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कांग्रेस के पूर्व नेता नटवर सिंह का निधन: राजनीतिक सफर की कहानी

कांग्रेस के पूर्व नेता नटवर सिंह का निधन:  राजनीतिक सफर की कहानी

शोभना शर्मा। कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ नेता और राजनयिक नटवर सिंह का गुड़गांव के एक निजी अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। नटवर सिंह भारतीय राजनीति के एक प्रमुख चेहरा थे, जिन्होंने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया और गांधी परिवार के करीबी रहे। हालांकि, वोल्कर विवाद के दौरान उनके संबंधों में दरार आई, जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी।

नटवर सिंह का जन्म 16 मई 1931 को भरतपुर में हुआ था। उनके पिता गोविंद सिंह भरतपुर राजपरिवार में अधिकारी थे। उन्होंने अपनी शिक्षा मेयो कॉलेज और ग्वालियर के सिंधिया स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और 1952 में भारतीय विदेश सेवा में चुने गए।

नटवर सिंह ने एक डिप्लोमैट के रूप में कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय घटनाओं का साक्षी रहे और उन्होंने कई महत्वपूर्ण किताबें भी लिखीं। उनकी 2014 में आई किताब ‘वन लाइफ इज नोट इनफ’ ने खासा विवाद खड़ा किया था। इसमें गांधी परिवार से जुड़े कई खुलासे थे, जिनके बारे में प्रियंका गांधी ने उनसे निवेदन किया था कि वे कुछ बातों का उल्लेख न करें, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया।

राजस्थान की राजनीति में भी नटवर सिंह का महत्वपूर्ण स्थान था। वे हमेशा गहलोत विरोधी खेमे के समर्थक माने जाते थे। उन्होंने कई नेताओं को समर्थन दिया और कांग्रेस छोड़ने के बाद भी राजनीति में सक्रिय रहे। नटवर सिंह का राजनीतिक और राजनयिक सफर प्रेरणादायक था, और उनकी किताबें भारतीय राजनीति और कूटनीति में उनकी समझ को दर्शाती हैं।

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