मनीषा शर्मा। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान की वित्त मंत्री दीया कुमारी की जीएसटी काउंसिल की बैठक में गैरमौजूदगी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर बयान जारी करते हुए कहा कि यह हैरान करने वाली बात है कि वित्त मंत्री दिल्ली में होने के बावजूद बैठक में शामिल क्यों नहीं हुईं। गहलोत ने कहा, “यह सरकार के भीतर सब कुछ ठीक न चलने का संकेत है।”
गहलोत ने इस मुद्दे को मार्बल और ग्रेनाइट उद्योग से भी जोड़ा, जो राजस्थान की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री विदेश में निवेशकों से राजस्थान में निवेश की बात कर रहे हैं, लेकिन राज्य के मार्बल-ग्रेनाइट उद्यमियों की मांगों को केंद्र सरकार के समक्ष क्यों नहीं रखा गया?” गहलोत ने सरकार को याद दिलाया कि प्रदेश के उद्यमी राज्य की आर्थिक रीढ़ हैं और उनकी मांगों की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए।
जीएसटी काउंसिल की बैठक में दीया कुमारी की जगह स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के शामिल होने को लेकर भी गहलोत ने सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “जब राज्य की वित्त मंत्री दिल्ली में मौजूद थीं, तब उन्होंने बैठक में हिस्सा क्यों नहीं लिया? यह सरकार के भीतर की समस्याओं का संकेत है।”
मणिपुर हिंसा पर केंद्र सरकार को घेरा
अशोक गहलोत ने मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर भी केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि मणिपुर की स्थिति बेहद चिंताजनक है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक वहां का दौरा नहीं किया है। गहलोत ने कहा, “मणिपुर में हिंसा के बावजूद प्रधानमंत्री का वहां न जाना उनकी प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। राज्यपाल और मुख्यमंत्री के निवास जैसे सुरक्षित स्थानों पर भी हमले हो रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही।”
गहलोत ने कहा कि मणिपुर में अत्याधुनिक हथियारों और ड्रोन का इस्तेमाल कर आम लोगों पर हमले किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह स्थिति बेहद गंभीर है और केंद्र सरकार को तुरंत आवश्यक कदम उठाने चाहिए।”
गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने असम में शांति स्थापना के लिए अपनी पार्टी की सरकार की भी कुर्बानी दी थी। गहलोत ने कहा, “राहुल गांधी सहित तमाम विपक्षी दल मणिपुर का दौरा करने की मांग कर रहे हैं, और प्रधानमंत्री को भी इस दिशा में शीघ्र कदम उठाना चाहिए। मणिपुर का दौरा कर वहां शांति स्थापित करने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए।”