मनीषा शर्मा। नागौर के अठियासन की ढाणी निवासी फूलचंद ने एचडीबी फाइनेंशियल सर्विस के खिलाफ उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज की थी। मामला यह था कि फूलचंद ने इस कंपनी से लोन लिया हुआ था और हर महीने उनकी किस्तें यूनियन बैंक के खाते से ऑटोमेटिक कटती थीं। 31 दिसंबर को उनके खाते में पर्याप्त धनराशि होने के बावजूद फाइनेंस कंपनी ने किस्त देरी का हवाला देते हुए 93 रुपये की अतिरिक्त पेनल्टी लगा दी और एक किस्त को बकाया घोषित कर दिया। इस कारण न केवल फूलचंद का आर्थिक नुकसान हुआ बल्कि उनके सिबिल स्कोर पर भी नकारात्मक असर पड़ा।
इस मामले पर उपभोक्ता आयोग ने कंपनी के इस कदम को बैंकिंग नियमों के विरुद्ध और अनुचित ठहराया। आयोग के अध्यक्ष नरसिंह दास व्यास, सदस्य बलवीर खुड़खुड़कया और चंद्रकला व्यास ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि एचडीबी फाइनेंशियल सर्विस का यह कदम उपभोक्ताओं के विश्वास को ठेस पहुंचाने वाला है। आयोग ने आदेश दिया कि फाइनेंस कंपनी को फूलचंद को 3 हजार रुपये प्रतिकर के रूप में देने होंगे और 2 हजार रुपये परिवाद व्यय के रूप में अदा करने होंगे। इसके साथ ही 93 रुपये की पेनल्टी राशि ब्याज सहित वापस करने का भी आदेश दिया गया।
यह निर्णय न केवल फाइनेंस कंपनियों के अनुचित व्यवहार को उजागर करता है बल्कि उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आयोग ने इस मामले को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी नुकसानदेह बताया और कहा कि ऐसे गलत फैसले वित्तीय संस्थानों के प्रति उपभोक्ताओं के विश्वास को कम करते हैं।