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“मैं लट्ठमार बोलता हूं”—कटारिया का बेबाक अंदाज

“मैं लट्ठमार बोलता हूं”—कटारिया का बेबाक अंदाज

मनीषा शर्मा।  पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने उदयपुर के सुखाड़िया रंगमंच में आयोजित एक कार्यक्रम में अपने अनोखे अंदाज में कई बातें साझा कीं। सुंदर सिंह भंडारी चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस प्रतिभा सम्मान समारोह में कटारिया ने राजनीति, अनुशासन, और जनसंघ के वरिष्ठ नेताओं की यादों को साझा किया। इस दौरान उन्होंने सांसद मन्नालाल रावत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बचपन से जुड़े प्रेरक किस्से भी सुनाए।

“मैं लट्ठमार बोलता हूं”—कटारिया का बेबाक अंदाज

गुलाबचंद कटारिया अपने बेबाक और स्पष्ट बोलने के लिए जाने जाते हैं। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं लट्ठमार बोलता हूं, कई बार मेरे लपेटे में एमपी भी आ जाते हैं।” उन्होंने मजाक में उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत की ओर इशारा करते हुए कहा, “इनको लगता होगा, यार मैं तो एमपी हूं। होगा यार एमपी, उसका क्या है, लेकिन कार्यकर्ता तो हो न।” उनके इस बयान पर सभागार ठहाकों से गूंज उठा।

इसके बाद सांसद मन्नालाल रावत भी अपनी सीट से खड़े हुए और कटारिया का अभिवादन किया। कटारिया का यह अंदाज न केवल दर्शकों को हंसाने में कामयाब रहा, बल्कि उनकी सरलता और स्पष्टता को भी प्रदर्शित करता है।

अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया

कटारिया ने अपने संबोधन में अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कई प्रेरक किस्से सुनाए। उन्होंने कहा, “मुझे याद है, जब मैं 1620 वोटों से जीता था, तो वह अटल जी की वजह से ही संभव हुआ।” उन्होंने बताया कि वाजपेयी की सभा उदयपुर के गुलाब बाग में अचानक तय हुई थी। “हमने वहां एक साधारण मंच बनाया, और वाजपेयी जी रतलाम से आए थे। अव्यवस्थाओं के बावजूद उन्होंने न केवल सभा को सफल बनाया, बल्कि जनता को अपनी ओर आकर्षित किया।”

उन्होंने वाजपेयी के वक्तृत्व कला की भी प्रशंसा की और कहा, “उनकी कविताएं ऐसी थीं कि मरे को भी जिंदा कर दें। जब वे विद्यार्थी थे, तो उदयपुर के विद्या भवन में डिबेट में भाग लेने आए थे। उनकी ट्रेन लेट हो गई थी, लेकिन उनके भाषण का ऐसा प्रभाव था कि उन्हें पहला पुरस्कार दिया गया।”

“चिमटे से भी नहीं पकड़ूंगा ऐसी सरकार”

कटारिया ने वाजपेयी के प्रधानमंत्री काल का एक और किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया कि जब उनकी सरकार एक वोट से गिर गई थी, तो वाजपेयी ने राष्ट्रपति को तुरंत इस्तीफा सौंप दिया। “उन्होंने यह नहीं कहा कि दूसरी बार मौका दो। वाजपेयी ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि मैं पैसे के लेनदेन से बहुमत साबित करने वाली सरकार को चिमटे से भी नहीं पकड़ूंगा। यह उनकी नैतिकता और राजनीतिक ईमानदारी को दर्शाता है।”

अनुशासन के प्रतीक: सुंदर सिंह भंडारी

कटारिया ने जनसंघ के वरिष्ठ नेता सुंदर सिंह भंडारी को अनुशासन और सादगी का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “भंडारी जी के कार्यक्रमों में जो आता था, उसे पूरा समय देना होता था। या तो वह आए ही नहीं, और अगर आया, तो पूरे कार्यक्रम में रुके। उनकी सभा में 10 लोग हों या 10,000, कार्यक्रम समय पर शुरू होता था।”

उन्होंने यह भी कहा कि भंडारी जी का मानना था कि जनता को नेताओं के इंतजार में घंटों बैठाना अनुचित है। “नेताजी आ रहे हैं, यह कहकर जनता को इंतजार करवाना जनता के लिए अपमानजनक है। यह अनुशासन हम भंडारी जी से सीख सकते हैं।”

प्रधानमंत्री मोदी के बचपन की कहानी

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बचपन से जुड़ा एक प्रेरक किस्सा साझा किया। उन्होंने कहा, “मोदी जी जब छोटे थे, तो वे वडनगर के सरकारी स्कूल में पढ़ते थे। उनके गांव में शिवरात्रि पर एक मेला लगता था। उनके पिता ने मेले में जाने के लिए एक रुपया दिया था। मोदी ने उस पैसे को खर्च करने के बजाय अपने दोस्तों से चर्चा की और कहा कि हम चाय की स्टॉल लगाएंगे और जो पैसा मिलेगा, उसे बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए भेज देंगे। “यह उनकी संवेदनशीलता और समाज के प्रति उनकी सोच को दर्शाता है। बचपन में ही उन्होंने यह सिखाया कि छोटे-छोटे प्रयास भी बड़े बदलाव ला सकते हैं।”

बेटियों की उपलब्धि पर सम्मान

आचार्य देवव्रत ने बेटियों की उपलब्धियों की सराहना की। उन्होंने कहा, “गुजरात के सरकारी विश्वविद्यालयों में बेटियों का प्रतिशत बहुत अच्छा है। ये बेटियां न केवल शिक्षा में आगे बढ़ रही हैं, बल्कि घर के कामों में भी परिवार का सहयोग करती हैं।” उन्होंने इस कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिभाओं को बधाई दी और कहा कि ये बेटियां देश का गौरव हैं।

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