शोभना शर्मा, अजमेर। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वी. रामासुब्रमण्यन को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह घोषणा भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा की गई और उनकी नियुक्ति मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के तहत की गई। जस्टिस रामासुब्रमण्यन ने अपनी व्यापक विधि विशेषज्ञता और न्यायिक करियर के दौरान उल्लेखनीय फैसलों से भारतीय न्याय प्रणाली को समृद्ध किया है। अब उनकी नियुक्ति एनएचआरसी के अध्यक्ष के रूप में मानवाधिकारों की रक्षा और प्रचार में एक नई दिशा देने की संभावना रखती है।
राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति की घोषणा
केंद्रीय सरकार द्वारा जारी गजट में यह सूचना दी गई कि राष्ट्रपति ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 4(1) के तहत वी. रामासुब्रमण्यन को एनएचआरसी का अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह नियुक्ति उनकी पदभार ग्रहण करने की तिथि से प्रभावी होगी। यह नियुक्ति मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यन का करियर
जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन का जन्म 30 जून 1958 को हुआ। उन्होंने चेन्नई के प्रतिष्ठित रामकृष्ण मिशन विवेकानंद कॉलेज से रसायन विज्ञान में स्नातक और मद्रास लॉ कॉलेज से विधि की पढ़ाई पूरी की। 16 फरवरी 1983 को उन्होंने वकालत शुरू की और 23 वर्षों तक मद्रास हाई कोर्ट में कानूनी सेवाएं दीं।
हाई कोर्ट में योगदान
जस्टिस रामासुब्रमण्यन को 31 जुलाई 2006 को मद्रास हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद 9 नवंबर 2009 को उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। 2016 में उनका तबादला हैदराबाद हाई कोर्ट में हुआ, जहां उन्होंने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों राज्यों में न्यायिक सेवाएं दीं। आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के गठन के बाद वे तेलंगाना हाई कोर्ट के न्यायाधीश बने।
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस
22 जून 2019 को वी. रामासुब्रमण्यन ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला। उन्होंने इस पद पर अपने प्रभावशाली निर्णयों और कुशल प्रबंधन से न्यायपालिका में उत्कृष्टता का परिचय दिया।
सुप्रीम कोर्ट में योगदान
23 सितंबर 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कुल 102 फैसले सुनाए। उनका कार्यकाल 29 जून 2023 को समाप्त हुआ। सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों पर अपनी राय दी, जिनमें संवैधानिक मुद्दों से संबंधित मामले भी शामिल थे।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का महत्व
एनएचआरसी भारत में मानवाधिकारों की रक्षा और उनके प्रचार-प्रसार के लिए गठित एक महत्वपूर्ण संस्था है। यह आयोग मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों की जांच करता है और पीड़ितों को न्याय दिलाने का प्रयास करता है। जस्टिस रामासुब्रमण्यन की अध्यक्षता में, एनएचआरसी को एक नई दृष्टि और दिशा मिलने की उम्मीद है।
उनके अनुभव का लाभ
जस्टिस रामासुब्रमण्यन के पास न्यायिक सेवाओं और मानवाधिकारों से जुड़े मामलों का गहन अनुभव है। उन्होंने न्यायपालिका में अपने कार्यकाल के दौरान मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्धन में योगदान दिया है। उनकी नियुक्ति इस बात का संकेत है कि सरकार मानवाधिकारों के प्रति अपने दायित्वों को लेकर गंभीर है।
मानवाधिकार संरक्षण की दिशा में नई पहल
एनएचआरसी के अध्यक्ष के रूप में, जस्टिस रामासुब्रमण्यन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इनमें मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं की बढ़ती संख्या, समाज में असमानता, और कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा प्रमुख हैं। उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता है।