मनीषा शर्मा। राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने हाल ही में कोटा में वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी (VMOU) और कोटा यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने शिक्षा के महत्व, संस्कृति और इतिहास पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि विदेशों में लोग जानवरों को भी सिखाते हैं, तो छोटे बच्चे क्यों नहीं सीख सकते? उनका यह बयान शिक्षा के प्रति समाज की सोच को बदलने की आवश्यकता को दर्शाता है।
राज्यपाल ने कहा कि बच्चों को बोलना सिखाने वाली मां के बाद, उन्हें श्लोक बोलने में भी कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि हम अपने इतिहास को भूलते हैं, तो भूगोल भी भूल जाएंगे। उनका यह विचार दर्शाता है कि शिक्षा केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह नैतिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी आवश्यक है।
राज्यपाल ने कहा कि मुगलों ने हमारी संस्कृति को मिटाने की कोशिश की, लेकिन वे हमारी संस्कृति को नहीं बदल सके। उन्होंने कहा कि शिक्षा का मतलब केवल पढ़ाई नहीं है, बल्कि यह समाज के उत्थान के लिए भी होनी चाहिए। उन्होंने नई शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके परिणाम 10-15 साल बाद दिखाई देंगे।
राज्यपाल ने छात्रों से अपील की कि वे ज्ञान के मार्ग में कोई बाधा न आने दें और हमेशा नया सीखने के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा कि आज राष्ट्रीय बालिका दिवस है और बालक-बालिकाओं को पढ़ाई में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने नई शिक्षा नीति के तहत 3 साल के बच्चों को स्कूल में भेजने की बात की, जिसे उन्होंने विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता के लिए एक अच्छी सोच बताया।
दीक्षांत समारोह में 92,192 डिग्रियां वितरित की गईं, जिसमें कोटा यूनिवर्सिटी के 116 छात्रों को डिग्रियां और मेडल दिए गए। इनमें 56 छात्रों को गोल्ड मेडल और 58 छात्रों को पीएचडी की डिग्रियां प्रदान की गईं। समारोह में राज्यपाल के साथ टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान मुंबई के कुलपति प्रोफेसर डीपी सिंह और कोटा यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर कैलाश सोडाणी भी उपस्थित थे।
वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में 89 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल दिए गए। इसके अलावा, तीन छात्रों को चांसलर मेडल प्रदान किया गया। राज्यपाल ने इस अवसर पर छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि केवल डिग्री से नौकरी नहीं मिलती, बल्कि इसके लिए बौद्धिक क्षमता भी आवश्यक है, जो विश्वविद्यालयों से ही मिलती है।
राज्यपाल ने कहा कि हमें अपने इतिहास को याद रखना चाहिए और इसे आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा नीति को पहले ही बदल दिया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने अंग्रेजों द्वारा दी गई शिक्षा प्रणाली की आलोचना की और कहा कि नई शिक्षा नीति को 400 कुलपतियों और 1,000 शिक्षाविदों ने मिलकर तैयार किया है।