मनीषा शर्मा। राजस्थान के जोधपुर में अग्निवीर भर्ती परीक्षा के दौरान एक चौंकाने वाला फर्जीवाड़े का मामला सामने आया। मेडिकल टेस्ट के समय असली उम्मीदवार ने अपनी जगह डमी कैंडिडेट भेज दिया और खुद फरार हो गया। इस घटना ने सेना की भर्ती प्रक्रिया में सुरक्षा और सत्यापन के महत्व को एक बार फिर उजागर कर दिया है।
घटना 20 दिसंबर 2024 की है, जब अग्निवीर भर्ती परीक्षा का मेडिकल टेस्ट आयोजित किया जा रहा था। यह परीक्षा 5 से 13 दिसंबर तक राजकीय शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय में आयोजित की गई थी, जिसमें पहले चरण में सफल रहे उम्मीदवारों को मेडिकल परीक्षण के लिए बुलाया गया। आरोपी कुलदीप आमना, जो मतोड़ा थाना क्षेत्र के पल्ली गांव का निवासी है, ने अपनी जगह अपने मित्र मुकेश चौधरी को भेजकर मेडिकल टेस्ट देने का प्रयास किया।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा उजागर?
मेडिकल टेस्ट से पहले कुलदीप ने बायोमेट्रिक सत्यापन प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद वह वॉशरूम जाने का बहाना बनाकर वहां से भाग गया। इस दौरान उसने अपने मित्र मुकेश को अंदर भेज दिया। मेडिकल टेस्ट के दौरान सेना के लेफ्टिनेंट ने मुकेश के हाथ पर पेन से बनी एक मोहर देखी, जिससे उन्हें संदेह हुआ।
शंका होने पर मुकेश का दोबारा बायोमेट्रिक और रेटिना स्कैन किया गया। जांच में दोनों डेटा मेल नहीं खा रहे थे। इसके बाद डॉक्टरों और अधिकारियों ने मुकेश से पूछताछ की। पूछताछ के दौरान मुकेश ने सारी सच्चाई बयां कर दी और बताया कि वह कुलदीप का मित्र है और उसकी जगह मेडिकल टेस्ट देने आया था।
आरोपी ने क्यों किया ऐसा?
प्रारंभिक जांच में सामने आया कि कुलदीप को अपनी आंखों की समस्या के कारण मेडिकल टेस्ट में असफल होने का डर था। इस डर के चलते उसने अपने मित्र मुकेश को डमी कैंडिडेट के रूप में भेजा। कुलदीप को उम्मीद थी कि यह योजना सफल हो जाएगी और वह भर्ती प्रक्रिया में आगे बढ़ सकेगा।
पुलिस ने दर्ज किया मामला
फर्जीवाड़े का पता चलते ही सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल ने इस मामले की जानकारी रातानाडा पुलिस थाने को दी। पुलिस ने मुकेश चौधरी को गिरफ्तार कर लिया और कुलदीप आमना के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। फिलहाल पुलिस कुलदीप की तलाश कर रही है, जो घटना के बाद से फरार है।
सेना की सख्ती और सत्यापन प्रक्रिया
यह मामला सेना की भर्ती प्रक्रिया के सख्त नियमों और सत्यापन प्रणाली की सफलता को दर्शाता है। बायोमेट्रिक और रेटिना स्कैन जैसे आधुनिक तकनीकी उपकरणों की मदद से डमी कैंडिडेट की पहचान तुरंत हो गई।
फर्जीवाड़े के प्रभाव और नतीजे
इस तरह की घटनाएं न केवल भर्ती प्रक्रिया की पवित्रता को प्रभावित करती हैं, बल्कि योग्य उम्मीदवारों के अवसर भी छीन सकती हैं। सेना ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है।