मनीषा शर्मा। राजस्थान सरकार के एक वर्ष के सफल कार्यकाल के अवसर पर जयपुर के ददिया में आयोजित ‘एक वर्ष-परिणाम उत्कर्ष’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में एक ऐतिहासिक समझौता संपन्न हुआ। यह समझौता पार्वती, चंबल और कालीसिंध नदियों के जल को उपयोगी बनाते हुए राजस्थान और मध्यप्रदेश के 21 और 11 जिलों को पेयजल, सिंचाई और औद्योगिक जल उपलब्ध कराने हेतु किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर इसे “एक असाधारण घटना” बताया। उन्होंने मंच से कहा कि यह तस्वीर भारत की राजनीति के लिए एक नई मिसाल है, जिसमें दो राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री एक साथ आए हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि यदि राजस्थान और मध्यप्रदेश ऐसा कर सकते हैं, तो अन्य राज्य क्यों नहीं?
परियोजना का उद्देश्य और लाभ
इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य राजस्थान और मध्यप्रदेश के उन क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना है, जहां आज भी पानी की कमी एक विकराल समस्या बनी हुई है। चंबल और इसकी सहायक नदियों जैसे पार्वती, कालीसिंध, बनास, बाणगंगा, गंभीरी, रूपरेल और मेज नदियों को आपस में जोड़ने का प्रावधान है। इस महत्वाकांक्षी योजना से राजस्थान के 21 और मध्यप्रदेश के 11 जिलों में निम्नलिखित लाभ होंगे:
- सिंचाई हेतु पानी: इस परियोजना से किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा, जिससे कृषि उत्पादकता में वृद्धि होगी।
- पेयजल आपूर्ति: लाखों लोगों को स्वच्छ और पर्याप्त पेयजल मिलेगा।
- औद्योगिक जल: उद्योगों के लिए जल उपलब्ध होने से औद्योगिक विकास को बल मिलेगा।
- जल संरक्षण: नदियों के अतिरिक्त जल को संरक्षित कर सूखाग्रस्त क्षेत्रों में भेजा जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आने वाले वर्षों में राजस्थान में पानी की कमी नहीं होगी। उन्होंने नदियों को जोड़ने की योजना के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह परियोजना राजस्थान के उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित करेगी।
पानी का महत्व और अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि राजस्थान के लोग पानी का महत्व बेहतर तरीके से समझते हैं। यहां के कुछ क्षेत्रों में पानी की इतनी किल्लत होती है कि सूखा पड़ता है, जबकि दूसरी तरफ नदियों का पानी बेकार में समुद्र में चला जाता है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा कि नदियों को जोड़ने का सपना उन्होंने देखा था और इसके लिए एक समिति भी गठित की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार नदियों को जोड़ने की परियोजना का समर्थन किया है। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने इस सपने को साकार करने का काम शुरू किया है।
कांग्रेस पर सियासी हमला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने कभी पानी की समस्या को हल करने की मंशा नहीं दिखाई। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के समय में नदियों का पानी सीमा पार चला जाता था, लेकिन किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिलता था।
मोदी ने कहा, “कांग्रेस की नीति विवाद बढ़ाने की रही है। उन्होंने राज्यों के बीच जल विवाद को बढ़ावा दिया। राजस्थान ने कांग्रेस की इस कुनीति का खामियाजा भुगता है।”
उन्होंने सरदार सरोवर बांध का उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस और कुछ एनजीओ ने इस परियोजना को रोकने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए। मोदी ने कहा कि आलोचनाओं के बावजूद उन्होंने पानी पहुंचाने के लिए संघर्ष किया।
वसुंधरा राजे और भैरोसिंह शेखावत का जिक्र
अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भैरोसिंह शेखावत का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि नर्मदा बांध का पानी राजस्थान तक पहुंचने के बाद भैरोसिंह शेखावत गुजरात आए थे और उन्होंने वहां के लोगों और सरकार का धन्यवाद किया था।
ERCP को लेकर कांग्रेस की भूमिका
मोदी ने कहा कि ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ERCP) कांग्रेस की लापरवाही का शिकार रहा। कांग्रेस ने इसे वर्षों तक लटकाए रखा, लेकिन भाजपा की सरकार ने आते ही इस परियोजना को मंजूरी देकर किसानों को राहत पहुंचाई। मोदी ने कहा कि भाजपा की सरकार संवाद की नीति पर काम करती है, न कि विवाद की।
सौर ऊर्जा में राजस्थान की भूमिका
प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान में हो रहे सौर ऊर्जा कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि देशभर में 7 लाख से अधिक घरों में सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं। इनमें राजस्थान के 20,000 घर शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सरकार पीएम कुसुम योजना के तहत किसानों के खेतों में सोलर पैनल लगाने के लिए मदद दे रही है।
परिवहन और कनेक्टिविटी
प्रधानमंत्री ने कहा कि राजस्थान को सड़क, रेल और हवाई सेवाओं के माध्यम से देश के अन्य औद्योगिक केंद्रों से जोड़ने का संकल्प है। उन्होंने कहा कि राजस्थान, दिल्ली, वडोदरा और मुंबई के बीच बन रहा एक्सप्रेसवे देश के सर्वश्रेष्ठ एक्सप्रेसवे में से एक है।
मेज नदी पर पुल बनने से सवाई माधोपुर और बूंदी के किसानों के लिए बड़ी मंडियों तक पहुंचना आसान हो जाएगा।