मनीषा शर्मा। जयपुर में श्रीराम कथा(Shri Ram Katha) के दौरान जगदगुरु रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) ने उपस्थित भक्तों से कहा कि अब यह सिद्ध करना है कि जो व्यक्ति भारत में रहना चाहता है, उसे राम जी की जय कहना होगा। रामभद्राचार्य महाराज ने स्पष्ट रूप से यह कहा कि जो भी राम का समर्थक है, वह उनके साथ है। उन्होंने रामायण के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह केवल एक कथा नहीं है, बल्कि इसमें 18 पुराणों, 4 उपपुराणों और 1 महापुराण (भागवत) समेत कुल 23 पुराणों का सार समाहित है, इसलिए इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।
रामराज्य के लिए समर्थन
रामभद्राचार्य ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से कहा कि वे राजनैतिक व्यक्ति नहीं हैं, लेकिन जब राष्ट्र धर्म की बात आती है, तो परिवार धर्म पीछे छुट जाता है। उन्होंने रामराज्य की परिकल्पना पर जोर दिया और कहा कि जो भी रामराज्य का समर्थन करेगा, वह उनके समर्थन के पात्र होंगे। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि भगवान की पूजा हमेशा कमल से की जाएगी, न कि पंजे से, और यदि कोई इस बात से सहमत नहीं है, तो उन्हें न बुलाया जाए।
गलता गद्दी पर बयान
कार्यक्रम के दौरान रामभद्राचार्य महाराज ने जयपुर स्थित गलता गद्दी के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि गलता गद्दी रामानंदियों को दी जानी चाहिए और इसके लिए एक ट्रस्ट भी बनना चाहिए, जिसका अध्यक्ष सर्वमान्य जगदगुरु रामानंदाचार्य हो। गजेंद्र सिंह शेखावत से उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल से यह मांग की जाए कि गलता गद्दी रामानंदियों को सौंप दी जाए, और यह उनके लिए दक्षिणा होगी।
गजेंद्र सिंह का प्रतिक्रिया
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने रामभद्राचार्य महाराज के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 500 साल पहले जब अक्रांताओं ने राम मंदिर पर आक्रमण किया, तो उस दिन भारत में राम राज्य का अंत हो गया। लेकिन अब, अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद, एक बार फिर से रामराज्य की शुरुआत होगी। उन्होंने रामभद्राचार्य की बातों को ध्यान में रखते हुए काशी और मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि के लिए उनकी मांग को ऊपर तक पहुंचाने का वादा किया। इसके साथ ही गलता गद्दी पर भी सरकार जल्द ही विचार करेगी।
दशरथ के बारे में भ्रांतियां
रामभद्राचार्य ने राम कथा को लेकर फैल रही भ्रांतियों पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग यह कहते हैं कि दशरथ जी कामी थे, जो पूरी तरह गलत है। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘सत्य राम प्रेमी श्री दशरथ’ का जिक्र करते हुए कहा कि जो राम के पिता हैं, वह कामी कैसे हो सकते हैं? राम के साथ काम का कोई संबंध नहीं हो सकता। उनके अनुसार, राम जैसे महान व्यक्तित्व के साथ काम का कोई संबंध नहीं हो सकता, जैसे सूर्य और रात एक साथ नहीं रह सकते।
रामभद्राचार्य ने स्पष्ट किया कि दशरथ जैसा राम प्रेमी भारतीय इतिहास में कभी नहीं हुआ, और जहां राम होंगे, वहां काम का कोई स्थान नहीं हो सकता। उन्होंने इस भ्रांति को गलत बताते हुए लोगों से इसे न फैलाने की अपील की।