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रणथंभौर में प्रियंका गांधी: परिवार के साथ टाइगर सफारी का लुत्फ

रणथंभौर में प्रियंका गांधी: परिवार के साथ टाइगर सफारी का लुत्फ

मनीषा शर्मा। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अपने परिवार के साथ राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व में छुट्टियां मना रही हैं। मंगलवार दोपहर करीब 12:30 बजे प्रियंका गांधी अपनी सास मोरिन वाड्रा, पति रॉबर्ट वाड्रा, बेटे रेहान वाड्रा और बेटी निराया वाड्रा के साथ सवाई माधोपुर पहुंचीं। प्रियंका गांधी ने यहां तारा होटल शेरबाग में ठहरने का विकल्प चुना, जो उनकी पसंदीदा जगहों में से एक है।

रणथंभौर में तीन दिन के प्रवास के दौरान प्रियंका गांधी और उनका परिवार सुबह और शाम की पारी में टाइगर सफारी का आनंद लेगा। सफारी के दौरान प्रियंका गांधी जंगल की खूबसूरती और बाघों की तस्वीरें लेने के लिए उत्सुक रहती हैं। बता दें कि प्रियंका गांधी इससे पहले भी कई बार रणथंभौर आ चुकी हैं और यहां अपने जन्मदिन का जश्न भी मना चुकी हैं।

रणथंभौर की खासियत:

रणथंभौर टाइगर रिजर्व देश के सबसे मशहूर टाइगर अभ्यारण्यों में से एक है। 1700 वर्ग किलोमीटर में फैले इस क्षेत्र में वर्तमान में 75 बाघ, बाघिन और शावक मौजूद हैं। एक अक्टूबर से टूरिस्ट सीजन शुरू होने के बाद, यहां हजारों पर्यटक टाइगर सफारी के लिए आते हैं। सुबह 6 से 9 बजे और दोपहर 3 से 6 बजे की दो पारियों में सफारी होती है।

रणथंभौर का महत्व न केवल बाघों की उपस्थिति के लिए है, बल्कि यह राजस्थान के पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा देता है। साल 2024 में यहां से लगभग 600 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है।

प्रियंका गांधी का रणथंभौर प्रेम:

प्रियंका गांधी पिछले 12 वर्षों से हर साल अपने बच्चों के साथ रणथंभौर का दौरा कर रही हैं। उन्होंने इस अनुभव को अपनी किताब “The Tiger’s Realm” में भी साझा किया है। उनके बेटे रेहान वाड्रा ने यहां खींचे गए टाइगर की तस्वीरों की प्रदर्शनी भी लगाई थी।

राजस्थान में बाघों की स्थिति:

राजस्थान में वर्तमान में 100 से ज्यादा बाघ हैं, जिनमें से अधिकतर का मूल घर रणथंभौर है। 2010 के बाद से किए गए संरक्षण प्रयासों के कारण अब राजस्थान के अलवर, करौली, कोटा, बूंदी और उदयपुर जैसे जिलों में भी बाघ पाए जाते हैं।

रणथंभौर के साथ प्रियंका का ऐतिहासिक रिश्ता:

रणथंभौर पार्क पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भी बेहद पसंद था। उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए इसके संरक्षण के लिए कई कार्य किए। यही कारण है कि राजस्थान सरकार ने इस पार्क का नाम राजीव गांधी टाइगर रिजर्व करने की योजना बनाई थी, लेकिन राजनीतिक कारणों से यह संभव नहीं हो पाया।

 

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