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महर्षि दयानन्द सरस्वती की 200वीं जयंती पर राज्यपाल ने की श्रद्धांजलि अर्पित

महर्षि दयानन्द सरस्वती की 200वीं जयंती पर राज्यपाल ने की श्रद्धांजलि अर्पित

मनीषा शर्मा। राजस्थान के अजमेर स्थित ऋषि उद्यान में शनिवार को महर्षि दयानन्द सरस्वती की 200वीं जयंती के अवसर पर आयोजित ऋषि मेले में राज्यपाल हरिभाऊ किशनराव बागड़े ने महर्षि दयानन्द सरस्वती को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर बागड़े ने महर्षि को भारतीय राष्ट्रवाद की पुनर्स्थापना का महानायक बताते हुए उनके विचारों के अनुरूप आधुनिक भारत के निर्माण की बात कही। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानन्द ने समाज में व्याप्त छुआछूत और भेदभाव को समाप्त करने के लिए आर्य समाज की स्थापना की और महिला शिक्षा को बढ़ावा देने की प्रेरणा दी।

बागड़े ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “महर्षि दयानन्द सरस्वती ने सबसे पहले समाज में व्याप्त रूढ़ियों और कुरीतियों के विरुद्ध आवाज उठाई थी। उन्होंने अंधविश्वास और छुआछूत जैसी बुराइयों पर प्रहार किया। प्रखर राष्ट्रभक्त महर्षि दयानन्द ने कहा था कि कोई भी शासन, चाहे कितना ही अच्छा क्यों न हो, स्वदेशी राज्य सर्वोत्तम होता है।”

वेदज्ञान और स्वाभिमान की शिक्षा

महर्षि दयानन्द सरस्वती ने वेदज्ञान के प्रचार और समाज के कल्याण के लिए ‘परोपकारिणी सभा’ की स्थापना की थी और इसे अपनी उत्तराधिकारिणी बनाया। राज्यपाल बागड़े ने महर्षि दयानन्द के राष्ट्रवाद और स्वाभिमान पर जोर देते हुए कहा, “महर्षि ने हमें स्वदेश, स्वभाषा, स्व-धर्म और स्व-संस्कृति पर गर्व करना सिखाया।”

बागड़े ने भारतीय इतिहास की प्रमुख घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि बख्तियार खिलजी जैसे आक्रांताओं ने हमारे नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों को जलाकर नष्ट कर दिया और लाखों ग्रंथों को समाप्त कर दिया। इसके बावजूद, भारत में जितना गहन तत्त्वज्ञान था, वह किसी भी अन्य देश में नहीं पाया जाता था।

प्राकृतिक कृषि की ओर वापसी की अपील

राज्यपाल बागड़े ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत के कथन का समर्थन करते हुए कहा कि रसायनयुक्त और विषैली खेती के कारण आज कैंसर जैसी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। उन्होंने गो आधारित प्राकृतिक कृषि को अपनाने का आग्रह किया, जो लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए लाभकारी है।

गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का महत्व

राज्यपाल बागड़े ने प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महर्षि दयानन्द ने भारत में गुरुकुलों का पुनरुत्थान किया। उन्होंने बताया कि प्राचीन भारत में प्रत्येक गांव में गुरुकुल होते थे, जहां स्त्री और पुरुष दोनों को शिक्षा प्रदान की जाती थी। अंग्रेजों ने देश में अंग्रेजी शिक्षा पद्धति लागू करके भारतीय गुरुकुलों को ध्वस्त कर दिया, जिससे भारतीयों को शिक्षा से वंचित होना पड़ा। लेकिन महर्षि दयानन्द और आर्य समाज ने इन गुरुकुलों का पुनर्निर्माण कर भारतीय शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित किया।

गोशाला और गुरुकुल के विस्तार के लिए भूमि आवंटन का आश्वासन

बागड़े ने अजमेर के ऋषि उद्यान में चल रहे गुरुकुल और गोशाला के विस्तार के लिए राज्य सरकार से 50 बीघा भूमि आवंटन करवाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानन्द का योगदान भारतीय समाज के लिए अतुलनीय है और उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं। परोपकारिणी सभा के प्रधान ओम मुनि ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि महर्षि दयानन्द का कई बार अजमेर आगमन हुआ, जिसका शहर के वातावरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

ओम मुनि ने राज्यपाल से गऊशाला के लिए भूमि आवंटन की मांग की, जिससे गुरुकुल और गोशाला का विस्तार हो सके। उन्होंने कहा, “देश-विदेश में आज हजारों आर्य समाज संस्थाएं वेदों के प्रचार-प्रसार का कार्य कर रही हैं। हमें आर्य समाज के ऋण को कभी नहीं भूलना चाहिए।”

महर्षि दयानन्द के सिद्धांत और विचार

हरियाणा के सूचना आयुक्त कुलवीर छिकारा ने महर्षि दयानन्द के सामाजिक सुधार कार्यों की सराहना करते हुए कहा, “कई ऋषि और महर्षि हुए हैं, लेकिन समाज सुधारक के रूप में महर्षि दयानन्द का स्थान अद्वितीय है। उनका चिंतन और सिद्धांत साधारण दिखने के बावजूद असाधारण थे।”

कार्यक्रम में विधायक अनिता भदेल ने भी महर्षि दयानन्द के योगदान की सराहना की और कहा कि महर्षि ने समाज के कल्याण के लिए अद्वितीय कार्य किए। उन्होंने वेदों के ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया और समाज को रूढ़िवाद से बाहर निकलने की प्रेरणा दी।

मंच पर आग का हादसा टला

कार्यक्रम के दौरान एक अनहोनी भी होते-होते टल गई। जब राज्यपाल बागड़े मंच पर पहुंचे, तो उनके पीछे रखे टेबल फैन में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई। सुरक्षा में तैनात कर्मियों ने तुरंत फैन को हटा दिया और बिजली बंद कर दी, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया।

मेले का समापन

ऋषि मेला का समापन 20 अक्टूबर को होगा। समापन कार्यक्रम में पूर्व लोकायुक्त सज्जन सिंह कोठारी शामिल होंगे। कार्यक्रम के दौरान “आर्य समाज: वर्तमान और भविष्य” और “स्वदेश रक्षा एवं शुद्धि” विषय पर सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। इसके अलावा, शाम को गुरुकुल माउंट आबू की ओर से नाटिका “गुरु दक्षिणा” का मंचन किया जाएगा।

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