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आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन से दुर्लभ गोडावण का जन्म: भारत बना पहला देश

आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन से दुर्लभ गोडावण का जन्म: भारत बना पहला देश

मनीषा शर्मा। भारत ने दुर्लभ गोडावण पक्षी के संरक्षण में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। जैसलमेर स्थित सुदासरी गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (कृत्रिम गर्भाधान) की मदद से गोडावण का सफल प्रजनन किया गया। भारत दावा कर रहा है कि ऐसा करने वाला वह दुनिया का पहला देश है। यह उपलब्धि देश के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लुप्तप्राय प्रजाति के संरक्षण में एक बड़ी सफलता है।

गोडावण संरक्षण के लिए नई पहल

गोडावण के संरक्षण के लिए किए गए इस सफल प्रयास से भविष्य में इस दुर्लभ प्रजाति की संख्या में वृद्धि की उम्मीद की जा रही है। डेजर्ट नेशनल पार्क में स्थित गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। यह प्रक्रिया पहली बार आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन के माध्यम से की गई, जिसमें मेल गोडावण का स्पर्म लेकर मादा गोडावण का प्रजनन कराया गया।

DFO आशीष व्यास ने बताया कि इस प्रक्रिया के तहत मेल गोडावण को आठ महीने तक मेटिंग की ट्रेनिंग दी गई। इसके बाद 20 सितंबर को मादा गोडावण टोनी को कृत्रिम गर्भाधान करवाया गया। टोनी ने 24 सितंबर को अंडा दिया और 16 अक्टूबर को उस अंडे से चूजा निकला। चूजे की सभी मेडिकल जांच की गई और अब वह पूरी तरह स्वस्थ है।

अबू धाबी से मिली प्रेरणा

इस तकनीक को अपनाने के पीछे अबू धाबी स्थित इंटरनेशनल फंड फॉर हुबारा कंजर्वेशन फाउंडेशन (IFHC) का महत्वपूर्ण योगदान है। वहां इस तकनीक का सफल प्रयोग तिलोर पक्षी पर किया गया था। भारत के वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) के वैज्ञानिकों ने अबू धाबी जाकर इस तकनीक को सीखा और फिर इसे गोडावण पर लागू किया गया।

प्रक्रिया और परिणाम

रेजिडेंट मेल गोडावण सुदा को कृत्रिम मेटिंग के लिए प्रशिक्षित किया गया। इस प्रक्रिया में आर्टिफिशियल फीमेल का इस्तेमाल किया गया ताकि मेल गोडावण स्वाभाविक रूप से बिना मेटिंग के स्पर्म दे सके। मेल गोडावण को इस प्रक्रिया के लिए पूरी तरह तैयार होने में आठ महीने का समय लगा।

टोनी ने 24 सितंबर को अंडा दिया, जिसे वैज्ञानिक तरीके से सुरक्षित रखा गया। अंडे से चूजे के निकलने का दिन 16 अक्टूबर था। इसके बाद चूजे को ऑब्जर्वेशन में रखा गया और उसके सभी मेडिकल टेस्ट पूरे किए गए। अब चूजा स्वस्थ है और वैज्ञानिकों का मानना है कि यह प्रक्रिया गोडावण की संख्या बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी।

गोडावण की संख्या और संरक्षित क्षेत्र

वर्तमान में जैसलमेर में गोडावण की कुल संख्या 173 है। इसमें से 128 गोडावण खुले क्षेत्रों में घूम रहे हैं जबकि 45 गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में हैं। जैसलमेर का डेजर्ट नेशनल पार्क गोडावण के लिए सबसे संरक्षित क्षेत्र माना जाता है, जहां लगभग 70 क्लोजर बनाए गए हैं। यहां स्थित हैचरी सेंटर में अंडों से चूजे निकलवाने का कार्य वैज्ञानिक तकनीकों से किया जा रहा है।

 

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