मनीषा शर्मा, अजमेर। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता और पांच बार की विधायक व पूर्व मंत्री अनीता भदेल द्वारा अजमेर विकास प्राधिकरण (एडीए) के उपायुक्त भरत राज गुर्जर पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस घटनाक्रम ने ना सिर्फ राजनीतिक माहौल गरमाया बल्कि गुर्जर समाज को भी लामबंद कर दिया है। अजमेर गुर्जर समाज के पदाधिकारियों ने बैठक कर इन आरोपों का खंडन करते हुए विधायक भदेल से प्रमाण पेश करने की मांग की, अन्यथा माफी मांगने की चेतावनी दी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर मांगे पूरी नहीं की गईं, तो वे आगामी उपचुनावों में भाजपा के खिलाफ प्रचार करेंगे। इस घटनाक्रम से अजमेर का राजनीतिक और सामाजिक वातावरण बदलता दिख रहा है।
विवाद की शुरुआत: अनीता भदेल का आरोप
यह विवाद तब शुरू हुआ जब अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र की विधायक अनीता भदेल ने सर्किट हाउस में आयोजित जनसुनवाई के दौरान एडीए के उपायुक्त भरत गुर्जर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। भदेल का कहना है कि गुर्जर जनप्रतिनिधियों के काम में बाधा डालते हैं और उनसे 50,000 रुपये की रिश्वत की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि भरत गुर्जर ने बिना उचित कारण के एक गैस गोदाम को सीज किया, जबकि वह सभी आवश्यक स्वीकृतियां और फ्री होल्ड पट्टा प्राप्त कर चुका था। इस घटना के बाद विधायक भदेल ने मंत्री झाबर सिंह खर्रा के सामने अपनी नाराजगी जताई और आरोप लगाया कि अधिकारी मनमाने ढंग से काम कर रहे हैं और उन्होंने उपायुक्त पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया।
गुर्जर समाज की प्रतिक्रिया और बैठक का आयोजन
भ्रष्टाचार के आरोपों के साथ ही विधायक भदेल की विवादित टिप्पणी के कारण गुर्जर समाज में रोष फैल गया। अजमेर गुर्जर समाज की ओर से देवरा धार्मिक स्थल पर एक बैठक आयोजित की गई जिसमें समाज के प्रमुख पदाधिकारी और सदस्य शामिल हुए। बैठक में समाज के नेताओं ने मांग की कि विधायक अनीता भदेल अपने आरोप साबित करें या फिर 11 नवंबर तक माफी मांगे। गुर्जर समाज का मानना है कि आरोप बिना सबूतों के लगाए गए हैं और इनका उद्देश्य मात्र समाज को अपमानित करना है। समाज के नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि विधायक अपने आरोपों को साबित नहीं कर पाती हैं तो वे आगामी उपचुनाव में भाजपा के खिलाफ प्रचार करेंगे और भाजपा को हराने के लिए लोगों को जागरूक करेंगे।
विवाद के प्रमुख मुद्दे
इस पूरे विवाद में तीन मुख्य बिंदु उभर कर सामने आए हैं:
- भ्रष्टाचार के आरोप: विधायक भदेल ने भरत गुर्जर पर रिश्वत मांगने और अनियमितता का आरोप लगाया है।
- गुर्जर समाज की नाराज़गी: समाज को विधायक द्वारा अपने समुदाय के अधिकारी के प्रति की गई टिप्पणी से ठेस पहुंची है।
- राजनीतिक दबाव: समाज ने चेतावनी दी है कि अगर आरोपों को साबित नहीं किया गया तो वे भाजपा के खिलाफ प्रचार करेंगे, जिससे भाजपा को नुकसान हो सकता है।
विधायक और एडीए के बीच का विवाद: पृष्ठभूमि
यह विवाद नया नहीं है। अजमेर विकास प्राधिकरण द्वारा पिछले महीने आनासागर के किनारे एक गैस गोदाम को सीज किया गया था, जो कि सभी जरूरी परमिट और स्वीकृतियां प्राप्त कर चुका था। विधायक अनीता भदेल ने इस कार्रवाई का विरोध किया था और इसे मनमानी करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि एडीए उपायुक्त भरत गुर्जर जनप्रतिनिधियों की अनदेखी करते हैं और उनके फोन कॉल्स का सम्मान नहीं करते हैं। यह पहली बार नहीं है जब विधायक और एडीए के बीच तनातनी देखने को मिली है, लेकिन इस बार मामला और अधिक गंभीर हो गया है, क्योंकि इसमें भ्रष्टाचार के आरोप शामिल हैं।
भ्रष्टाचार के आरोप: सबूत और प्रमाण का अभाव
गुर्जर समाज का कहना है कि यदि विधायक अनीता भदेल अपने आरोपों को साबित करने में असमर्थ रहती हैं, तो उन्हें माफी मांगनी चाहिए। समाज का मानना है कि बिना सबूत के ऐसे आरोप लगाना समाज के मान-सम्मान पर हमला है। समाज के नेताओं ने कहा है कि आरोप सिद्ध न होने की स्थिति में विधायक को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। इस मामले में गुर्जर समाज का आक्रोश बढ़ता जा रहा है और यह देखना होगा कि विधायक भदेल इन आरोपों को साबित करने के लिए क्या कदम उठाती हैं।
समाज की चेतावनी और भाजपा के खिलाफ प्रचार
गुर्जर समाज ने भाजपा को भी चेतावनी दी है कि यदि आरोपों को सिद्ध नहीं किया गया और माफी नहीं मांगी गई, तो वे आगामी उपचुनावों में भाजपा के खिलाफ प्रचार करेंगे। समाज का कहना है कि वे विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में जाकर भाजपा के विरोध में प्रचार करेंगे और लोगों को इस मुद्दे के बारे में जागरूक करेंगे। यह भाजपा के लिए एक गंभीर चुनौती हो सकती है, विशेषकर तब जब चुनाव नजदीक हों।
वर्तमान स्थिति: एडीए उपायुक्त का स्थानांतरण
विधायक अनीता भदेल की शिकायत के बाद एडीए के उपायुक्त भरत गुर्जर को जोन उत्तर से स्थानांतरित कर किशनगढ़ जोन का उपायुक्त बना दिया गया है। उनके स्थान पर सूर्यकांत शर्मा को नियुक्त किया गया है। एडीए आयुक्त नित्या के. ने इस आदेश को तुरंत लागू करने का निर्देश दिया है। यह स्थानांतरण मामले को शांत करने का प्रयास हो सकता है, लेकिन गुर्जर समाज का आक्रोश अब भी बना हुआ है।
समाज और राजनीति के लिए इस विवाद का महत्व
यह विवाद न केवल स्थानीय राजनीति को प्रभावित कर सकता है, बल्कि यह राज्य की राजनीति पर भी असर डाल सकता है। गुर्जर समाज का समर्थन किसी भी राजनीतिक दल के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, विशेषकर चुनावी समय में। यदि गुर्जर समाज भाजपा के खिलाफ प्रचार करता है, तो इसका असर चुनाव परिणामों पर भी पड़ सकता है। साथ ही, विधायक भदेल को भी इस विवाद में संभलकर कदम उठाने की जरूरत है, ताकि उनके राजनीतिक करियर पर इसका नकारात्मक प्रभाव न पड़े।