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इम्तियाज अली ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में किए खुलासे

इम्तियाज अली ने  जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में किए खुलासे

शोभना शर्मा। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) में आयोजित कार्यक्रम का आखिरी दिन एक अनोखी और प्रेरणादायक बातचीत का साक्षी रहा। फिल्म निर्देशक इम्तियाज अली ने फेस्टिवल के लास्ट सेशन में अपने जीवन के ऐसे मोड़ के बारे में खुलकर बताया, जिसने उन्हें असफलताओं का सामना करना सिखाया और अंततः सफलता की ओर अग्रसर किया। इम्तियाज अली ने यह भी साझा किया कि 9वीं क्लास में फेल होना उनके जीवन का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुआ, क्योंकि इसी अनुभव ने उन्हें खुद में सुधार करने और असफलताओं से लड़ने की क्षमता विकसित करने में मदद की।

इम्तियाज अली ने बताया कि जब वह नौवीं कक्षा में फेल हुए थे, तब उन्हें लगता था कि यह एक बहुत बड़ी हार है। लेकिन आज जब वे पीछे मुड़कर देखते हैं, तो उन्हें एहसास होता है कि वही असफलता उन्हें अपनी कमजोरियों से लड़ने और उन पर विजय पाने का तरीका सिखा गई। उनके अनुसार, फेल होने का अनुभव केवल एक सीख थी जिसने उन्हें आत्मविश्लेषण करने, खुद को बेहतर बनाने और अपनी रचनात्मकता को नए तरीके से संवारने में मदद की। उन्होंने कहा, “जब मैं नौवीं क्लास में फेल हो गया था, वह मेरी जिंदगी का सबसे टर्निंग पॉइंट था, क्योंकि इसी ने मुझे असफलताओं का सामना करना सिखाया।”

इम्तियाज अली ने अपने बचपन और किशोरावस्था की यादों को साझा करते हुए बताया कि उनके घर के पास एक पुराना थिएटर था, जहाँ रात के समय भी कभी-कभार थिएटर का दरवाजा खुला रहता था। उस समय, जब अधिकांश लोग सोने चले जाते थे, इम्तियाज उस थिएटर से गुजरते और स्क्रीन पर चमकते सितारों की छवि को देख पाते थे। उन्हें अमिताभ बच्चन की अदाओं, रेखा में उनकी नाज़ुक मुस्कान और उनकी बेमिसाल अदाओं का अनुभव होता था। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने देखा कि बाईं तरफ क्या हो रहा है और दाईं तरफ क्या चल रहा है। इन दृश्यावलोकनों ने उनकी कल्पनाशीलता को प्रज्वलित किया और बाद में फिल्में डायरेक्ट करने का निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

फेस्टिवल के लास्ट सेशन में इम्तियाज अली ने फिल्मों, संगीत और अपने करियर के कई पहलुओं पर खुलकर बातचीत की। उन्होंने कहा कि वे अपनी फिल्मों को बहुत आसान बनाना चाहते हैं। उनके अनुसार, आज के दौर में फिल्में इतनी जटिल क्यों हो गई हैं, जबकि सरलता में भी गहराई हो सकती है। उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति ने उनसे पूछा था कि क्या वे अपने समय से आगे हैं। इम्तियाज अली ने स्पष्ट किया कि उनका मकसद ऐसा नहीं है, बल्कि वे हर उस तरकीब को अपनाना चाहते हैं जिससे उनकी फिल्में इसी युग के लोगों में लोकप्रिय हो सकें। उन्होंने कहा, “मैं हर वो तरकीब अपनाना चाहता हूं जिससे मेरी फिल्में इस दौर में ही पसंद की जाएं।”

उनका मानना था कि जटिलता के बजाय, सरलता में ही सच्ची सुंदरता होती है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर महाभारत का हवाला दिया, जो अपने आप में बहुत जटिल है, लेकिन अगर समझा जाए तो उसमें भी गहराई और सीख छिपी होती है। इम्तियाज अली ने कहा कि उनकी फिल्में महाभारत से भी ज्यादा सरल हैं, लेकिन अगर दर्शक उन्हें समझ पाएंगे, तो उन्हें सराहा भी जाएगा।

जयपुर से उनके खास कनेक्शन की बात करते हुए इम्तियाज ने साझा किया कि उनके घर के पास एक हेयर कटिंग सैलून था, जहां लोग आते और मिथुन की तरह बाल कटवाते थे। यह दृश्य भी उनके दिमाग पर गहरा प्रभाव छोड़ गया। उन्होंने बताया कि कैसे इन छोटे-छोटे अनुभवों ने उनके जीवन के विभिन्न रंगों को समझने में मदद की और कैसे जयपुर से उनका जुड़ाव बना। इस तरह के व्यक्तिगत अनुभवों ने उन्हें न केवल एक उत्कृष्ट फिल्म निर्देशक बनाया, बल्कि एक ऐसा कलाकार भी तैयार किया जिसने अपने जीवन के हर अनुभव से कुछ न कुछ सीखकर अपनी कला में उसे उतारने का प्रयास किया।

फेस्टिवल के दौरान इम्तियाज अली ने अपनी फिल्मी यात्रा के उतार-चढ़ाव और अनुभवों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उनकी कई फिल्में पहली बार में जब रिलीज हुईं तो शायद तुरंत लोकप्रिय नहीं हुईं, लेकिन बाद में एक समर्पित दर्शक वर्ग ने उनकी फिल्मों को सराहा। इम्तियाज ने इस बात पर जोर दिया कि सफलता की कोई गारंटी नहीं होती। आलोचना और प्रशंसा दोनों साथ-साथ आती हैं। उनका कहना था कि आलोचना को सकारात्मक रूप से लेना चाहिए और यह देखना चाहिए कि क्या उससे बेहतर कुछ किया जा सकता है।

इम्तियाज अली ने आगे कहा कि असफलताओं का बोझ हमेशा मन पर भारी होता है, लेकिन यदि आप उस बोझ से मुक्त होकर अपने काम में लग जाएं तो सफलता अपने आप आपके कदम चूम लेती है। उन्होंने कहा, “सफलता की कोई गारंटी नहीं है, इसलिए बस अपना काम करते रहो, किसी भी सफलता या असफलता के बोझ से खुद को मुक्त रखो।” यह संदेश न केवल उनके अनुभव को दर्शाता है, बल्कि युवा और उभरते कलाकारों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बन चुका है।

फेस्टिवल में मौजूद दर्शकों ने इम्तियाज अली की बातें बड़े ध्यान से सुनीं और उनके अनुभवों से प्रेरणा ली। उनकी सरल और स्पष्ट भाषा में दी गई बातें इस बात का प्रमाण थीं कि कैसे एक असफलता भी जीवन में एक मजबूत बदलाव का कारण बन सकती है। उन्होंने अपने जीवन के उन कठिन पलों को साझा किया, जिन्होंने उन्हें आज के इस मुकाम पर पहुंचाया।

इम्तियाज अली का यह खुलासा कि 9वीं कक्षा में फेल होना उनके लिए एक बड़ा टर्निंग पॉइंट था, यह संदेश देता है कि असफलता से घबराना नहीं चाहिए। बल्कि, उससे सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए। उनके अनुसार, असफलता जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो हमें मजबूत बनाता है और हमें बताता है कि असली सफलता वही है जो संघर्षों और चुनौतियों से निकलकर हासिल की जाए।

 

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