शोभना शर्मा। जयपुर के जयपुरिया अस्पताल में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां अधीक्षक महेश मंगल का ड्राइवर नाहर सिंह न केवल इमरजेंसी वार्ड में आता है, बल्कि मरीजों को इंजेक्शन लगाने का काम भी कर रहा है। इस घटना से अस्पताल का नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टर दोनों परेशान हैं। ड्राइवर की इस हरकत का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जिसमें वह मरीजों का इलाज करता और दवाइयां देता दिखाई दे रहा है।
अधीक्षक ने दी प्रतिक्रिया
जब इस मामले पर अधीक्षक डॉक्टर महेश मंगल से पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है। उन्होंने वादा किया कि जल्द ही जांच कराई जाएगी और अगर आरोप सही पाए गए तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। उनका कहना है कि स्वास्थ्य सेवा के इस स्तर पर ऐसी लापरवाही अस्वीकार्य है और इसे रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।
स्टाफ ने जताई नाराजगी
अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों के बीच ड्राइवर की इस हरकत को लेकर काफी नाराजगी है, लेकिन वे कुछ बोलने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि नाहर सिंह अस्पताल के अधीक्षक का निजी ड्राइवर है। स्टाफ के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नाहर सिंह पिछले कुछ महीनों से वार्ड में नियमित रूप से आता है और मरीजों से बातचीत कर उन्हें इंजेक्शन लगाने और दवाइयां देने का काम करता है। इतना ही नहीं, वह इमरजेंसी में भी आकर मरीजों को बिना किसी चिकित्सा योग्यता के इलाज कर रहा है।
सुरक्षा और स्टाफ से विवाद
करीब एक महीने पहले देर रात वार्ड में स्टाफ और सुरक्षा गार्ड के साथ ड्राइवर नाहर सिंह का विवाद भी हुआ था। हालांकि, इस विवाद के बाद भी उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिससे स्टाफ के मन में डर और असंतोष बढ़ता जा रहा है। ड्राइवर की यह गतिविधियां लगातार अस्पताल के वातावरण को तनावपूर्ण बना रही हैं।
प्राइवेट अस्पताल में रेफर करने की कोशिश
इसके अलावा, स्टाफ ने यह भी आरोप लगाया है कि नाहर सिंह मरीजों से बात करके उन्हें निजी अस्पतालों में शिफ्ट करने की सलाह देता है। वह खासकर दूसरे राज्यों से आए मरीजों को सरकारी एंबुलेंस के जरिए निजी अस्पतालों में भर्ती कराने की कोशिश करता है। यह ड्राइवर दिन में अधीक्षक की गाड़ी चलाता है और रात में सरकारी एंबुलेंस का उपयोग करता है। इस तरह के मामलों से मरीजों की सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
मरीजों की जान को खतरा
स्टाफ के अनुसार, कई बार नाहर सिंह द्वारा दी गई दवाइयां और इंजेक्शन मरीजों की स्थिति को खराब कर देते हैं। खासकर वे मरीज जो बाहर से आते हैं और अस्पताल की स्थिति से अनजान होते हैं, वे ड्राइवर की बातों में आकर बिना किसी डॉक्टर की सलाह के दवाइयां खरीदकर ले लेते हैं। यह स्थिति कई बार मरीजों की जान को खतरे में डाल सकती है।
जांच और कार्रवाई की मांग
अस्पताल के स्टाफ और डॉक्टरों की तरफ से इस मामले में उच्च स्तरीय जांच और कठोर कार्रवाई की मांग की जा रही है। जयपुरिया अस्पताल में इस तरह की लापरवाही से स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। अगर यह स्थिति जारी रही, तो मरीजों की सुरक्षा को बड़ा खतरा हो सकता है।