मनीषा शर्मा। राजस्थान में कांग्रेस सरकार के दौरान बनाए गए 9 नए जिलों को समाप्त करने के फैसले के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। आम लोग इस फैसले का विरोध करते हुए सड़कों पर उतर आए हैं, जबकि विपक्ष और कांग्रेस नेता भी इस मुद्दे पर मुखर हो गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस फैसले को लेकर मौजूदा भजनलाल सरकार पर निशाना साधा है। गहलोत का कहना है कि यह फैसला बिना किसी ठोस आधार और जनहित की परवाह किए लिया गया है। उन्होंने इस मुद्दे पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं, जो प्रदेश की राजनीति में गर्मागर्म बहस का कारण बन रहे हैं।
अशोक गहलोत ने उठाए सवाल
अशोक गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार ने पूरी तैयारी के बाद 9 नए जिलों की घोषणा की थी। उनके अनुसार, छोटे जिलों में प्रशासनिक योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने इन जिलों को खत्म करके प्रदेश के विकास की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया है।
गहलोत ने पूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत के समय का उदाहरण देते हुए कहा, “जब भैरोंसिंह शेखावत ने जिले बनाए थे, तब कौन सा इन्फ्रास्ट्रक्चर पहले से तैयार था? जिलों के विकास के लिए जरूरी सुविधाएं बाद में तैयार होती हैं। पहले किराए की इमारतों में काम होता है और फिर स्थायी भवन बनते हैं।” उन्होंने मौजूदा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके पास इस फैसले को बचाने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है, इसलिए उन्होंने रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स को आगे कर दिया है।
विरोध की बढ़ती आवाज
गहलोत का कहना है कि आम जनता भी इस फैसले से खुश नहीं है। उन्होंने कहा, “पिछले एक साल में सरकार की कार्यक्षमता पर सवाल उठे हैं। प्रदेश में यह धारणा बन गई है कि मौजूदा सरकार काम नहीं कर पा रही है।” उन्होंने कहा कि जब उनकी सरकार ने नए जिलों की घोषणा की थी, तो इसकी व्यापक चर्चा हुई थी। इस फैसले को जनता का समर्थन मिला था, लेकिन अब सरकार ने इस पर पुनर्विचार करते हुए जिलों को खत्म कर दिया है, जो कि जनता के हित में नहीं है।
पड़ोसी राज्यों का उदाहरण
अशोक गहलोत ने पड़ोसी राज्यों का उदाहरण देते हुए कहा कि राजस्थान जैसे बड़े राज्य में छोटे जिलों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे छोटे राज्यों में भी जिलों की संख्या अधिक है। मध्य प्रदेश में 51 जिलों के बाद 2 और जिले बनाए गए। यह प्रशासनिक सुधार का हिस्सा है।” गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार ने यह फैसला बहुत सोच-समझकर लिया था। उन्होंने पूछा, “अगर हमारा फैसला इतना ही गलत था, तो मौजूदा सरकार ने आते ही इसे क्यों नहीं बदला? उन्होंने इसे बदलने में एक साल क्यों लगा दिया?”
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
गहलोत ने इस मुद्दे पर भजनलाल सरकार और उनकी टीम पर भी आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “जिलों की समीक्षा करने वाली कमेटी के चेयरमैन ने बीजेपी जॉइन कर ली है। यह स्पष्ट करता है कि बीजेपी ने इस अधिकारी के माध्यम से अपने एजेंडे को लागू करवाया है।” उन्होंने कहा कि सरकार ने जनता को भ्रमित करने के लिए रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स की मदद ली है। “इन रिटायर्ड अधिकारियों ने कहा कि हमारा फैसला व्यवहारिक नहीं था। हो सकता है कि उन्होंने किसी लोभ या लालच के चलते ऐसा कहा हो।”
मंत्रियों में आपसी खींचतान
गहलोत ने कहा कि मौजूदा सरकार में मंत्रियों के बीच आपसी खींचतान जारी है। उन्होंने किरोड़ी लाल मीणा का उदाहरण देते हुए कहा, “किरोड़ी लाल ने इस्तीफा देने की हिम्मत दिखाई, लेकिन सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। यह सरकार उनके बिना नहीं चल सकती।” गहलोत ने यह भी कहा कि सरकार में कई मंत्रियों और विधायकों में असंतोष है, लेकिन इसे छिपाने के लिए सरकार जनता को गुमराह कर रही है।