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स्वास्थ्य मंत्रालय का अलर्ट: सभी राज्यों में फायर सेफ्टी जांच के निर्देश

स्वास्थ्य मंत्रालय का अलर्ट: सभी राज्यों में फायर सेफ्टी जांच के निर्देश

मनीषा शर्मा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश के झांसी में मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में लगी आग की दुखद घटना के बाद सभी राज्यों को फायर सेफ्टी जांच को लेकर अलर्ट भेजा है। मंत्रालय ने राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के अस्पतालों में फायर सेफ्टी उपकरणों की जांच और रेगुलर मॉकड्रिल सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

झांसी हादसे के बाद उठाए कदम

कुछ दिन पहले झांसी के मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पताल में नवजात शिशु वार्ड (एनआईसीयू) में आग लगने से 12 नवजातों की मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद केंद्र ने इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि फायर सेफ्टी को लेकर पहले भी कई पत्र जारी किए गए हैं, लेकिन राज्य सरकारों द्वारा अब तक प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई है।

फायर सेफ्टी को लेकर मंत्रालय के निर्देश

1. हर 6 माह में इलेक्ट्रिक लोड की ऑडिट

  • आग लगने का सबसे बड़ा कारण शॉर्ट सर्किट बताया गया है।
  • अस्पतालों में लगे उपकरणों की क्षमता और वायरिंग की गुणवत्ता की नियमित जांच अनिवार्य है।
  • हर 6 महीने में इलेक्ट्रिक लोड ऑडिट किया जाए।

2. मॉकड्रिल और फील्ड जांच

  • सभी हॉस्पिटल और नर्सिंग होम्स में रेगुलर मॉकड्रिल आयोजित की जाए।
  • कलेक्टर, मेडिकल ऑफिसर और फायर सेफ्टी ऑफिसर को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी प्रक्रियाएं सुचारू रूप से पूरी हों।

3. पर्याप्त सुरक्षा उपकरण

  • अस्पतालों में फायर सेफ्टी उपकरणों की उपलब्धता और उनकी कार्यक्षमता की जांच की जाए।
  • यदि सुरक्षा उपकरण मानकों के अनुसार नहीं पाए जाते हैं, तो अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान लागू किया जा सकता है।

4. सरकारी और निजी दोनों संस्थानों पर फोकस

  • निर्देश केवल सरकारी अस्पतालों तक सीमित नहीं हैं।
  • निजी हॉस्पिटल्स, नर्सिंग होम्स और मेडिकल कॉलेजों की भी रेगुलर मॉनिटरिंग अनिवार्य है।

झांसी हादसे से सबक

झांसी की घटना के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि आग लगने की मुख्य वजह शॉर्ट सर्किट थी।

  • अक्सर अस्पतालों में कम क्षमता की वायरिंग का उपयोग किया जाता है।
  • भारी उपकरणों के कनेक्शन के कारण ओवरलोडिंग से शॉर्ट सर्किट की घटनाएं बढ़ जाती हैं।

लाइसेंस निरस्तीकरण का प्रावधान

स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि:

  1. जहां फायर सेफ्टी उपकरणों की कमी पाई जाती है, वहां के अस्पतालों का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
  2. इस प्रावधान का उद्देश्य मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

राज्यों को पूर्व में भेजे गए पत्र

स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इससे पहले भी मार्च, मई, जून और जुलाई में फायर सेफ्टी गाइडलाइन्स के तहत राज्यों को पत्र भेजे गए थे।

  • इन गाइडलाइन्स के तहत हर हॉस्पिटल में सुरक्षा उपकरणों की जांच के आदेश दिए गए थे।
  • झांसी जैसी घटनाओं से बचने के लिए तत्काल प्रभाव से सभी दिशा-निर्देश लागू करने की जरूरत है।

अस्पतालों की जिम्मेदारी बढ़ी

स्वास्थ्य मंत्रालय ने सरकारी और निजी अस्पतालों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे:

  • फायर सेफ्टी के उपकरणों की नियमित जांच करें।
  • शॉर्ट सर्किट जैसी घटनाओं से बचने के लिए वायरिंग और उपकरणों की गुणवत्ता में सुधार करें।
  • मरीजों की सुरक्षा के लिए मानकों का पालन करें।

 

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