latest-newsअलवरउदयपुरजयपुरझुंझुनूदौसाराजनीतिराजस्थानसीकर

बिजली बिलों में बढ़ोतरी और निजीकरण पर डोटासरा का कड़क हमला

बिजली बिलों में बढ़ोतरी और निजीकरण पर डोटासरा का कड़क हमला

शोभना शर्मा।  राजस्थान विधानसभा में बिजली मुद्दे पर आज एक कड़क बयान ने पूरे राजनीतिक वातावरण को हिला कर रख दिया। कांग्रेस नेता और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बिजली के बिलों में 2-2 हजार रुपए तक की बढ़ोतरी की गई है, जिसके चलते आम जनता, किसानों और दलित वर्ग को भारी आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है। डोटासरा ने आरोप लगाया कि सरकार न केवल बिजली के निजीकरण की ओर बढ़ रही है, बल्कि महंगे कोयले की खरीद भी कर रही है, जिससे बिजली की उचित आपूर्ति में बाधा उत्पन्न हो रही है।

विधानसभा में इस दौरान डोटासरा ने जमकर सरकार के खिलाफ बोलते हुए कहा, “आप लोग अब बिजली निजी क्षेत्र को दे रहे हो, यह प्राइवेट वाले तो अब लोगों के, दलितों के, किसानों के लट्ठ मारेंगे।” डोटासरा का यह बयान सुनते ही सभा में गरमागरम चर्चा छिड़ गई। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने 100, 200 या 500 रुपए नहीं, बल्कि 2-2 हजार रुपए तक की बढ़ोतरी कर दी है, जिससे आम जनता की परेशानियाँ दोगुनी हो गई हैं।

डोटासरा ने इस मुद्दे पर जोर देकर कहा कि बिजली के बिलों में इतनी बढ़ोतरी का सीधा असर आम जनता पर पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि पहले जब घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों को बिजली पर सब्सिडी दी जाती थी, तो उन्हें काफी राहत मिलती थी। लेकिन अब सरकार के आने के बाद से न केवल बिलों में वृद्धि हुई है, बल्कि बिजली वितरण में भी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। किसानों के क्षेत्र में तो यह समस्या और भी गंभीर हो गई है, क्योंकि उन्हें दिन के चार घंटे से भी कम ही बिजली मिल पाती है।

इसके साथ ही, डोटासरा ने महंगे कोयले की खरीद पर भी सरकार पर कड़ा निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “आपके मंत्री तो कह रहे हैं कि इस झमेले को खत्म करो, समाप्त करो इस सब्सिडी को,” परंतु असल में ऐसा करते-करते महंगे दामों पर कोयला खरीदने का मामला सामने आया है। डोटासरा ने इस बात पर चुटकी लेते हुए सवाल उठाया, “कहां से यह मॉडल लेकर आए हो?” यह सवाल सरकार के लिए काफी चिंता का विषय बन चुका है।

विधानसभा में डोटासरा ने विस्तार से बताया कि कैसे बिजली व्यवस्था के मामलों में सरकार ने नीतिगत बदलाव किए हैं, जो कि आम जनता की जरूरतों के अनुरूप नहीं हैं। उन्होंने कहा कि “आप लोग कहते हैं कि बिजली आ रही है… बिजली आ रही है, लेकिन हमारे समय की समस्या यह थी कि हमें कोयला नहीं मिल रहा था। जब से आपकी सरकार आई है, छत्तीसगढ़ से कोयला आना शुरू हो गया है, लेकिन इसके बावजूद बिजली का वितरण और बिलों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है।”

डोटासरा ने आगे आरोप लगाया कि सरकार अब बिजली को निजी क्षेत्र को सौंपकर लोगों के हितों की अनदेखी कर रही है। उनके अनुसार, निजीकरण की नीति के तहत बिजली सेवा प्रदाता केवल मुनाफे के पीछे भागेंगे और इस प्रक्रिया में गरीब, दलित और किसानों जैसे कमजोर वर्गों की हालत और भी खराब कर देंगे। “यह प्राइवेट वाले तो अब लोगों के लट्ठ मारेंगे,” उनका यह कड़क बयान जनता में गहरी असंतोष की लहर पैदा कर रहा है।

विधानसभा में इस बीच विपक्ष के अन्य नेता भी महंगे कोयले की खरीद और बिजली वितरण में हुई समस्याओं पर सवाल उठाते रहे। उपनेता प्रतिपक्ष रामकेश मीणा ने महंगे दामों पर कोयले की खरीद का मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार ने कोल ब्लॉक अडाणी की कंपनी को दिए हैं, जिसके चलते महंगे दामों पर कोयला सप्लाई हो रहा है। मीणा ने सरकार से पूछताछ की मांग की कि क्या इस मामले की गंभीर जांच की जाएगी या नहीं।

इस मुद्दे पर बिजली मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि कई बार जांच हो चुकी है और उसकी कॉपी मुहैया करवा दी जाएगी। हालांकि, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने डांटते हुए कहा कि मंत्री को स्पष्ट जवाब देना चाहिए कि क्या जांच करवाई जाएगी या नहीं। इस पर स्पीकर वासुदेव देवनानी ने आश्वासन दिया कि जांच करवा दी जाएगी, जिससे मामला और भी गंभीर हो गया।

डोटासरा ने विधानसभा में अपने बयान के माध्यम से सरकार की उन नीतियों पर सवाल उठाए जो बिजली के बिलों और वितरण से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि जब सरकार सत्ता में आई है, तो सिर्फ़ रीट (बजट रेट) के लिए ढोल पीटा जा रहा है, लेकिन आम जनता की समस्याओं को नज़रअंदाज किया जा रहा है। उनके अनुसार, बिजली बिलों में हुई बढ़ोतरी और महंगे कोयले की खरीद के पीछे सरकार की लापरवाही और नीति में बदलाव का सीधा संबंध है।

उनका जोर था कि यदि सरकार इसी प्रकार जनता की समस्याओं को अनदेखा करती रही, तो बिजली का निजीकरण जल्द ही एक ऐसा मॉडल बन जाएगा जिससे गरीब, दलित और किसानों को भारी नुकसान होगा। डोटासरा ने कहा, “आपके मंत्री कह रहे हैं कि इस झमेले को खत्म करो, लेकिन सब्सिडी हटाने और बिलों में बढ़ोतरी करने से आम जनता पर भारी असर पड़ेगा।”

विधानसभा में डोटासरा का यह कड़क बयान सरकार के लिए एक चेतावनी बन चुका है। उन्होंने बताया कि इस बढ़ोतरी से न केवल घरेलू उपभोक्ता परेशान हैं, बल्कि किसान भी बिजली की कमी से जूझ रहे हैं। किसानों के क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति में हो रही कमी से उनकी खेती पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है, जिससे कृषि उत्पादन में गिरावट आ सकती है।

साथ ही, महंगे कोयले की खरीद और बिजली वितरण की समस्याएँ सरकार के आर्थिक प्रबंधन पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती हैं। डोटासरा ने स्पष्ट किया कि इन समस्याओं का समाधान करने के बजाय सरकार अपने हितों के लिए ऐसा कदम उठा रही है जिससे निजी क्षेत्र का लाभ बढ़ेगा। उनके अनुसार, निजीकरण की नीति अपनाकर सरकार जनता के विश्वास को ठेस पहुँचा रही है और समाज के कमजोर वर्गों के लिए अत्यधिक हानिकारक सिद्ध होगी।

यह मामला न केवल बिजली बिलों में हुई बढ़ोतरी और महंगे कोयले की खरीद के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे सरकारी नीतियों में बदलाव आम जनता के जीवन पर गहरा असर डाल रहे हैं। डोटासरा का आरोप है कि सरकार के ये कदम सीधे तौर पर जनता, किसानों और दलितों की आर्थिक स्थिति को प्रभावित कर रहे हैं।

राजस्थान विधानसभा में आज के इस बयान ने न केवल सरकार के खिलाफ जन आक्रोश को बढ़ाया है, बल्कि यह सवाल भी उठाया है कि क्या सरकार ने जनता की समस्याओं को समझते हुए उचित कदम उठाए हैं या नहीं। डोटासरा का यह कड़क हमला आने वाले दिनों में बिजली व्यवस्था और आर्थिक नीतियों पर विस्तृत जांच और चर्चा का विषय बन सकता है।

इस बीच, विपक्ष और आम जनता की नजरें सरकार की इन नीतियों पर लगी हुई हैं। यदि बिजली के बिलों में और बढ़ोतरी होती है और महंगे कोयले की खरीद जारी रहती है, तो यह जनता के लिए अत्यंत हानिकारक सिद्ध हो सकता है। डोटासरा ने स्पष्ट किया कि ऐसे कदम उठाने से सरकार को जल्दी ही जनता का विरोध झेलना पड़ सकता है, जिससे राजनीतिक माहौल में और असंतुलन पैदा होगा।

अंततः, आज विधानसभा में डोटासरा का यह जोरदार बयान सरकार के आर्थिक प्रबंधन और नीतिगत निर्णयों पर गहरा प्रश्न खड़ा करता है। उनकी यह बात न केवल बिजली के निजीकरण के खिलाफ एक कड़क बयान है, बल्कि यह सरकार की जिम्मेदारियों और नीतियों पर भी गंभीर सवाल उठाती है, जो आने वाले समय में जनता और विपक्ष के बीच चर्चा का मुख्य विषय बन सकती है।

post bottom ad

Discover more from MTTV INDIA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading