मनीषा शर्मा। जैन समाज ने महान संत आचार्य विद्यासागर महाराज के प्रथम समाधि दिवस के अवसर पर अजमेर में गुरु गुणानुवाद महोत्सव का भव्य आयोजन किया। इस पावन अवसर पर शहर में दो विशाल गौरव यात्राओं का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालु पुरुष, महिलाएं और बच्चे शामिल हुए। यह महोत्सव आचार्य विद्यासागर महाराज के जीवन और शिक्षाओं को समर्पित था, जिसमें श्रद्धालुओं ने उनके प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित की।
गौरव यात्राएं शहर के दो प्रमुख स्थानों—कैसरगंज जैन मंदिर और पार्श्वनाथ कॉलोनी, वैशाली नगर से प्रारंभ हुईं। कैसरगंज जैन मंदिर से निकली यात्रा उपाध्याय वृषभानंदजी महाराज के सानिध्य में प्रारंभ हुई, जबकि पार्श्वनाथ कॉलोनी वैशाली नगर से मुनि निरजसागर महाराज और निर्मदसागर महाराज के सानिध्य में गौरव यात्रा निकाली गई। इन यात्राओं में श्रद्धालु बड़ी संख्या में आचार्य विद्यासागर महाराज के विचारों, श्लोकों और चित्रों के साथ पैदल चल रहे थे, जिससे पूरे शहर में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ।
दोनों यात्राओं का संगम कीर्ति स्तंभ पर हुआ, जहां भक्तों ने मिलकर गुरु के चरणों में श्रद्धा अर्पित की। इस समागम के बाद भागचंद की कोठी पर एक भव्य धर्म सभा का आयोजन किया गया। धर्म सभा में संतों और विद्वानों ने आचार्य विद्यासागर महाराज के जीवन, आदर्शों और शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने उनके आत्मशुद्धि, सत्य, अहिंसा और साधना पर आधारित जीवन के बारे में बताया, जिससे उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रेरणा मिली।
इस अवसर पर अजमेर शहर में भक्ति और श्रद्धा का वातावरण बना रहा। श्रद्धालुओं ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की और आचार्य महाराज की शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया। महोत्सव में जैन समाज के गणमान्य व्यक्तियों, विभिन्न जैन संघों और समाज के सभी वर्गों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। आयोजकों ने बताया कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य आचार्य विद्यासागर महाराज की शिक्षाओं और उनके उपदेशों को जन-जन तक पहुंचाना है।
आचार्य विद्यासागर महाराज ने अपने जीवन को धर्म, साधना और समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उनकी शिक्षाओं में संयम, अहिंसा, त्याग और आत्मशुद्धि के सिद्धांत प्रमुख रहे। उनके अनुयायियों ने इस महोत्सव को उनके प्रति श्रद्धांजलि के रूप में मनाया। आयोजन समिति ने बताया कि आचार्य श्री की शिक्षाओं को आगे भी जन-जन तक पहुंचाने के लिए इस प्रकार के आयोजन भविष्य में भी जारी रहेंगे।
महोत्सव का समापन भक्ति गीतों और मंगल पाठ के साथ हुआ, जिसमें सभी श्रद्धालुओं ने मिलकर भाग लिया। इस प्रकार, गुरु गुणानुवाद महोत्सव ने जैन समाज में एकता और श्रद्धा का संदेश फैलाया, और आचार्य विद्यासागर महाराज के आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा दी।