मनीषा शर्मा। भारतीय और अमेरिकी सेनाओं के बीच चल रहा संयुक्त युद्धाभ्यास 2024 अपने चरम पर है। राजस्थान के बीकानेर में 9 सितंबर से शुरू हुए इस अभ्यास में दोनों देशों की सेनाएं एक साथ आतंकी ठिकानों पर हमले की तैयारी कर रही हैं। यह अभ्यास 22 सितंबर 2024 तक चलेगा, जहां दोनों सेनाओं के 1200 से अधिक सैनिक अपने अनुभव और युद्ध कौशल साझा कर रहे हैं। यह युद्धाभ्यास भारत और अमेरिका के बीच होने वाले सबसे बड़े सैन्य अभ्यासों में से एक है, जिसमें महिला सैनिकों की भी अहम भागीदारी है।
रेगिस्तान में 36 डिग्री तापमान में पसीना बहा रहे अमेरिकी सैनिक
अमेरिकी सेना की आर्कटिक एंजेल्स ब्रिगेड, जो कि अलास्का की -35 डिग्री की सर्दी में युद्ध करने में माहिर है, अब बीकानेर के रेगिस्तान में 36 डिग्री की भीषण गर्मी में दुश्मनों को मात देने के गुर सीख रही है। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य आतंकी गतिविधियों का मुकाबला करने और सैनिकों को विभिन्न वातावरण में लड़ने की तकनीक सिखाना है।
महाजन फायरिंग रेंज: आतंकवाद विरोधी युद्धाभ्यास का केंद्र
बीकानेर के महाजन फायरिंग रेंज में आयोजित यह युद्धाभ्यास भारतीय सेना की 9वीं राजपूत इन्फेंट्री और अमेरिकी सेना के सैनिकों के बीच हो रहा है। इस अभ्यास के दौरान दोनों सेनाएं आतंकी ठिकानों पर हमले की रणनीति और आपसी तालमेल को मजबूत करने पर काम कर रही हैं। आखिरी 72 घंटे विशेष रूप से महत्वपूर्ण होंगे, जहां 1200 सैनिक संयुक्त रूप से युद्धाभ्यास करेंगे।
आतंकी ठिकानों पर हमले की रणनीति
14 दिनों तक चलने वाले इस अभ्यास में आतंकवादी ठिकानों पर हमले की रणनीतियां बनाई जा रही हैं। अमेरिकी और भारतीय सैनिक टैंकों और राइफलों के साथ मैदान में उतरते हुए आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने की तैयारी कर रहे हैं। इस दौरान दोनों सेनाएं आपसी तालमेल और टीमवर्क को भी मजबूत करेंगी।
भारतीय और अमेरिकी सैनिकों की संयुक्त ताकत
इस युद्धाभ्यास में दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे के हथियारों और तकनीकों को समझ रहे हैं। भारतीय सेना की पैदल सेना, अमेरिकी सैनिकों को रेगिस्तानी इलाकों में फायरिंग और आर्टिलरी ट्रेनिंग दे रही है। इस दौरान भारतीय जवान SIG SAUER 716 राइफल के साथ अभ्यास कर रहे हैं, जो हर मिनट 685 राउंड फायर करने में सक्षम है।
महिला सैनिकों की भागीदारी
अमेरिकी और भारतीय सेनाओं में महिला सैनिकों की भागीदारी भी इस अभ्यास की एक विशेषता है। अमेरिकी सेना से 50 महिला सैनिक और भारतीय सेना से भी इतनी ही महिला जवान इस अभ्यास का हिस्सा हैं। यह महिला सैनिक अपने पुरुष साथी सैनिकों के साथ कदमताल करते हुए भारी हथियारों के साथ प्रैक्टिस कर रही हैं।
अलास्का से आए आर्कटिक एंजेल्स: -35 डिग्री से +36 डिग्री तक का सफर
अमेरिकी सेना की अलास्का में तैनात आर्कटिक एंजेल्स यूनिट, जो कि -35 डिग्री तापमान में युद्ध करने में विशेषज्ञ मानी जाती है, इस समय बीकानेर की 36 डिग्री की भीषण गर्मी में युद्धाभ्यास कर रही है। पिछले साल भारतीय सैनिक अलास्का गए थे, जहां उन्होंने ठंडी जलवायु में युद्ध के टिप्स लिए थे। अब, अमेरिकी सैनिक भारत आकर यहां की भीषण गर्मी में युद्धाभ्यास कर रहे हैं।
आतंकी गतिविधियों से निपटने में मददगार
यह युद्धाभ्यास भारत और अमेरिका की सेनाओं के लिए आतंकवाद विरोधी अभियान में काफी सहायक साबित होगा। इस अभ्यास के अंतिम चरणों में आतंकी ठिकानों पर संयुक्त हमले किए जाएंगे, जिससे भविष्य में वास्तविक अभियानों के दौरान बेहतर तालमेल सुनिश्चित किया जा सके।
भारतीय सेना के जवानों की मूंछें: सम्मान और गर्व का प्रतीक
भारतीय सेना की 9वीं राजपूत इन्फेंट्री के जवानों की एक और खास बात उनकी एक जैसी मूंछें हैं। यह मूंछें उनके गर्व और सम्मान का प्रतीक हैं। ये जवान अलास्का में माइनस डिग्री तापमान में युद्ध करने के गुर सीखने के बाद अब अमेरिकी सैनिकों के साथ राजस्थान के धोरों में युद्धाभ्यास कर रहे हैं।
हर मिनट 685 राउंड फायर की क्षमता
भारतीय और अमेरिकी सैनिकों ने पिछले 9 दिनों से महाजन रेंज में फायरिंग का गहन अभ्यास किया है। इस दौरान दोनों सेनाओं ने SIG SAUER 716 राइफल का उपयोग किया, जो हर मिनट 685 राउंड फायर करने की क्षमता रखती है। दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे के हथियारों को समझ रहे हैं ताकि भविष्य में जब संयुक्त मिशन पर जाना हो, तो आपसी तालमेल में कोई समस्या न हो।
खाली समय में फुटबॉल और क्रिकेट का मजा
युद्धाभ्यास के दौरान जब भी सैनिकों को खाली समय मिलता है, वे फुटबॉल और क्रिकेट जैसे खेलों में भी हिस्सा लेते हैं। अमेरिकी सैनिक विशेष रूप से फुटबॉल खेलना पसंद कर रहे हैं, जबकि भारतीय सैनिक क्रिकेट खेलकर अपने मनोरंजन का आनंद ले रहे हैं।
अमेरिकी सेना की हाई मोबिलिटी रॉकेट तकनीक
अमेरिकी सेना के जवान भारत में उच्च मोबिलिटी रॉकेट सिस्टम (HIMARS) और M777 हॉवित्जर तोप का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। यह वही तकनीक है, जिसे हाल ही में यूक्रेन युद्ध के दौरान उपयोग किया गया था। HIMARS की 310 किलोमीटर की मारक क्षमता है, जो दुश्मनों पर तेज और सटीक हमले करने में सक्षम है।