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जामा मस्जिद और अजमेर शरीफ विवाद: हिंदू सेना अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की मांग

जामा मस्जिद और अजमेर शरीफ विवाद: हिंदू सेना अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की मांग

मनीषा शर्मा, अजमेर।  हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता इन दिनों अपनी मांगों और ऐतिहासिक दावों को लेकर चर्चा में हैं। हाल ही में उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें दिल्ली की जामा मस्जिद का सर्वे कराने की मांग की गई। उनका दावा है कि यह मस्जिद जोधपुर और उदयपुर के प्राचीन हिंदू मंदिरों को तोड़कर बनाई गई है। गुप्ता ने औरंगजेब के शासनकाल में मंदिरों को तोड़कर उनके अवशेषों का उपयोग मस्जिद की सीढ़ियों और संरचना में किए जाने का आरोप लगाया है।

इतिहास पर आधारित दावा

विष्णु गुप्ता ने अपनी चिट्ठी में औरंगजेब की जीवनी “मसीर-ए-आलमगीरी” का उल्लेख किया। इस किताब के अनुसार, औरंगजेब के आदेश पर 1689 में खानजहां बहादुर नामक अधिकारी ने जोधपुर और उदयपुर के मंदिरों को तोड़ा। इन मंदिरों की मूर्तियों और अन्य अवशेषों को बैलगाड़ियों के जरिए दिल्ली लाया गया। इनका उपयोग जामा मस्जिद के निर्माण में किया गया।

मंदिरों की सीढ़ियों में अवशेष इस्तेमाल का आरोप

गुप्ता ने अपने पत्र में इस बात पर जोर दिया कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों और संरचनाओं में मंदिरों के अवशेष स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। उनका कहना है कि इन अवशेषों की जांच से यह प्रमाणित किया जा सकता है कि औरंगजेब ने हिंदू मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया था।

अजमेर शरीफ विवाद से सुर्ख़ियों में आए गुप्ता

इससे पहले, विष्णु गुप्ता ने राजस्थान के अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर भी विवाद खड़ा किया था। उन्होंने अदालत में याचिका दाखिल की, जिसमें दावा किया गया कि दरगाह का निर्माण एक प्राचीन हिंदू मंदिर के ऊपर हुआ है। उनके अनुसार, यह स्थान भगवान श्री संकटमोचन महादेव का मंदिर था। उन्होंने मांग की कि दरगाह समिति के कब्जे को हटाकर इसे हिंदू मंदिर घोषित किया जाए।

अजमेर शरीफ को लेकर धमकियां

गुप्ता ने यह भी दावा किया कि अजमेर शरीफ मामले में याचिका दाखिल करने के बाद उन्हें जान से मारने की धमकी मिली। कनाडा से एक अज्ञात कॉलर ने उन्हें “सिर तन से जुदा” करने की धमकी दी। विष्णु गुप्ता ने इस धमकी को लेकर सुरक्षा की मांग की है।

विवाद का कानूनी और सामाजिक पहलू

गुप्ता के इन दावों ने कानूनी और सामाजिक चर्चा को जन्म दिया है। अजमेर की अदालत ने उनकी याचिका स्वीकार कर ली है, और 20 दिसंबर को इस पर सुनवाई होगी। जामा मस्जिद मामले में भी सर्वे की मांग से एक नया विवाद खड़ा हो सकता है।

भारतीय पुरातत्व विभाग की भूमिका

इस पूरे विवाद में भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। अगर विभाग सर्वे करने का निर्णय लेता है, तो ऐतिहासिक तथ्यों की सच्चाई सामने आ सकती है। हालांकि, यह मामला केवल ऐतिहासिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी संवेदनशील है।

विष्णु गुप्ता का उद्देश्य

विष्णु गुप्ता का कहना है कि उनका उद्देश्य केवल ऐतिहासिक सच्चाई को सामने लाना है। उन्होंने आग्रह किया कि यदि जामा मस्जिद में मंदिरों के अवशेष पाए जाते हैं, तो उन्हें वापस मंदिरों में स्थापित किया जाए। गुप्ता के इन दावों ने औरंगजेब के शासनकाल के दौरान धार्मिक स्थलों के विध्वंस को लेकर नई बहस छेड़ दी है। इतिहासकार और धार्मिक नेता इस पर अलग-अलग राय रखते हैं। कुछ इसे ऐतिहासिक न्याय मानते हैं, जबकि कुछ इसे सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाला कदम करार दे रहे हैं।

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