शोभना शर्मा। राजस्थान विधानसभा में शिक्षा नीति, कोचिंग संस्थानों की मनमानी, कुलपतियों की नियुक्ति और शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर जोरदार बहस हुई। शिक्षा विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान पक्ष और विपक्ष दोनों ने राज्य की शिक्षा प्रणाली को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए। विपक्षी विधायकों ने सरकार की नई शिक्षा नीति को भ्रामक करार दिया और कहा कि इसे स्पष्ट रूप से लागू करने की जरूरत है। वहीं, कोचिंग हब के रूप में उभर रहे राजस्थान में कोचिंग संस्थानों की मनमानी और विश्वविद्यालयों में कुलपति पद पर उद्योगपतियों व नौकरशाहों की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए गए।
इंदिरा मीणा ने शिक्षा मंत्रियों की अनुपस्थिति पर उठाए सवाल
विधानसभा में बहस के दौरान कांग्रेस विधायक इंदिरा मीणा ने सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जब शिक्षा नीति पर इतनी बड़ी चर्चा हो रही है, तब दोनों शिक्षा मंत्री सदन में मौजूद नहीं हैं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, “अगर मंत्री ही मौजूद नहीं हैं, तो मेरी बात सुनेगा कौन?” उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा और नई शिक्षा नीति छात्रों और शिक्षकों के लिए भ्रम की स्थिति पैदा कर रही है। इंदिरा मीणा ने कहा कि जब शिक्षा पर इतनी महत्वपूर्ण चर्चा हो रही है, तो शिक्षा मंत्रियों की गैरमौजूदगी यह दर्शाती है कि सरकार खुद ही इस विषय पर गंभीर नहीं है। उन्होंने मांग की कि शिक्षा नीति को स्पष्ट किया जाए ताकि छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को किसी भी प्रकार का संशय न रहे।
कुलपतियों की नियुक्ति पर विपक्ष का हमला
बीजेपी विधायक मनीष यादव ने विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर बड़ा सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति में यह प्रावधान किया गया है कि विश्वविद्यालयों के कुलपति पद पर उद्योगपतियों और नौकरशाहों को नियुक्त किया जा सकता है, जो गलत है। उन्होंने तर्क दिया कि विश्वविद्यालयों को व्यावसायिक संस्थान बनाने की यह कोशिश भारतीय शिक्षा प्रणाली को कमजोर करने के समान है। उन्होंने कहा, “हमारी शिक्षा प्रणाली का पूरे विश्व में सम्मान है, लेकिन इस तरह के प्रावधान भारतीय शिक्षकों की भूमिका को कमजोर कर देंगे।” उन्होंने मांग की कि कुलपतियों की नियुक्ति केवल शिक्षाविदों के माध्यम से की जाए, ताकि शिक्षा का मूल उद्देश्य बना रहे और व्यावसायिक हितों को बढ़ावा न मिले।
कोचिंग संस्थानों की मनमानी और छात्रों पर बढ़ता दबाव
राजस्थान, खासकर कोटा, देशभर में कोचिंग हब के रूप में जाना जाता है। हर साल लाखों छात्र वहां मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं। लेकिन कोचिंग संस्थानों पर कोई ठोस नियमन नहीं होने के कारण छात्रों पर अत्यधिक दबाव बनाया जा रहा है। इस मुद्दे पर भी विधानसभा में तीखी बहस हुई। विधायक मनीष यादव ने कहा कि कोचिंग संस्थानों पर कोई ठोस नियम-कायदे लागू नहीं हैं, जिससे छात्रों पर मानसिक दबाव बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि “छात्र तनाव में रहते हैं, उनसे मनमाने घंटे पढ़ाई करवाई जाती है, भारी-भरकम फीस वसूली जाती है और मानसिक रूप से उन्हें परेशान किया जाता है।” उन्होंने सरकार से मांग की कि कोचिंग संस्थानों के लिए एक ठोस नियामक तंत्र बनाया जाए, ताकि छात्रों को राहत मिल सके और उनका मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षित रहे।
राजसमंद में कृषि महाविद्यालय और लॉ कॉलेज की मांग
राजस्थान के राजसमंद जिले में उच्च शिक्षा को लेकर भी विधानसभा में चर्चा हुई। विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी ने राजसमंद में कृषि महाविद्यालय और लॉ कॉलेज खोलने की मांग की। उन्होंने कहा कि जिले के छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए बाहर जाना पड़ता है, जिससे आर्थिक और मानसिक बोझ बढ़ जाता है। उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द इस दिशा में कदम उठाने की अपील की।
विपक्ष ने सरकार की शिक्षा नीति पर उठाए गंभीर सवाल
विपक्ष के विधायकों ने नई शिक्षा नीति की अस्पष्टता को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति को जल्द से जल्द स्पष्ट किया जाना चाहिए, ताकि शिक्षक, छात्र और अभिभावक सभी इसके कार्यान्वयन को ठीक से समझ सकें।
विधानसभा में उठे मुख्य मुद्दे:
नई शिक्षा नीति को लेकर भ्रम – सरकार इसे स्पष्ट रूप से लागू करने में विफल रही है।
कुलपतियों की नियुक्ति पर आपत्ति – उद्योगपतियों और नौकरशाहों को कुलपति बनाने की नीति पर सवाल उठाए गए।
कोचिंग संस्थानों पर नियंत्रण की मांग – छात्रों पर अत्यधिक दबाव और मनमानी फीस वसूली पर सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग की गई।
राजसमंद में उच्च शिक्षा संस्थानों की आवश्यकता – कृषि महाविद्यालय और लॉ कॉलेज खोलने की जरूरत पर जोर दिया गया।