मनीषा शर्मा, अजमेर। देवली-उनियारा उपचुनाव में प्रत्याशी रहे नरेश मीणा को जयपुर मैट्रो प्रथम की एमएम-6 कोर्ट ने छात्र राजनीति से जुड़े 20 साल पुराने मामले में दोषमुक्त कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में आरोपी के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया। अदालत ने नरेश मीणा को बरी करते हुए कहा कि उन्हें इस मामले में गलत फंसाया गया था।
क्या था मामला?
इस मामले की शुरुआत 21 अगस्त 2004 को हुई, जब जयपुर यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव के दौरान छात्र नेता सुखविंदर सिंह ने एफआईआर दर्ज करवाई। एफआईआर में आरोप था कि नरेश मीणा और उनके साथियों ने पीड़ित के साथ मारपीट की। नरेश मीणा ने अदालत में दलील दी कि घटना के समय वह काउंटिंग हॉल में मौजूद थे और उनका यूनिवर्सिटी परिसर के बाहर हुई घटना से कोई लेना-देना नहीं था। उन्होंने यह भी बताया कि उस समय उनके पास मोबाइल फोन तक नहीं था और किसी भी व्यक्ति से उनका संपर्क नहीं था। पुलिस ने इस मामले में 7 लोगों के खिलाफ चालान पेश किया था, जिनमें से दो आरोपियों ने जुर्म स्वीकार कर प्रोबेशन का लाभ ले लिया। चार आरोपी अब भी फरार हैं।
दूसरे मामले में जेल भेजा गया
हालांकि, छात्र राजनीति से जुड़े एक अन्य मामले में जयपुर मैट्रो प्रथम की एसीएमएम-16 कोर्ट ने नरेश मीणा को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया। यह मामला 3 दिसंबर 2011 का है, जब छात्रसंघ कार्यालय के उद्घाटन के विरोध के दौरान हिंसा हुई थी। पुलिस ने नरेश मीणा, अभिषेक, और संदीप के खिलाफ चालान पेश किया था।
पुलिस के अनुसार, अभिषेक के पास से हथियार भी बरामद हुआ था। इस मामले में अदालत ने पहले ही नरेश मीणा के खिलाफ स्थायी वारंट जारी कर रखा था। हालांकि, नरेश मीणा का कहना है कि पुलिस ने चालान से पहले उन्हें कोई सूचना नहीं दी और वह फरार नहीं थे।
एसडीएम को थप्पड़ मारने के मामले में जमानत याचिका
नरेश मीणा पर एसडीएम को थप्पड़ मारने और समरावता गांव में हिंसा भड़काने के आरोप भी लगे हैं। इन मामलों में नरेश मीणा ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की है। उन्होंने दलील दी कि जब हिंसा हुई, तब वह पहले से ही पुलिस कस्टडी में थे। गौरतलब है कि इससे पहले टोंक की ट्रायल कोर्ट और जिला एवं सत्र न्यायालय ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
छात्र राजनीति से जुड़े मामलों का प्रभाव
छात्र राजनीति से जुड़े मामलों ने नरेश मीणा के राजनीतिक और सामाजिक जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है। हालांकि, 20 साल पुराने मामले में बरी होने से उन्हें राहत मिली है, लेकिन अन्य मामलों में जेल भेजे जाने से उनकी मुश्किलें कम होती नहीं दिख रहीं।