शोभना शर्मा। उदयपुर के प्रतिष्ठित शिल्पग्राम महोत्सव का शनिवार को भव्य शुभारंभ हुआ। राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किशनराव बागडे ने इस महोत्सव का उद्घाटन करते हुए कहा कि लोक कलाएं हमारी सामूहिक चेतना और जीवन का उजास हैं। उन्होंने मेवाड़ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को रेखांकित करते हुए महाराणा प्रताप के योगदान का स्मरण किया।
राज्यपाल ने दीप प्रज्वलन और नगाड़ा बजाकर महोत्सव का औपचारिक शुभारंभ किया। उद्घाटन समारोह मुक्तकाशी मंच पर आयोजित हुआ, जिसमें विशिष्ट अतिथि के रूप में सांसद मन्नालाल रावत और विधायक फूलसिंह मीणा उपस्थित थे। इस अवसर पर पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान ने महोत्सव की महत्ता और इसके योगदान पर प्रकाश डाला।
भारतीय लोक संस्कृति का संगम
राज्यपाल बागडे ने शिल्पग्राम महोत्सव को भारतीय लोक संस्कृतियों और कलाओं को जोड़ने वाला मंच बताया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन भारत के विभिन्न हिस्सों की सांस्कृतिक विविधता को एकजुट करता है। महोत्सव में विभिन्न राज्यों के शिल्प और व्यंजन प्रदर्शित किए जा रहे हैं। इसके जरिए लोग न केवल कला और संस्कृति का अनुभव करते हैं, बल्कि विभिन्न परंपराओं और खानपान से भी परिचित होते हैं।
उद्घाटन समारोह की खास झलकियां
उद्घाटन समारोह में रिद्म ऑफ इंडिया – म्यूजिकल सिंफनी ने अपनी धुनों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। 50 से अधिक कलाकारों ने 24 वाद्य यंत्रों की धुनों पर अपनी कला का प्रदर्शन किया। इसके साथ ही, कलर्स ऑफ इंडिया नामक सामूहिक नृत्य प्रस्तुति में 15 राज्यों के 225 कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किए। यह रंगारंग प्रस्तुति महोत्सव का मुख्य आकर्षण बनी।
हस्तशिल्प और लोक कलाकारों का प्रदर्शन
शिल्पग्राम महोत्सव में देशभर के लोक कलाकार और हस्तशिल्पी अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। यहां पारंपरिक हस्तशिल्प, कपड़े, गहने, मिट्टी के बर्तन, लकड़ी की नक्काशी और अन्य शिल्प प्रदर्शित किए जा रहे हैं। यह महोत्सव कला प्रेमियों और पर्यटकों को भारतीय हस्तशिल्प और लोक कला का गहराई से अनुभव करने का अवसर प्रदान करता है।
पर्यटन और सांस्कृतिक योगदान
शिल्पग्राम महोत्सव उदयपुर के पर्यटन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस महोत्सव के दौरान हजारों पर्यटक यहां आते हैं, जिससे न केवल स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा मिलता है, बल्कि पर्यटन को भी प्रोत्साहन मिलता है।
राज्यपाल का संदेश
राज्यपाल ने पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान और उनकी टीम को इस सफल आयोजन के लिए बधाई दी। उन्होंने इस महोत्सव को भारतीय संस्कृति और कला को संरक्षित और प्रचारित करने का अनूठा प्रयास बताया।
महोत्सव का आयोजन और महत्व
30 दिसंबर तक चलने वाले इस शिल्पग्राम महोत्सव में लोक कला, संगीत, नृत्य और हस्तशिल्प का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। यह महोत्सव भारतीय संस्कृति की विविधता को न केवल प्रदर्शित करता है, बल्कि इसे एक वैश्विक पहचान भी प्रदान करता है।