मनीषा शर्मा, अजमेर। दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे को लेकर चल रहे विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है। हाल ही में इस मामले से जुड़े एक वकील को गोली मारने की धमकी मिली है। यह घटना उस समय हुई जब वकील कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंचे थे। दरगाह कमेटी ने याचिका में कहा है कि वादी की ओर से लगाई गई याचिका को खारिज किया जाए, क्योंकि यह सुनवाई योग्य नहीं है। कोर्ट के बाहर एक व्यक्ति ने खुद को मीडिया वाला बताते हुए वकील को धमकी दी कि यदि वह 2:30 बजे कोर्ट में आए तो उसे गोली मार देंगे। इस घटना की जानकारी जज को दी गई, जिन्होंने पुलिस को उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
इस बीच, अजमेर वेस्ट कोर्ट में वन 10 के संबंध में अर्जियों पर सुनवाई होनी थी, लेकिन वादी विष्णु गुप्ता ने और समय मांगा। गुप्ता ने कहा कि मंदिर के दावे वाली याचिका को खारिज करने के लिए लगाई गई याचिका (711) खारिज होनी चाहिए। उन्होंने कोर्ट में यह भी कहा कि दरगाह में मंदिर होने के कई सबूत पेश किए गए हैं और वर्शिप एक्ट यहां लागू नहीं होता है।
विष्णु गुप्ता ने यह भी कहा कि ASI सर्वे की मांग की गई है और इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। दरगाह दीवान जेनुअल आबेदीन के बेटे नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि याचिका करने वाले विष्णु गुप्ता को पूरी जानकारी नहीं है और वे आधी-अधूरी जानकारी के आधार पर यह दावा कर रहे हैं।
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने सिविल कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि अजमेर दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर है। इस याचिका को सिविल कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था और सुनवाई की तारीख 20 दिसंबर तय की थी। गुप्ता ने अपनी याचिका में रिटायर्ड जज हरबिलास सारदा की 1911 में लिखी किताब “अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव” का हवाला देते हुए कहा कि दरगाह के निर्माण में मंदिर का मलबा शामिल है। इसके अलावा, उन्होंने गर्भगृह और परिसर में एक जैन मंदिर होने का भी दावा किया है।
इस मामले में अजमेर सिविल कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस भेजा था। इसके बाद अंजुमन कमेटी, दरगाह दीवान, गुलाम दस्तगीर अजमेर, ए इमरान बैंगलोर और राज जैन होशियारपुर पंजाब ने अपने आप को पक्षकार बनाने की अर्जी लगाई थी।
विष्णु गुप्ता ने दरगाह में शिव मंदिर होने के अपने दावे के तीन आधार प्रस्तुत किए हैं। पहले आधार के अनुसार, दरगाह में मौजूद बुलंद दरवाजे की बनावट हिंदू मंदिरों के दरवाजे की तरह है। दूसरे आधार में उन्होंने कहा कि दरगाह के ऊपरी स्ट्रक्चर में हिंदू मंदिरों के अवशेष जैसी चीजें दिखती हैं। तीसरे आधार में उन्होंने कहा कि जहां-जहां शिव मंदिर होते हैं, वहां पानी और झरने होते हैं, और अजमेर दरगाह में भी ऐसा ही है।गुप्ता ने यह भी दावा किया कि उनके पास 1250 ईस्वी की लिखी किताब “पृथ्वीराज विजय” है, जिसे वे कोर्ट में पेश करेंगे। उन्होंने कहा कि वर्शिप एक्ट पूजा अधिनियम कानून है और सुप्रीम कोर्ट में इस विषय पर वकील वरुण कुमार सेना ने बहस की है।
इस विवाद ने न केवल कानूनी पहलुओं को उजागर किया है, बल्कि यह धार्मिक भावनाओं को भी प्रभावित कर रहा है। अब देखना यह है कि 1 मार्च को होने वाली अगली सुनवाई में कोर्ट क्या निर्णय लेता है और इस विवाद का समाधान कैसे निकलता है। इस मामले में सुरक्षा को लेकर भी कदम उठाए गए हैं। विष्णु गुप्ता को एसपी वंदिता राणा के निर्देश पर सुरक्षा मुहैया करवाई गई है।