजोर करने की साजिशें हो रही हैं, और केंद्र सरकार अंबेडकर के विचारों के खिलाफ काम कर रही है। गहलोत ने अमित शाह और बीजेपी पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि ये लोग अंबेडकर की विरासत और उनके योगदान को मिटाना चाहते हैं। गहलोत ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार का एकमात्र उद्देश्य है “देश के गरीब और पिछड़े वर्ग को कमजोर करना।” उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस ने समय रहते विरोध नहीं किया, तो यह सरकार संविधान को बदलकर अपने एजेंडे को लागू कर देगी।
सचिन पायलट का बीजेपी पर हमला
धरने में पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी केंद्र सरकार और बीजेपी की तीखी आलोचना की। पायलट ने कहा कि बीजेपी संविधान और लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, “अंबेडकर ने जो संविधान हमें दिया, वही हमारे देश की ताकत है। लेकिन बीजेपी इसे बदलने का हर संभव प्रयास कर रही है।” पायलट ने अडाणी और मोदी सरकार के बीच की नजदीकी को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह सरकार केवल उद्योगपतियों के हित में काम कर रही है और देश की जनता को धोखा दे रही है।
“संविधान बचाओ” का नारा
धरने में शामिल सभी नेताओं ने एक सुर में कहा कि कांग्रेस का उद्देश्य संविधान को बचाना है। नेताओं ने कहा कि बीजेपी की नीतियां देश को गोडसे की विचारधारा पर चलाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने जनता से आह्वान किया कि वे बीजेपी के इस षड्यंत्र को समझें और कांग्रेस का समर्थन करें।
क्या था अमित शाह का बयान?
गौरतलब है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में संसद में अंबेडकर के संदर्भ में कुछ टिप्पणी की थी, जिसे कांग्रेस ने संविधान और अंबेडकर की विरासत पर हमला बताया। कांग्रेस ने इसे असंवैधानिक करार दिया और बीजेपी से अंबेडकर पर अपनी राय स्पष्ट करने को कहा।
कांग्रेस का राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन
जयपुर के शहीद स्मारक पर हुए इस प्रदर्शन के साथ ही देशभर में कांग्रेस ने प्रदर्शन किया। दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ और अन्य बड़े शहरों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बीजेपी और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि अगर अमित शाह और बीजेपी ने अपने बयान पर माफी नहीं मांगी, तो यह आंदोलन और तेज होगा।
बीजेपी का पलटवार
कांग्रेस के इन आरोपों पर बीजेपी ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। बीजेपी ने कांग्रेस पर राजनीति करने और अंबेडकर का नाम केवल राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। हालांकि, इस बहस ने देश में एक बार फिर से संविधान और अंबेडकर की विचारधारा को लेकर चर्चा को तेज कर दिया है।