मनीषा शर्मा। जोधपुर की एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में रिटायर आयकर अधिकारी राजेंद्र सिंह सिसोदिया को 3 साल के कठोर कारावास और 1 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। यह सजा सिसोदिया को 2010 में एक ज्वैलर्स का आयकर सर्वे न करने की एवज में रिश्वत लेने के मामले में दी गई। इस केस में कुल 4 आरोपी थे, जिनमें से 2 आरोपियों को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया गया, जबकि सिसोदिया और एक अन्य आरोपी प्रकाशचंद्र को दोषी पाया गया। प्रकाशचंद्र को भी 3 साल के कठोर कारावास और 10 हजार रुपए के जुर्माने की सजा मिली है।
मामले का विवरण
यह मामला 31 मार्च 2010 का है जब जोधपुर के घोड़ों का चौक स्थित सुदर्शन ज्वैलर्स के मालिक ओमप्रकाश सोनी, मानकचंद, और घनश्याम सोनी ने एसीबी में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि आयकर अधिकारी राजेंद्र सिंह सिसोदिया ने उनकी दुकान का आयकर सर्वे नहीं करने की एवज में 2 लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। बाद में यह सौदा 1 लाख 21 हजार रुपए में तय हुआ।
1 अप्रैल 2010 को सिसोदिया ने अपने सहायक कर्मचारी बंटी उर्फ दीपेंद्र को पैसे लेने भेजा। सिसोदिया ने निर्देश दिए थे कि राशि विजय सोनी से ली जाएगी। जब प्रकाश सोनी पैसे लेने पहुंचे, तो ACB ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। प्रकाश ने पैसे दीपेंद्र को दिए और बाद में दीपेंद्र ने वह राशि राजेंद्र सिसोदिया को इनकम टैक्स ऑफिस में सौंपी। सिसोदिया ने इसे अपनी अलमारी में रख लिया, तभी ACB की टीम वहां पहुंची और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। ACB की कार्रवाई में उन सभी के हाथ धुलवाए गए और उनके खिलाफ ठोस सबूत इकट्ठा किए गए।
ACB कोर्ट का फैसला
मामला जोधपुर ACB कोर्ट संख्या 2 में चलाया गया, जहां पीठासीन अधिकारी मधुसूदन मिश्रा ने सुनवाई की। रिटायर आयकर अधिकारी राजेंद्र सिंह सिसोदिया को 3 साल के कठोर कारावास के साथ 1 लाख रुपए का जुर्माना और प्रकाशचंद्र को भी 3 साल के कठोर कारावास के साथ 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया। हालांकि, दीपेंद्र और विजय सोनी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया।
ACB की कार्रवाई और पैरवी
इस मामले में ACB की ओर से सहायक निदेशक अभियोजन दिनेश तिवाड़ी ने पैरवी की। ACB ने पूरे मामले की बारीकी से जांच की और आरोपियों को उनके कार्यस्थल पर रंगे हाथों गिरफ्तार किया। इस दौरान कार्रवाई के अधिकारी विनोद गांधी थे, जो उस समय अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर कार्यरत थे।
2019 में हुआ रिटायर
राजेंद्र सिंह सिसोदिया को केंद्र सरकार द्वारा 2019 में रिटायर कर दिया गया था। 2010 में जब यह रिश्वत का मामला सामने आया, सिसोदिया आयकर विभाग में टीडीएस द्वितीय के पद पर कार्यरत थे। अब सिसोदिया इस फैसले के खिलाफ एक महीने के भीतर हाईकोर्ट में सजा स्थगन की अपील कर सकते हैं। अगर सजा स्थगित नहीं होती, तो उन्हें जेल जाना पड़ेगा।
रिश्वत मामलों में सख्त सजा का संदेश
यह फैसला न केवल जोधपुर के लिए बल्कि पूरे राजस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कड़ा संदेश है। ACB कोर्ट द्वारा दिए गए इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकारी अधिकारी द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इससे सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और ईमानदारी बनाए रखने के प्रयासों को और भी मजबूती मिलेगी।
जुर्माने की राशि और अपील का विकल्प
कोर्ट ने सिसोदिया और प्रकाशचंद्र दोनों पर जुर्माना भी लगाया है। सिसोदिया पर 1 लाख रुपए का जुर्माना और प्रकाशचंद्र पर 10 हजार रुपए का जुर्माना तय किया गया है। हालांकि, दोषी को एक महीने के भीतर हाईकोर्ट में अपील करने का अधिकार है। यदि वे ऐसा नहीं करते या अपील खारिज हो जाती है, तो उन्हें सजा भुगतनी होगी।