राजस्थान के टोंक जिले में एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मारने की घटना ने राज्य की राजनीति को गरमा दिया है। निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा द्वारा समरावता गांव में यह घटना अंजाम दी गई, जिसके बाद क्षेत्र में हिंसा भड़क उठी। इस घटना के विरोध में जाट समाज ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की है।
जाट समाज का विरोध और अल्टीमेटम
झुंझुनू में जाट समाज के विभिन्न संगठनों ने बैठक कर इस घटना पर आक्रोश जताया। प्रतिनिधियों ने कहा कि ऐसे व्यक्ति को आजीवन चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। जाट समाज ने इस मामले पर गंभीर चिंता व्यक्त की, यह कहते हुए कि यदि ऐसे लोग विधानसभा या लोकसभा में चुनकर जाएंगे, तो सदन की गरिमा पर सवाल खड़े होंगे।
अल्टीमेटम:
जाट समाज ने सरकार को 24 घंटे का समय दिया है। यदि कार्रवाई नहीं हुई, तो उन्होंने राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है।घटना के बाद हिंसा और पुलिस कार्रवाई
समरावता गांव में थप्पड़ कांड के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया। हिंसा के चलते गांव के कई घरों और वाहनों को नुकसान पहुंचा। लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया।
- नरेश मीणा की गिरफ्तारी:
शुक्रवार को नरेश मीणा को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। उन्हें भारी सुरक्षा के बीच टोंक जिला जेल में शिफ्ट किया गया है।सदन की गरिमा पर सवाल
जाट समाज के नेताओं ने यह भी कहा कि इस घटना ने सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। प्रतिनिधियों का कहना है कि अगर ऐसे व्यक्ति को विधानसभा में भेजा गया, तो वह देश के सर्वोच्च सदन में अनुशासनहीनता कर सकते हैं।
क्या है थप्पड़ कांड?
टोंक जिले की देवली उनियारा विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने 14 नवंबर को एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था। इस घटना के बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।प्रमुख घटनाक्रम:
- घटना के बाद गांव में तनाव फैल गया।
- जाट समाज और अन्य समुदायों ने एकजुट होकर कार्रवाई की मांग की।
- सरकार ने स्थिति को संभालने के लिए पुलिस बल तैनात किया।
- कोर्ट ने नरेश मीणा को न्यायिक हिरासत में भेजा।
राजनीतिक माहौल गरमाया
यह घटना विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल को और गरमा रही है। जहां एक ओर नरेश मीणा के समर्थक उनके बचाव में सामने आए हैं, वहीं दूसरी ओर विभिन्न समाज उनके खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।
जाट समाज की मांगें
- आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध:
समाज का कहना है कि ऐसे लोग लोकतंत्र की मर्यादा को नुकसान पहुंचाते हैं।- कड़ी कानूनी कार्रवाई:
उन्होंने दोषी के खिलाफ कठोर सजा की मांग की है।- क्षेत्र में शांति बहाली:
सरकार से गांव में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है।सरकार के सामने चुनौतियां
इस मामले ने सरकार के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:
लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति।
क्षेत्रीय समुदायों के बीच बढ़ते तनाव।
चुनाव से पहले प्रशासन की साख।