मनीषा शर्मा। राजस्थान में खून का कारोबार और ब्लड डोनेशन की कालाबाजारी का बड़ा मामला सामने आया है। जयपुर के जोबनेर थाना क्षेत्र में पुलिस ने जयपुर-फलोदी मेगा हाईवे पर नाकाबंदी के दौरान एक कार से 250 यूनिट अवैध ब्लड बरामद किया। इस घटना ने रक्तदान की पवित्रता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मामले का खुलासा: बिना दस्तावेज़ पकड़ा गया ब्लड
पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर हाईवे पर नाकाबंदी की थी, जहां एक कार से इतनी बड़ी मात्रा में ब्लड बरामद हुआ। इस दौरान कार में सवार तीन व्यक्तियों से ब्लड के बारे में पूछताछ की गई, लेकिन वे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। मामले की जानकारी तुरंत औषधि नियंत्रण विभाग को दी गई। ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने बताया कि ब्लड ट्रांसपोर्ट करने के लिए नियमानुसार उचित दस्तावेज़ तैयार करने पड़ते हैं। हालांकि, जांच में पाया गया कि ब्लड के परिवहन के लिए कोई भी दस्तावेज़ मौजूद नहीं थे। इसके अलावा, ब्लड को ले जाने के लिए आवश्यक कोल्ड स्टोरेज चेन का पालन भी नहीं किया गया था, जिससे ब्लड की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती थी।
सवाई माधोपुर ब्लड बैंक भेजा जा रहा था ब्लड
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि यह ब्लड मकराना से इकट्ठा किया गया था और इसे सवाई माधोपुर के ब्लड बैंक में भेजा जाना था। हालांकि, सवाई माधोपुर के जिस ब्लड बैंक को यह ब्लड भेजा जाना था, उसके साथ संबंधित किसी भी तरह के दस्तावेज़ नहीं मिले। इसके अलावा, इस बात की भी पुष्टि नहीं हो सकी कि ब्लड सुरक्षित तरीके से स्टोर किया गया था या नहीं। ड्रग विभाग की टीम ने ब्लड को जयपुर के जयपुरिया अस्पताल में सुरक्षित रखवा दिया है ताकि उसकी गुणवत्ता खराब न हो।
लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई की तैयारी
ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने कहा कि इस मामले में जांच पूरी होने के बाद मकराना और सवाई माधोपुर ब्लड बैंक के लाइसेंस निरस्त किए जा सकते हैं। विभाग ने मकराना और अन्य संभावित स्थानों पर जांच के लिए एक टीम भेजी है। इस बात की भी जांच की जा रही है कि कहीं यह ब्लड राजस्थान से बाहर अन्य राज्यों में तो नहीं भेजा जा रहा था।
पुलिस की भूमिका और जांच का विस्तार
पुलिस ने बताया कि बरामद ब्लड के साथ पकड़े गए तीन व्यक्तियों से पूछताछ की जा रही है। अब तक उन्होंने कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी है। जांच के तहत यह पता लगाया जा रहा है कि क्या यह अवैध ब्लड तस्करी का मामला है और इसके पीछे कौन-कौन से लोग शामिल हो सकते हैं।
ब्लड डोनेशन की पवित्रता पर सवाल
रक्तदान को ‘महादान’ कहा जाता है। समाज में ब्लड डोनेशन को एक सेवा के रूप में देखा जाता है, लेकिन इस घटना ने इसे लेकर गहरी चिंता पैदा कर दी है। ऐसे मामलों से रक्तदान की पवित्रता पर बुरा असर पड़ता है। अवैध खून का कारोबार न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि यह कई स्वास्थ्य जोखिम भी पैदा करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लड को उचित प्रक्रिया और सुरक्षा मापदंडों के तहत स्टोर और ट्रांसपोर्ट करना आवश्यक होता है। लेकिन इस मामले में सभी मानकों का उल्लंघन किया गया।
ब्लड तस्करी का बढ़ता खतरा
राजस्थान में ब्लड तस्करी का यह मामला पहला नहीं है। पहले भी राज्य में ब्लड डोनेशन के नाम पर अवैध ब्लड बैंक संचालित होने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ब्लड बैंक से जुड़े मामलों में सख्ती बरतनी चाहिए ताकि इस तरह के अवैध कारोबार पर रोक लगाई जा सके।