मनीषा शर्मा। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने विधायकों और जनप्रतिनिधियों को ट्रांसफर डिजायर लिखने के संदर्भ में सख्त नसीहत दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ट्रांसफर डिजायर पर सिफारिश करने से पहले यह ध्यान रखें कि एक बार अधिकारी या कर्मचारी का ट्रांसफर हो गया तो दो साल तक उसे बदला नहीं जाएगा।
विधायकों के साथ बैठक में सीएम का संदेश
मुख्यमंत्री ने विधायकों के साथ एक विशेष बैठक में कहा कि कई बार ऐसा देखा गया है कि जनप्रतिनिधि अपनी पसंद के अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर की सिफारिश करते हैं, लेकिन कुछ समय बाद ही उनका मोहभंग हो जाता है। ऐसे में वे उसी अधिकारी या कर्मचारी का पुनः ट्रांसफर करने की मांग करते हैं।
सीएम ने साफ किया कि ऐसा नहीं चलेगा। अगर किसी अधिकारी या कर्मचारी को ट्रांसफर किया गया है, तो उसे दो साल तक उसी स्थान पर रखा जाएगा। इसलिए विधायकों और जनप्रतिनिधियों को ट्रांसफर डिजायर लिखने से पहले पूरी सावधानी बरतनी चाहिए।
ट्रांसफर प्रक्रिया में पारदर्शिता का आश्वासन
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता पारदर्शिता है। ट्रांसफर प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी रखा जाएगा ताकि विपक्ष को इस पर सवाल उठाने का मौका न मिले। उन्होंने यह भी कहा कि जनप्रतिनिधियों की डिजायर का सम्मान किया जाएगा, लेकिन इसके साथ ही सरकार की नीति का पालन भी अनिवार्य होगा।
ट्रांसफर पर अस्थायी प्रतिबंध में छूट
राज्य सरकार ने ट्रांसफर पर लागू प्रतिबंध को 1 जनवरी से 10 जनवरी 2025 तक अस्थायी रूप से हटा दिया है। इस दौरान विभिन्न विभागों में सैकड़ों अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर किए जाने की संभावना है।
हालांकि, शिक्षा विभाग को इस छूट से बाहर रखा गया है। यानी शिक्षा विभाग के किसी भी कर्मचारी या अधिकारी का ट्रांसफर इस दौरान नहीं किया जाएगा।
भाजपा सरकार के दौरान दूसरी बार प्रतिबंध में छूट
राजस्थान में भाजपा सरकार बनने के बाद दूसरी बार ट्रांसफर प्रतिबंध को अस्थायी रूप से हटाया गया है। पहली बार यह छूट फरवरी 2024 में दी गई थी और अब जनवरी 2025 में दूसरी बार ऐसा हो रहा है।
ट्रांसफर डिजायर पर सावधानी की जरूरत
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने विधायकों को विशेष रूप से यह सलाह दी कि वे केवल गंभीर और आवश्यक मामलों में ही ट्रांसफर की सिफारिश करें। ट्रांसफर डिजायर पर सिफारिश करते समय यह ध्यान रखें कि इससे कर्मचारियों और अधिकारियों के कामकाज पर असर न पड़े।
उन्होंने कहा कि ट्रांसफर के पीछे राजनीतिक या व्यक्तिगत कारण नहीं होना चाहिए। ट्रांसफर प्रक्रिया का उद्देश्य प्रशासनिक व्यवस्था को बेहतर बनाना है, न कि व्यक्तिगत पसंद या नापसंद को प्राथमिकता देना।
शिक्षा विभाग में ट्रांसफर पर पाबंदी जारी
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि 10 जनवरी तक ट्रांसफर पर लगी पाबंदी हटा दी गई है, लेकिन यह छूट शिक्षा विभाग पर लागू नहीं होगी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर पर पहले की तरह रोक जारी रहेगी।
विपक्ष पर नजर
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार विपक्ष की हर आलोचना का जवाब देने के लिए तैयार है। ट्रांसफर प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो, इसके लिए सख्त निगरानी रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास सरकार पर उंगली उठाने का कोई आधार नहीं होना चाहिए।
विधायकों और जनप्रतिनिधियों को ट्रांसफर डिजायर लिखने के नियम
मुख्यमंत्री ने ट्रांसफर डिजायर को लेकर कुछ मुख्य बिंदुओं पर भी जोर दिया:
सोच-समझकर सिफारिश करें: डिजायर केवल उन मामलों में लिखें जहां ट्रांसफर प्रशासनिक दृष्टि से अनिवार्य हो।
दो साल का नियम: ट्रांसफर के बाद संबंधित अधिकारी या कर्मचारी को दो साल तक उसी स्थान पर रखा जाएगा।
पारदर्शिता का पालन: सभी ट्रांसफर सरकार की निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार किए जाएंगे।
राजनीतिक हस्तक्षेप से बचें: ट्रांसफर के मामले में राजनीतिक या व्यक्तिगत हितों को प्राथमिकता न दें।
सरकार की मंशा और जनता का विश्वास
भजनलाल सरकार की मंशा स्पष्ट है कि ट्रांसफर प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रभावी बनाया जाए। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि किसी भी ट्रांसफर से जनता की सेवा में बाधा न आए।