latest-newsजयपुरराजनीतिराजस्थान

शांति धारीवाल समेत 6 नेताओं को हाईकोर्ट का नोटिस

शांति धारीवाल समेत 6 नेताओं को हाईकोर्ट का नोटिस

राजस्थान में 25 सितंबर 2022 को राजनीतिक संकट उस समय गहरा गया जब कांग्रेस हाईकमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बदलने की कवायद में जुटा था। इस दौरान 81 कांग्रेस विधायकों ने अपना इस्तीफा तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के निवास पर जमा किया। इन विधायकों का कहना था कि वे सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने के विरोध में यह कदम उठा रहे हैं।

बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ की जनहित याचिका

बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर कहा कि इन इस्तीफों के पीछे दबाव और राजनीतिक चाल थी। उनका तर्क था कि यह इस्तीफे स्वेच्छा से नहीं दिए गए थे और यह लोकतंत्र के खिलाफ है। याचिका में यह भी कहा गया कि विधानसभा अध्यक्ष ने 75 विधायकों से यह पुष्टि नहीं की कि उनके इस्तीफे स्वैच्छिक थे या नहीं।

हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मामले में पूर्व मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी, महेंद्र चौधरी, रामलाल जाट, रफीक खान, और संयम लोढ़ा को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने पूछा कि इन नेताओं के पास अन्य विधायकों के इस्तीफे कैसे पहुंचे।

अध्यक्ष का पक्ष:

विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने 2023 में सभी इस्तीफे खारिज करते हुए कहा कि विधायकों ने अपने त्यागपत्र स्वेच्छा से नहीं दिए थे। इसके समर्थन में विधानसभा सचिवालय ने बताया कि 30 दिसंबर 2022 से 2 जनवरी 2023 के बीच अधिकांश विधायकों ने इस्तीफे वापस ले लिए।

याचिकाकर्ता का तर्क:

राजेंद्र राठौड़ का कहना है कि यह जनप्रतिनिधित्व के अधिकार का हनन है।

  • पहला तर्क: विधायकों से दबाव में इस्तीफे लिए गए।
  • दूसरा तर्क: इस्तीफों को जमा करने वाले 6 विधायकों से पूछा जाए कि उनके पास ये इस्तीफे कैसे आए।
  • तीसरा तर्क: इस्तीफे जमा करने वालों ने स्पीकर को इस प्रक्रिया की स्वैच्छिकता की जानकारी क्यों नहीं दी।

कोर्ट में आगे की प्रक्रिया

हाईकोर्ट इस मामले में तीन अहम पहलुओं पर विचार करेगा:

  1. इस्तीफों की स्वैच्छिकता।
  2. 6 नेताओं की भूमिका और उनके पास इस्तीफे पहुंचने का आधार।
  3. क्या यह प्रकरण लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन है।

राजनीतिक विश्लेषण: कांग्रेस और बीजेपी के लिए चुनौती

यह मामला कांग्रेस के लिए एक बड़ा सियासी संकट है। जहां एक तरफ गहलोत-पायलट गुटों में खींचतान पहले से ही थी, वहीं यह मामला इसे और बढ़ा सकता है। दूसरी ओर, बीजेपी इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश में है, ताकि कांग्रेस की छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके।

post bottom ad

Discover more from MTTV INDIA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading