मनीषा शर्मा, अजमेर। कोरोना काल के दौरान जब लोग अपने घरों में कैद हो गए थे और बाहर की सड़कें सुनसान थीं, उस समय लोगों का रुझान पुराने चिकित्सा पद्धतियों की ओर बढ़ा। आयुर्वेदिक औषधियों का महत्व अचानक से बढ़ गया, और इनमें सबसे ज्यादा चर्चा में आई गिलोय। इसे संस्कृत में ‘अमृता’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘जीवनदायिनी’। गिलोय ने अपने एंटीमाइक्रोबियल और इम्यूनिटी बूस्टिंग गुणों के कारण विशेष पहचान बनाई। आयुर्वेद में गिलोय को एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इसे ‘त्रिदोष शामक औषधि’ माना जाता है, यानी यह वायु, पित्त, और कफ तीनों दोषों को संतुलित करने में सक्षम है। इसके नियमित सेवन से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत किया जा सकता है और कई गंभीर बीमारियों से बचाव संभव है। इस लेख में हम गिलोय के फायदे, सेवन के तरीके, और इससे जुड़ी सावधानियों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
गिलोय को आयुर्वेद में विशिष्ट स्थान क्यों प्राप्त है?
आधुनिक चिकित्सा पद्धति के विकास से पहले, दवाइयां हमारे आसपास के पेड़-पौधों से ही तैयार की जाती थीं। गिलोय, जिसे ‘गुरुचि’ या ‘अमृता’ भी कहा जाता है, ऐसी ही एक औषधि है जो बुखार, संक्रमण और त्वचा विकार जैसी कई बीमारियों के इलाज में सहायक होती है। इसके एंटीमाइक्रोबियल गुण डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों में कारगर होते हैं। इसके अलावा, इसका सेवन शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और रक्त विकारों को दूर करने में सहायक होता है।
गिलोय की न्यूट्रिशनल वैल्यू
गिलोय में कई प्रकार के औषधीय गुण होते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटीडायबिटिक, और एंटीस्पाज्मोटिक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को कई बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। इसके अलावा, इसमें एंटीमाइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं जो सूजन और संक्रमण से राहत दिलाते हैं।
गिलोय किन बीमारियों में कारगर है?
- रक्त विकारों में फायदेमंद:
गिलोय रक्त को शुद्ध करने में मदद करती है और रक्त विकार से संबंधित समस्याओं जैसे कील-मुंहासों को ठीक करती है।- त्वचा विकारों में लाभकारी:
गिलोय एग्जिमा और अन्य त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज में सहायक है। आचार्य चरक ने इसे त्वचा रोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद बताया है।- हाथ-पैर की जलन से राहत:
गिलोय हाथ-पैर, आंखों और यूरिन में जलन से राहत देती है। इसके लिए इसे मिश्री के साथ लेना चाहिए।- डायबिटीज में सहायक:
गिलोय का सेवन डायबिटिक मरीजों के लिए लाभकारी होता है, क्योंकि यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। खासकर नीम के साथ गिलोय का सेवन करने से लाभ होता है।- डेंगू और मलेरिया में राहत:
गिलोय का सेवन पपीते के पत्तों के साथ करने से डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से राहत मिलती है। यह बुखार को कम करता है और तेजी से रिकवरी में मदद करता है।- इम्यूनिटी को बढ़ाता है:
गिलोय का नियमित सेवन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। इससे शरीर के टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं और बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
गिलोय का सेवन कैसे करें?
गिलोय का सेवन कई प्रकार से किया जा सकता है। आप इसका जूस बना सकते हैं या पाउडर के रूप में इसे ले सकते हैं। यहां गिलोय के सेवन के कुछ तरीके दिए गए हैं:
- गिलोय का जूस:
गिलोय के तने को काटकर या पत्तियों को पानी में भिगोकर रात भर रख दें। सुबह इसे मसलकर छान लें और जूस के रूप में सेवन करें। स्वाद में कड़वा होने पर इसे पानी में मिलाकर भी पी सकते हैं।- गिलोय का पाउडर:
बाजार में गिलोय पाउडर आसानी से उपलब्ध है। इसे पानी में उबालकर छान लें और इसका सेवन करें।
गिलोय के साइड इफेक्ट और सावधानियां
गिलोय के सेवन से पहले कुछ सावधानियों का ध्यान रखना जरूरी है:
गिलोय का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें, खासकर अगर आप किसी बीमारी का इलाज कर रहे हैं।
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी इसका सेवन करने से पहले डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।
ज्यादा मात्रा में गिलोय का सेवन नुकसानदायक हो सकता है, इसलिए संतुलित मात्रा में ही इसका सेवन करें।
बच्चों को बिना डॉक्टरी सलाह के गिलोय का सेवन न कराएं।
गिलोय ब्लड शुगर को कम कर सकता है, इसलिए डायबिटीज के मरीज इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
अधिक सेवन से कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए अगर पाचन संबंधी समस्याएं हैं, तो सावधानी बरतें।
गिलोय एक अद्भुत आयुर्वेदिक औषधि है जो कई गंभीर बीमारियों को ठीक करने में कारगर है। इसका नियमित और संतुलित सेवन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है, रक्त विकारों को दूर करता है और त्वचा को स्वस्थ रखता है। हालांकि, इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है ताकि आप इसके साइड इफेक्ट से बच सकें और इसके सभी स्वास्थ्य लाभों का पूरा फायदा उठा सकें।