मनीषा शर्मा, अजमेर। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने नई शिक्षा नीति 2020 को राष्ट्र के विकास का मार्ग बताते हुए कहा कि यह नीति भारत को सही अर्थों में विश्वगुरु बनाएगी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति भारतीय जनमानस, प्राचीन ज्ञान परंपरा और आधुनिक शिक्षा पद्धतियों का प्रतिनिधित्व करती है। यह नीति देश को वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को साकार करने में सहायक होगी।
शुक्रवार को महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में “राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षण संस्थानों की भूमिका” विषय पर आयोजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में वासुदेव देवनानी ने कहा कि 2014 में केन्द्र में एक सशक्त सरकार का गठन हुआ, जिसने प्राचीन भारतीय जीवन मूल्यों और आदर्शों के साथ शिक्षा सुधार की दिशा में कदम उठाए। इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया, जिसने हजारों शिक्षकों, अभिभावकों और विद्यार्थियों से परामर्श करके नई शिक्षा नीति तैयार की।
देवनानी ने कहा कि भारत की शिक्षा प्रणाली को अंग्रेजी शासन के 200 वर्षों के प्रभाव से उबारने की आवश्यकता थी। स्वतंत्रता के बाद से ही शिक्षा प्रणाली में बदलाव अपेक्षित था, जिसे नई शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से पूरा किया गया। उन्होंने कहा कि यह नीति समावेशी, वैज्ञानिक और तर्कसंगत शिक्षा को प्रोत्साहित करती है। इसके तहत शिक्षा संस्थानों की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण हो गई है, क्योंकि वे नीति के क्रियान्वयन के मुख्य केंद्र होंगे।
उन्होंने आगे कहा कि शिक्षण संस्थान न केवल विद्यार्थियों को ज्ञान प्रदान करने का काम करेंगे, बल्कि उनके बौद्धिक कौशल और व्यक्तित्व निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षण संस्थान भारत केंद्रित और विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा का प्रसार करेंगे। इससे भारतीय ज्ञान परंपरा का पुनरुत्थान होगा और भारत को “द ट्रेजरी ऑफ नॉलेज” के रूप में स्थापित किया जाएगा।
कार्यशाला में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक उत्कृष्ट दस्तावेज है, जिसका उद्देश्य प्रत्येक भारतीय को बौद्धिक और कार्य व्यवहार की दृष्टि से समृद्ध बनाना है। उन्होंने कहा कि इससे पहले की नीतियां भारतीय संस्कृति का अपमान करती थीं, लेकिन नई शिक्षा नीति ने इस कमी को दूर किया है।
कार्यशाला में प्रो. सुभाष चन्द्र ने प्लास्टिक मुक्त विश्वविद्यालय की शपथ दिलाई। अन्य प्रमुख शिक्षाविदों में डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल, पूर्व कुलपति प्रो. बी.आर. छीपा, नितिन जैन सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक और छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित थे। इस अवसर पर वाद-विवाद, एनसीसी, एनएसएस और खेल-कूद जैसी गतिविधियों को भी नई शिक्षा नीति के अंतर्गत महत्वपूर्ण बताया गया।