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AIIMS जोधपुर ट्रॉमा सेंटर निर्माण में देरी पर हाईकोर्ट सख्त

AIIMS जोधपुर ट्रॉमा सेंटर निर्माण में देरी पर हाईकोर्ट सख्त

मनीषा शर्मा। राजस्थान हाईकोर्ट ने AIIMS जोधपुर के ट्रॉमा सेंटर के निर्माण में हो रही देरी पर गंभीर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगते हुए कहा कि इस तरह की लापरवाही आम जनता के स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित होने का कारण बन रही है। हाईकोर्ट ने इस मामले में सरकार को स्पष्ट रूप से चेताया कि अगर जल्द से जल्द काम पूरा नहीं हुआ, तो सरकार पर 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही, दोषी अधिकारियों पर आपराधिक कार्रवाई शुरू करने की संभावना भी व्यक्त की गई।

कोर्ट की सख्त टिप्पणी: स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित करना मौलिक अधिकार का उल्लंघन

हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि ट्रॉमा सेंटर के निर्माण में देरी लोगों के सम्मान के साथ जीने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि राज्य सरकार अगली सुनवाई से पहले इस मुद्दे पर एफिडेविट दाखिल करे।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है। 16 साल से एम्स परिसर के ऊपर से गुजर रही हाईटेंशन लाइन को नहीं हटाया गया है, जिससे 54,358 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनने वाले ट्रॉमा सेंटर का निर्माण अटका हुआ है। कोर्ट ने राज्य सरकार को 9 महीने के भीतर हाईटेंशन लाइन हटाने का आदेश दिया। अगली सुनवाई 6 फरवरी 2025 को होगी।

संस्कृत श्लोक के साथ शुरू किया आदेश

हाईकोर्ट ने अपने आदेश की शुरुआत संस्कृत के एक श्लोक से की, जिसका अर्थ है: “स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना और रोगी के रोग को शमन करना, संकट के समय नियंत्रण और शांति स्थापित करना ही समृद्ध राष्ट्र का पैमाना है।” यह श्लोक इस बात पर जोर देता है कि स्वास्थ्य सेवाएं किसी भी समाज के लिए कितनी महत्वपूर्ण हैं।

हाईटेंशन लाइन: 16 वर्षों की बाधा

एम्स जोधपुर की जमीन पर 16 सालों से हाईटेंशन लाइन बिछी हुई है। यह लाइन ट्रॉमा सेंटर के विस्तार में सबसे बड़ी रुकावट बनी हुई है। एक याचिकाकर्ता, चंद्रशेखर, ने एम्स के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं की कमी को लेकर याचिका दायर की थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कई बार निर्देश दिए, लेकिन हाईटेंशन लाइन हटाने का काम अब तक पूरा नहीं हुआ।

कोर्ट ने दी सरकार को अंतिम चेतावनी

राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि इस समस्या के समाधान के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है और कई मीटिंग्स भी हो चुकी हैं। हालांकि, कोर्ट ने इस तर्क को अस्वीकार करते हुए कहा कि सिर्फ मीटिंग और योजनाओं से काम नहीं चलेगा। हाईकोर्ट ने कहा कि यह मामला आपराधिक लापरवाही का है और इस पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।

जल प्रदूषण और भूमि आवंटन पर निर्देश

एम्स परिसर में जल प्रदूषण की समस्या को लेकर भी कोर्ट ने सख्त निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि जिला कलेक्टर और अन्य संबंधित प्राधिकरण तुरंत इस समस्या का समाधान करें। साथ ही, केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI) की भूमि को एम्स को हस्तांतरित करने के लिए कदम उठाए जाएं। एम्स को वैकल्पिक भूमि उपलब्ध कराने के लिए राज्य और केंद्रीय एजेंसियों के बीच समन्वय सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया।

एम्स जोधपुर: पश्चिमी राजस्थान की चिकित्सा सेवा का केंद्र

एम्स जोधपुर 2014 में प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत स्थापित किया गया था। यह संस्थान पश्चिमी राजस्थान के मरीजों के लिए एक महत्वपूर्ण चिकित्सा केंद्र है। लेकिन ट्रॉमा सेंटर के निर्माण में हो रही देरी और बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण मरीजों को भारी असुविधा हो रही है।

राज्य सरकार की लापरवाही पर कोर्ट की नाराजगी

हाईकोर्ट ने एम्स परिसर में जल प्रदूषण, हाईटेंशन लाइन और भूमि हस्तांतरण जैसे मुद्दों पर राज्य सरकार की लापरवाही को लेकर गहरी नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि इन समस्याओं का समाधान न करना न केवल मरीजों बल्कि एम्स के कर्मचारियों के स्वास्थ्य को भी खतरे में डाल रहा है।

तत्काल कदम उठाने के निर्देश

कोर्ट ने जिला कलेक्टर और संबंधित अधिकारियों को आदेश दिया कि:

  • हाईटेंशन लाइन को 9 महीने के भीतर हटाया जाए।
  • जल प्रदूषण की समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए।
  • काजरी की भूमि को एम्स को हस्तांतरित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
  • एम्स परिसर में वैकल्पिक पार्किंग की व्यवस्था की जाए।

 

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