शोभना शर्मा। भारत सरकार ने टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत भीलवाड़ा और झुंझुनू जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में एक नई पहल की शुरुआत की है। इस प्रोजेक्ट के तहत अब 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी बीसीजी (बेसिलस कैल्मेट-गुएरिन) का टीका लगाया जाएगा। भीलवाड़ा जिले में लगभग 6 लाख लोगों को इस पायलट प्रोजेक्ट का लाभ मिलेगा। अभी तक बीसीजी टीकाकरण बच्चों के जन्म के समय किया जाता था, लेकिन अब इसे वयस्कों के लिए भी लागू किया जा रहा है।
क्यों जरूरी है यह पहल?
सीएमएचओ डॉ. के गोस्वामी के अनुसार, यह कदम टीबी की प्रीवेलेंस रेट को कम करने के लिए उठाया गया है। पहले केवल बच्चों को ही टीबी से बचाने के लिए टीकाकरण किया जाता था, लेकिन अब इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत वयस्कों को भी टीका लगाया जाएगा। भीलवाड़ा जिला, जो एक प्रमुख टैक्सटाइल्स नगरी है और जहां श्रमिकों की संख्या काफी अधिक है, को इस प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है। यहां के लोगों को बीसीजी टीका लगने से टीबी की रोकथाम में मदद मिलेगी।
कैसे होगा सर्वे और टीकाकरण?
अभियान के तहत आशा वर्कर घर-घर जाकर सर्वे कर रही हैं। सर्वे के बाद चुने गए लोगों को बीसीजी का टीका लगाया जाएगा। अगले महीने से टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है। यह अभियान पूरी तरह से सरकार द्वारा निगरानी में चलाया जाएगा, और टीका लगने के बाद भी लोगों की स्वास्थ्य स्थिति पर नजर रखी जाएगी।
बीसीजी टीकाकरण के फायदे
बीसीजी वैक्सीन बच्चों को टीबी से बचाने में सक्षम है, और अब वयस्कों में भी इसे लागू किया जा रहा है ताकि वे भी इस गंभीर बीमारी से बच सकें। वयस्कों में यह टीकाकरण पूरी तरह से सुरक्षित है। टीका लगाने के बाद यदि किसी व्यक्ति में कोई साइड इफेक्ट्स या लक्षण दिखाई देते हैं, तो उनका इलाज किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से सरकार का लक्ष्य टीबी की बीमारी को जड़ से खत्म करना है।
कौन लोग होंगे इस टीकाकरण के पात्र?
बीसीजी वैक्सीनेशन के तहत छह प्रकार की श्रेणियों को चिन्हित किया गया है। सर्वे में इन श्रेणियों के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी। स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर इस सर्वे को पूरा करेंगे और उसके बाद टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू होगी।