मनीषा शर्मा, अजमेर। आनासागर झील में रविवार को वन विभाग की टीम ने दो प्रवासी पेलिकन पक्षियों को सफलतापूर्वक रेस्क्यू कर उनकी जान बचाई। यह पक्षी मछुआरों द्वारा फेंके गए कांटे में फंसे हुए थे। इस महत्वपूर्ण अभियान में राजस्थान कोबरा टीम के संस्थापक सुखदेव भट्ट और सदस्य अनुज त्रिपाठी ने भी सहयोग दिया।
रेस्क्यू अभियान की शुरुआत
मुख्य वन संरक्षक एसपी सिंह और उप वन संरक्षक सुगनाराम जाट के निर्देश पर रेस्क्यू टीम को तुरंत रवाना किया गया। टीम में क्षेत्रीय वन अधिकारी टीकमचंद, नौसर वन नाका प्रभारी सीताराम चौधरी और राजस्थान कोबरा टीम के सदस्य शामिल थे। करीब 2-3 घंटे की कठिन मेहनत के बाद कांटे में फंसे इन दोनों पक्षियों को बचा लिया गया।
पेलिकन का प्राथमिक उपचार
रेस्क्यू के बाद दोनों पक्षियों को शास्त्रीनगर स्थित पशु चिकित्सालय ले जाया गया। उनके गर्दन और पंखों पर गहरे घाव थे, जिनका प्राथमिक उपचार किया गया। नाका प्रभारी चौधरी ने बताया कि पेलिकन पक्षी पानी के बिना जीवित नहीं रह सकते। इसलिए उपचार के तुरंत बाद उन्हें पुनः आनासागर झील में छोड़ दिया गया। अब दोनों पक्षी स्वस्थ हैं और झील में सुरक्षित हैं।
पेलिकन पक्षियों की विशेषताएं
पेलिकन पक्षी प्रवासी पक्षियों में सबसे बड़े और भारी पक्षियों में से एक हैं। इनका वजन 14 से 15 किलो तक होता है। इनका मुख्य आहार मछलियां होती हैं, और ये विशेष रूप से झीलों और अन्य जल निकायों में पाए जाते हैं। हर साल ये पक्षी आनासागर झील में प्रवास के लिए आते हैं।
रेस्क्यू की अहमियत
अगर रेस्क्यू में थोड़ी भी देर होती, तो इन पक्षियों की जान खतरे में पड़ सकती थी। मछुआरों द्वारा फेंके गए कांटे और जाल न केवल पक्षियों बल्कि अन्य जलचरों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकते हैं। इस रेस्क्यू ऑपरेशन ने वन्यजीव संरक्षण और जागरूकता का एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है।
स्थानीय समुदाय की भूमिका
स्थानीय समुदाय ने इस अभियान की सराहना की और वन विभाग और राजस्थान कोबरा टीम के प्रयासों की प्रशंसा की। यह घटना न केवल पक्षियों के संरक्षण का उदाहरण है, बल्कि झील के पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है।