शोभना शर्मा। बिजयनगर ब्लैकमेल कांड में आरोपियों की संपत्ति ध्वस्त करने के मामले में आज सरकार ने हाईकोर्ट में अपना जवाब पेश किया। यह मामला तब सामने आया जब बिजयनगर नगरपालिका ने आरोपियों की संपत्ति को ध्वस्त करने के लिए नोटिस जारी किए थे। इस मामले में नगरपालिका ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि यह कदम स्थानीय निवासियों की मांग पर उठाया गया था।
स्थानीय निवासियों की मांग पर हुई कार्रवाई
बिजयनगर नगरपालिका की ओर से हाईकोर्ट में पेश किए गए जवाब में बताया गया कि ब्लैकमेल कांड के बाद स्थानीय निवासियों ने नगरपालिका को ज्ञापन सौंपा था, जिसमें आरोपियों की संपत्तियों को ध्वस्त करने की मांग की गई थी।
निवासियों का कहना था कि आरोपियों की अवैध गतिविधियों के चलते पूरे इलाके की सुरक्षा और शांति भंग हो रही है। इसी के आधार पर नगरपालिका ने संपत्ति ध्वस्त करने के लिए नोटिस जारी किए।
याचिकाकर्ताओं की दलील और अदालत में सुनवाई
आरोपियों के परिजनों ने इन नोटिसों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं। वकील सयैद सआदत अली ने अदालत के सामने यह दलील पेश की कि नगरपालिका द्वारा जारी किए गए नोटिस पूरी तरह से गलत हैं।
उन्होंने कहा कि:
- नोटिस आरोपियों के नाम से जारी किए गए हैं, जबकि संपत्ति के वास्तविक मालिक उनके परिजन हैं।
- असली मालिकों को नोटिस जारी करने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी गाइडलाइंस का उल्लंघन किया गया है।
- नोटिस जारी करने की प्रक्रिया में कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत से इस मामले में अपना जवाब पेश करने के लिए समय मांगा।
अदालत ने सुनवाई 24 मार्च तक स्थगित की
हाईकोर्ट ने सरकारी जवाब को सुनने के बाद, याचिकाकर्ताओं के वकील की अपील पर मामले की अगली सुनवाई की तारीख 24 मार्च तय की है।
अभी तक अदालत ने इस मामले में कोई भी अंतिम निर्णय नहीं दिया है और यथास्थिति बनाए रखने के आदेश जारी किए हुए हैं। यह आदेश तब तक लागू रहेगा जब तक कि अदालत मामले की पूरी सुनवाई नहीं कर लेती।
क्या है बिजयनगर ब्लैकमेल कांड?
बिजयनगर ब्लैकमेल कांड राजस्थान के बिजयनगर क्षेत्र का एक चर्चित मामला है जिसमें ब्लैकमेलिंग और अवैध गतिविधियों के आरोपियों की संपत्ति ध्वस्त करने का मुद्दा शामिल है। इस कांड ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया था, जिसके बाद स्थानीय निवासियों ने आरोपियों की संपत्ति ध्वस्त करने की मांग की।
नोटिस जारी करने में हुईं गलतियां?
याचिकाकर्ताओं की ओर से दावा किया गया है कि:
नोटिस जारी करने की प्रक्रिया में न्यायिक गाइडलाइंस की अनदेखी की गई।
नोटिस आरोपियों के नाम से जारी हुए, जबकि संपत्तियां उनके परिजनों के नाम पर हैं।
कानूनी प्रक्रिया के बिना नोटिस जारी करना गलत है।